स्कूलों का समय बदलने के बावजूद बच्चों की उपस्थिति कम
Gangapar News - गर्मियों के महीने में तापमान 40 से 42 डिग्री सेल्सियस के बीच रहने के कारण स्कूलों में छात्रों की उपस्थिति में कमी आई है। अभिभावकों ने बच्चों को भीषण गर्मी के कारण स्कूल भेजने से मना किया है। कई बच्चे...

गौहनिया, हिन्दुस्तान संवाद। मई महीने में गर्मी ने अपने तीखे तेवर दिखाने शुरू कर दिए हैं। स्कूलों का समय बदलने के बावजूद भीषण गर्मी का असर स्कूलों में नजर आने लगा है। कड़ी धूप और उमस के कारण स्कूली बच्चों को अधिक परेशानी हो रही है। इस वजह से पूर्व की तुलना में बच्चों की उपस्थिति पर भी असर पड़ा है।शनिवार को तापमान 40 से 42 डिग्री सेल्सियस के बीच रहा। शिक्षा विभाग ने स्कूलों का समय सुबह की पाली में कर दिया है। सुबह बच्चे सहज रूप से विद्यालय पहुंच जाते हैं। पर दोपहर छुट्टी के बाद तपती धूप में घर लौटने में उन्हें काफी परेशानी हो रही है।
मौसम विशेषज्ञों के अनुसार भले ही तापमान 40 से 42 डिग्री सेल्सियस के बीच है, पर तपिश की वजह से गर्मी का अहसास 44 डिग्री का हो रहा है। स्कूलों में पंखे तो हैं, लेकिन बिजली की आंख मिचौनी बच्चों के लिए और कष्टदायी साबित हो रही है। नतीजतन ग्रामीण क्षेत्रों में आलम यह है कि कई स्कूलों में कक्षाएं खाली रहती हैं। अभिभावक नहीं भेज रहे बच्चों को ग्रामीण क्षेत्रों के विभिन्न स्कूलों का जायजा लिया गया तो उपस्थिति अपेक्षाकृत काफी कम मिली। खासकर प्राथमिक और माध्यमिक कक्षाओं में छात्रों की संख्या नहीं के बराबर रहती है। इन स्कूलों के शिक्षकों ने बताया कि वे कक्षाओं में छात्रों का इंतजार करते रह जाते हैं, लेकिन वे नहीं आते। कई शिक्षकों ने बताया कि उन्होंने अभिभावकों से बच्चों को स्कूल भेजने के लिए कहा तो उनका जवाब था कि मास्साब, भीषण गर्मी में प्राण देने है का परेशानी होती है। कई अभिभावकों ने हाथ जोडकऱ निवेदन किया कि मास्साब गर्मी में बच्चों को बक्श दो। बच्चे पड़ रहे बीमार तेज धूप और गर्म हवाओं के कारण कई बच्चे बीमार पड़ गए हैं। कई अभिभावकों ने बताया कि उन्होंने स्कूल प्रबंधन से भी इस बारे में बात की है। मौसम सामान्य होने तक बच्चों को घर पर ही रखने का फैसला किया है। एक अभिभावक वंदना ने कहा कि बच्चे की जान जोखिम में डालकर स्कूल भेजना उचित नहीं है। सरकार और स्कूल प्रशासन को इस पर ध्यान देना चाहिए।
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