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ओपीडी कर रहे जूनियर रेजीडेंट, सीनियर रहते नदारद

Gonda News - - हड्डी रोग विभाग व नेत्र विभाग में अक्सर ओपीडी में बैठे मिलते जेआर -

Newswrap हिन्दुस्तान, गोंडाFri, 16 May 2025 06:27 PM
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ओपीडी कर रहे जूनियर रेजीडेंट, सीनियर रहते नदारद

गोण्डा, संवाददाता। स्वशासी मेडिकल कॉलेज से सम्बद्ध बाबू ईश्वर शरण अस्पताल की व्यवस्थाएं पटरी से उतरती जा रही हैं। स्थिति यह हो गई है कि महत्वपूर्ण विभागों की भी ओपीडी जेआर (जूनियर रेजीडेंट) के हवाले होती जा रही है। अक्सर जेआर ही ओपीडी में बैठे नजर आएंगे। सीनियर डाक्टरों ने जैसे ओपीडी से किनारा ही कस लिया है। इस व्यवस्था के कारण मरीजों को समुचित इलाज नहीं मिल पा रहा है। बाबू ईश्वर शरण अस्पताल के मेडिकल कॉलेज का अंग बनने के बाद लोगों को ऐसा लगा था कि उन्हें अब समुचित इलाज के साथ ही बड़े योग्यताधारी चिकित्सकों की सलाह मिल सकेगी लेकिन ऐसा नहीं हो पा रहा है।

अस्पताल के सीनियर रेजीडेंट, असिस्टेंट प्रोफेसर व प्रोफेसर कोई भी जल्दी ओपीडी में नहीं बैठ रहा है। यही नहीं इन्हीं डाक्टरों की देखादेखी पीएमएस के विशेषज्ञ डॉक्टर भी ओपीडी से नदारद रहते हैं। ओपीडी खाली न रहे और कोई हो हल्ला न हो, इसके लिए जूनियर रेजीडेंट को ओपीडी में बैठा दिया जा रहा है। जिले के सुदूर गांवों से आने वाले लोग इन्हीं जूनियर डाक्टरों से दवा लिखाकर वापस लौट जा रहे हैं। अपना नाम न छापने की शर्त पर अस्पताल से ही जुड़े एक जिम्मेदार बताते हैं कि पहले हड्डी, बालरोग व मेडिसिन विभाग बहुत अच्छे से संचालित होता था लेकिन अब व्यवस्था बिगड़ गई है। विशेषज्ञों के न बैठने से मरीजों को समुचित लाभ नहीं मिल पा रहा है। नेत्र विभाग में तीन दिन ही बैठते हैं विशेषज्ञ : नेत्र रोग विभाग में उधारी के नेत्र रोग विशेषज्ञ से काम चलाया जा रहा है। वजीरगंज सीएचसी पर तैनात नेत्र रोग विशेषज्ञ सप्ताह में तीन दिन ही अस्पताल आते हैं, बाकी दिनों वह वजीरगंज में रहकर मरीज देखते हैं। नेत्र रोग विशेषज्ञ के तीन दिन न रहने वाले दिनों में जेआर या फिर नेत्र परीक्षण अधिकारी ही ओपीडी संचालित करते नजर आते हैं। खास बात यह भी है कि विशेषज्ञ के तीन दिन रहने के दौरान भी उनका ज्यादा समय ओटी में कटता है, ऐसे में ओपीडी नेत्र परीक्षण अधिकारी के ही भरोसे रहती है। इस संबंध में अस्पताल के सीएमएस डॉ. अनिल तिवारी ने बताया कि विशेषज्ञ डाक्टरों को भी ओपीडी में बैठने के निर्देश दिए गए हैं। किसी खास वजह से हो सकता है कि वह न पहुंचे हों। अस्पताल आने वाले मरीजों को समुचित इलाज की व्यवस्था उपलब्ध कराई जा रही है।

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