कृषि विभाग ने खरीफ फसलों में बीज शोधन एवं भूमि शोधन के लिए जारी की एडवाइजरी
Hapur News - हापुड़ संवाददाता। कृषि विभाग कृषि विभाग ने खरीफ फसलों में बीज शोधन एवं भूमि शोधन के लिए एडवाइजरी जारी की है। जिसमें बताया गया कि की खरीफ फसलों में मु

कृषि विभाग कृषि विभाग ने खरीफ फसलों में बीज शोधन एवं भूमि शोधन के लिए एडवाइजरी जारी की है। जिसमें बताया गया कि की खरीफ फसलों में मुख्यतः धान, मक्का अरहर, उर्द और मूंग एवं गन्ना प्रमुख फसलें है। वर्तमान में जनपद में वर्षा एवं तापमान में उतार चढाव के कारण फसलों में लगने वाले सामयिक कीट और रोग के प्रकोप की सम्भावना के दृष्टिगत बचाव एवं प्रबन्धन हेतु कृषकों के मध्य व्यापक प्रचार-प्रसार एवं खरीफ बीज शोधन अभियान का कियान्ववन क्षेत्रीय कर्मचारियों के माध्यम से 25 मई से 25 जून 2025 तक चलाया जा रहा है जिसमे कृषको को जागरूकता की आवश्यकता है।
जिला कृषि अधिकारी ने बताया कि प्रदेश में फसलों को प्रतिवर्ष खरपतवारों, रोगो कीटो तथा चूहों आदि से लगभग 15 से 30 प्रतिशत की क्षति होती है। खरपतवार के बाद सबसे अधिक क्षति रोगों द्वारा होती है. कभी-कभी रोग महामारी का रूप ले लेते है फसलो में रोग बीज मृदा वायु एवं कीटों के द्वारा फैलते है। बीज जनित और भूमि जनित रोगों से बचाव हेतु खरीफ 2025 में बोई जाने वाली फसलों में बीज शोधन अत्यन्त महत्वपूर्ण है। कही कही बीज शोधन द्वारा फसल की रोगों से सुरक्षा कर कम लागत में अधिक पैदावार ली जा सकती है, जिससे किसान की आय में वृद्धि होगी तथा आर्थिक स्थिति में सुधार होगा । बीज शोधन के अभाव में फसलो से कई फफंदी जनित और जीवाणु जनित रोगों का प्रकोप देखा जाता है। उन्होंने बताया कि रोग कारक फफूंदी व जीवाणु बीज से लिपटे रहते है या भूमि में पड़े रहते है। बीज बोने के बाद फफूंदी स्वभाव के अनुसार नमी प्राप्त होते ही उगते बीज या पौधों के विभिन्न भागों को संक्रमित करके रोग उत्पन्न करते है। खरीफ की फसलें जैसे- धान की फसल में जीवाणु झुलसा एवं जीवाणुधारी रोग के नियन्त्रण हेतु स्यूडोमोनास फलोरीसेन्स 2 प्रतिशत ए.एस 2 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से अथवा टेट्रासाइक्लिन हाइड्रोक्लोराइड 10 प्रतिशत की 4 ग्राम मात्रा प्रति 25 किलोग्राम बीज 10 लीटरपानी में मिलाकर रातभर भिगोकर रखे तथा दूसरे दिन छाया में सुखाकर उक्त धान के बीज को ट्राईकोडर्मा की 2 ग्राम मात्रा को 10 किलो ग्राम बीज से साथ मिलाकर प्रयोग करना चाहिए। उन्होंने बताया कि कीट और रोग नियन्त्रण हेतु बीजों का बुबाई से पूर्व 2 से 2.5 ग्राम रसायन प्रति किलोग्राम (थिरम, कार्वेण्डाजिम), 2मिली रसायन (क्लोरोपाइरीफॉस), एवं दलहनी फसलों में उक्त के साथ-साथ 250 ग्राम राइजोबियम कल्चर प्रति 10 किलोग्राम बीज की दर से प्रयोग किया जाए। भूमि से फसलों में लगने वाले फफूँदीजनित रोगो के नियन्त्रण हेतु ट्राइकोडर्मा 25 से 3 किलोग्राममात्रा प्रति हेक्टर की दर से 40-60 किलोग्राम वर्मीकम्पोस्ट या सड़ी हुयी गोबर की खाद में मिलाकर 4 से 7 दिन छाया में रखे उसके बाद शाम के समय खेत में डालकर तुरन्त जुताई कर दे। जिससे भूमि जनित रोगों से निजात पायी जा सकती है। समस्त रसायन विकासखण्ड स्तर पर उपलब्ध है।
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