खुलकर खेलने लगे चिराग पासवान, NDA में रहेंगे और अलग से बहुजन भीम सम्मेलन भी करेंगे
चुनाव आयुक्त विवेक जोशी के पटना पधारते ही बिहार में राजनीतिक खेल तेज हो गया है। केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान की पार्टी लोजपा-आर एनडीए में ही रहते हुए विभिन्न जिलों में अलग से बहुजन भीम संवाद कार्यक्रम करेगी।

केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी रामविलास (लोजपा-आर) बिहार चुनाव से पहले खुलकर खेलने लगी है। पार्टी ने पटना में शुक्रवार को एक बैठक में तय किया है कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में रहते हुए वो अलग से विभिन्न जिलों में बहुजन भीम संवाद नाम से कार्यक्रम आयोजित करेगी। बहुजन भीम सम्मेलनों के जरिए चिराग पासवान विधानसभा चुनाव से पहले सहयोगी दलों को एलजेपी-आर की ताकत दिखाना चाहते हैं, जिससे जब राज्य में 243 सीटों का बंटवारा हो तो उनकी पार्टी सबको मजबूत दिखे। पार्टी ने खुलकर बस इतना कहा है कि चुनाव में एनडीए के अंदर रहते हुए लोजपा-आर स्वतंत्र पहचान के साथ भागीदारी निभाएगी।
चिराग पासवान की पार्टी के ताजा स्टैंड का माने-मतलब निकालने में पटना से लेकर दिल्ली तक नेताओं जुट गए हैं। कुछ दिन पहले तक भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की अगुवाई वाला एनडीए सामूहिक अभियान की बात कर रहा था। अब हाल ये है कि लोजपा-आर जहां बहुजन भीम संवाद करने जा रही है वहीं भाजपा भी निषाद समाज को समेटने के लिए प्रमंडल सम्मेलन करने जा रही है। खुद को पीएम नरेंद्र मोदी का हनुमान घोषित कर चुके चिराग अब ढाई चाल चलते दिख रहे हैं।
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चाचा पशुपति कुमार पारस की वजह से लंबे राजनीतिक वनवास के बाद मजबूती से लौटे चिराग ने 2020 के बिहार चुनाव में अकेले आधी से ज्यादा सीटों पर कैंडिडेट उतार दिए थे। नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) को मिली सीटों पर खास तौर पर। चिराग का तो काम नहीं बना लेकिन जेडीयू का नंबर बिगड़ गया। तीसरे नंबर की पार्टी बनी जेडीयू के नैतिक संघर्ष में पांच साल में नीतीश ने इधर-उधर करके तीन बार सीएम पद की शपथ ले ली।
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2020 में एनडीए में भाजपा के अलावा तीन नेताओं की पार्टियां थीं। नीतीश, उपेंद्र कुशवाहा और जीतनराम मांझी। इस बार एनडीए में इन सबके साथ चिराग भी हैं, जो कायदे से गठबंधन में तीसरे नंबर की पार्टी है। भाजपा और जेडीयू के बीच कम से कम एक सीट ज्यादा लड़ने की रेस चल रही है। 100-101 सीट के खेल के बाद जो 42-43 सीटें बच रही हैं, उसमें कुशवाहा और मांझी के बाद चिराग के लिए जो बच रहा है, वो लोजपा को मंजूर नहीं है। राजनीतिक गलियारों में माना जा रहा है कि बहुजन भीम संवाद के जरिए चिराग बीजेपी और जेडीयू को अनकहे तौर पर सम्मानजनक हिस्सेदारी देने का संदेश दे रहे हैं।