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बिजली निजीकरण के विरोध पर सरकार सतर्क, एस्मा लागू; 6 महीने तक हड़ताल पर रोक

बिजली कंपनियों के निजीकरण के विरोध का सिलसिला जारी है। संयुक्त संघर्ष समिति ने आरोप लगाया है कि पॉवर कारपोरेशन प्रबंधन निजी घरानों संग मिलीभगत कर 42 जिलों में कौड़ियों के दाम निजीकरण करने में लगे हैं। समिति ने चेतावनी दी है कि यदि अनावश्यक रूप से दण्डित किया गया तो इसकी तीखी प्रतिक्रिया होगी।

Ajay Singh विशेष संवाददाता, लखनऊFri, 6 June 2025 07:35 AM
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बिजली निजीकरण के विरोध पर सरकार सतर्क, एस्मा लागू; 6 महीने तक हड़ताल पर रोक

यूपी में बिजली कंपनियों के निजीकरण के खिलाफ कर्मचारियों के विरोध के मद्देनजर सरकार सतर्क हो गई है। ऊर्जा विभाग ने अगले 6 महीने तक विभाग की सभी इकाइयों में हड़ताल पर रोक लगा दी है। उत्तर प्रदेश आवश्यक सेवाओं का अनुरक्षण अधिनियम- 1966 (एस्मा) के तहत यह आदेश ऊर्जा विभाग ने पारित किए हैं। आदेश पावर कॉरपोरेशन, विद्युत उत्पादन निगम, पावर ट्रांसमिशन कारपोरेशन, कैस्को, मध्यांचल, पूर्वाचल, पश्चिमांचल, दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम आदि सभी ऊर्जा इकाइयों के कर्मचारियों और अधिकारियों पर लागू होंगे।

बिजली कर्मियों में लामबंदी

उधर, बिजली कंपनियों के निजीकरण के विरोध का सिलसिला जारी है। संयुक्त संघर्ष समिति ने आरोप लगाया है कि पॉवर कारपोरेशन प्रबंधन निजी घरानों संग मिलीभगत कर कौड़ियों के दाम 42 जनपदों में बिजली का निजीकरण करने में लगे हैं। समिति ने चेतावनी दी है कि यदि निजीकरण के नाम पर अभियंताओं को अनावश्यक रूप से दण्डित किया गया तो इसकी तीखी प्रतिक्रिया होगी। पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के प्रबंध निदेशक द्वारा प्रशासनिक आधार पर अभियंताओं के तबादले किए जाने को लेकर भी अभियंताओं में गुस्सा है। संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे ने कहा कि लाइन लॉस के झूठे आंकड़े दिखा रहे हैं।

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पूर्वांचल और दक्षिणांचल के निजीकरण पर आठ औद्योगिक समूहों की निगाहें

पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण पर अदाणी समूह, टाटा पावर लिमिटेड और ग्रीनको समूह समेत कम से कम देश के आठ बड़े औद्योगिक घरानों की नजर है। उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (यूपीपीसीएल) 42 जिलों में विद्युत वितरण की व्यवस्था देखने वाले पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों को भंग करके पांच नई कंपनियां बनाने की कवायद में जुटा है, जिनकी 51 फीसदी हिस्सेदारी निजी औद्योगिक समूहों को सौंपी जानी हैं।

स्टरलाइट पावर लिमिटेड की सेरेंटिका रिन्यूवबल्स, टोरेंट पावर लिमिटेड, रिन्यू एनर्जी ग्लोबल, आरपी-संजीव गोयनका समूह की सीईएससी लिमिटेड, जीएआर और इलेक्ट्रिसिटेड फ्रांस कॉन्सॉर्टियम आदि भी उत्तर प्रदेश के दोनों डिस्कॉम के लिए जारी होने वाली रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल पर नजरें बनाए हैं। निजीकरण की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए यूपीपीसीएल ने सलाहकार कंपनी ग्रांट थॉर्नटन भारत को अपना सलाहकार नियुक्त किया है। यह सलाहकार कंपनी आरएफपी तैयार कर रही है, जिसे बीते दिनों मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह की अध्यक्षता वाली एनर्जी टास्क फोर्स अनुमोदित कर चुकी है। ईटीएफ ने कॉरपोरेशन को निजीकरण की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए अधिकृत करते हुए प्रस्तावित टेंडर डॉक्युमेंट पर उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत नियामक आयोग से उसका अभिमत लेने के निर्देश दिए थे। नियामक आयोग का अभिमत मिलते ही टेंडर डॉक्युमेंट पर कैबिनेट की मंजूरी लेकर निविदाएं मांगी जाएंगी। सूत्रों का दावा है कि टेंडर जुलाई तक जारी हो सकते हैं। इस साल नवंबर तक निजीकरण की प्रक्रिया पूरी करने की तैयारी है। बीते दिनों कॉरपोरेशन के अध्यक्ष डॉ. आशीष गोयल ने पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण को आवश्यक बताते हुए तर्क दिया था कि सुधार के सभी उपाय नाकाफी रहे हैं।

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अप्रैल में हुई थी बैठक

इसी साल अप्रैल में लखनऊ में निजी औद्योगिक समूहों के साथ निजीकरण पर एक बैठक पावर कॉरपोरेशन कर चुका है। उस बैठक में तमाम निजी समूहों ने अपनी सफलता की कहानियां भी साझा की थीं। उसमें टाटा पावर के संजय बग्गा, अदाणी पावर के एमडी अनिल सरदाना, आरएमआई के जगभंता, चंडीगढ़ पावर के अनिल धमीजा और सीएसईपी के दलजीत सिंह आदि शामिल थे।

कंपनियों ने स्वीकारा

यूपी में बिजली के निजीकरण में हिस्सा लेने के बाबत अदाणी पावर के प्रवक्ता ने स्वीकार किया है वह टेंडर में हिस्सा लेगा। सेरेंटिका रिन्यूबल्स के प्रवक्ता ने टिप्पणी से तो इनकार किया है, लेकिन उन्होंने कहा कि कंपनी संभावनाएं तलाशने में यकीन रखती है। टाटा पावर के एमडी प्रवीर सिन्हा मुंबई में सार्वजनिक बयान दे चुके हैं कि कंपनी पूर्वांचल और दक्षिणांचल के निजीकरण में हिस्सा लेगी।

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