Contract Linemen Demand Fair Wages and Safety Gear Amid Job Risks in Hardoi बोले हरदोई: दूसरों के घर रोशन करने में लगे रहते, सेफ्टी किट तक नहीं मिलती, Hardoi Hindi News - Hindustan
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बोले हरदोई: दूसरों के घर रोशन करने में लगे रहते, सेफ्टी किट तक नहीं मिलती

Hardoi News - हरदोई के संविदा लाइनमैनों ने अपनी समस्याओं को लेकर आवाज उठाई है। उन्हें बिना सुरक्षा उपकरणों के काम करना पड़ता है और वेतन भी समय पर नहीं मिलता। गर्मियों में काम करते समय जान जोखिम में रहती है।...

Newswrap हिन्दुस्तान, हरदोईMon, 21 April 2025 01:53 PM
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बोले हरदोई: दूसरों के घर रोशन करने में लगे रहते, सेफ्टी किट तक नहीं मिलती

हरदोई। सर्दी, गर्मी हो या बारिश, हर मौसम में हम अपना काम मेेहनत से करते हैं। गांव से लेकर शहर तक बिजली की आपूर्ति सही तरह से करने में जुटे रहते हैं। दूसरों के घरों में रोशनी का इन्तजाम करते हैं पर अपनी ही समस्याओं से जूझ रहे हैं। यह दर्द है संविदा लाइनमैनों का। उनका कहना है कि ड्यूटी के दौरान अनहोनी होने का डर सताता है। इसके साथ ही नौकरी जाने का डर भी बना रहता है। सप्ताह में एक दिन की छुट्टी मिलना भी मुश्किल हो जाता है। सबसे ज्यादा दिक्कत गर्मी में होती है, जब बिना दस्ताने पहने ही बिजली के खंभों पर चढ़कर काम करना पड़ता है। इसके बावजूद नौकरी में अनिश्चितता बनी रहती है। भविष्य में नियमित भी नहीं होना है। समान कार्य के बदले समान वेतन भी न मिलना परेशानी का सबब बना हुआ है, इस पर गौर करना चाहिए। जिम्मेदारों को हमारी समस्याओं पर गंभीर होकर निपटाना चाहिए।

नौकरी जान जोखिम में डालकर करते हैं। बिना संसाधनों और सेफ्टी किट के खंभों और ट्रांसफॉर्मर के फॉल्ट सही करते हैं। कोई अनहोनी होने पर जान तक से हाथ धोना पड़ जाता है। हम अपना काम पूरी ईमानदारी करते हैं पर हमारे साथ भेदभाव होता है। यह कब तक सहन करेंगे। यह कहना है बिजली विभाग के संविदा लाइनमैनों का। आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान से बातचीत के दौरान बिजली संविदा कर्मचारी संघ के जिलाध्यक्ष राजेश गुप्ता ने अपनी बात रखी। उनका कहना है यह अन्यायपूर्ण है। हम तो दूसरों के घरों कोरोशन करने में लगे रहते पर सेफ्टी किट तक नहीं मिलती। असुरक्षा के बीच काम करते हैं पर उन्हें काम का समान दाम नहीं मिलता है। उनका कहना है कि सर्विस प्रोवाइडर कंपनी ने अभी तक कोई भी सुरक्षा उपकरण नहीं उपलब्ध कराए हैं। कुछ संविदा कर्मियों का मानदेय भी होल्ड कर दिया गया है। उनसे सुविधा शुल्क की मांग की जा रही है।

साप्ताहिक छुट्टी कभी-कभी मिल पाती : लाइनमैनों के मुताबिक बिजली विभाग में स्किल्ड लाइनमैन को करीब 11 हजार और नॉन स्किल्ड लाइनमैन को नौ हजार रुपये मासिक मानदेय दिया जाता है। साप्ताहिक छुट्टी कभी-कभार ही मिल पाती है। कुछ भी हो पर रोजाना आठ से दस घंटे तक काम करना ही पड़ता है। अतिरिक्त काम के बदले कोई दाम नहीं मिलता है। अक्सर समय पर टूल किट और सेफ्टी किट भी नहीं मिल पाती है। ऐसे में कभी पुराने तो कभी बगैर सुरक्षा उपकरणों के भेज दिया जाता है। कभी जेब से सुरक्षा उपकरण खरीदकर काम करने को मजबूर होना पड़ता है। इस पर ध्यान देने की जरूरत है। वहीं, संविदा कर्मी अमित पाल ने बताया कि उनका मानदेय दो महीने से नहीं आया है। सुपरवाइजर मानदेय देने के लिए पैसे की मांग करते हैं। पैसा न देने तक मानदेय न देने की बात कही जाती है। नौकरी से निकालने की धमकी भी दी जाती है। अशोक, राहुल वर्मा, अंकित मिश्रा, पुष्पेंद्र ने बताया कि उन्हें भी समय से मानदेय नहीं मिला है।

खतरे भरा रहता हमारा काम : लाइनमैन बताते हैं कि हम लोग हर मौसम में सीढ़ी लेकर बिजली के खंभों और ट्रांसफार्मर पर चढ़ कर फॉल्ट सुधारने में लगे रहते हैं। खतरे भरा हमारा काम रहता है पर हमारी सुरक्षा के लिए आज तक पुख्ता इंतजाम नहीं हो सके हैं। बिजली विभाग संविदा कर्मियों से काम लेने के पहले टेंडर में ठेकेदार से पूर्ण टूल किट के साथ सभी सुरक्षा उपाय मुहैया कराने की शर्त रखता है। ग्लव्स, प्लास, दस्ताने समेत कई संसाधन देने का नियम है पर लाइनमैनों को अक्सर सेफ्टी किट नहीं दी जाती है। ऐसे में जान हथेली पर रहती है। बारिश के मौसम में अक्सर करंट का डर बना रहता है। दिलीप पाठक बताते हैं कि सुरक्षा व्यवस्था के लिए कोई भी उपकरण नहीं मिले हैं। मौखिक तौर पर बताया गया है कि बीमा है लेकिन उसके कोई कागज नहीं दिए गए हैं। आयुष्मान कार्ड भी नहीं बना है। बीमार पड़ने पर जमा-पूंजी खर्च करनी पड़ती है।

रोज 20 से 30 किमी का चक्कर लगा खोजते फॉल्ट: लाइनमैन बताते हैं कि रोज 20 से 30 किमी का चक्कर लगाते हुए फॉल्ट तलाशते हैं। कई बार ग्रामीण बिजली गुल होने के लिए हमें ही दोषी मानकर अभद्रता करते हैं। कई बार तो गाली-गलौज और मारपीट तक उतारू हो जाते हैं। इससे असुरक्षा और भय सताता रहता है। हक की बात करने पर मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जाता है।

इलाज में परिवार हो जाता कर्जदार : काम के दौरान किसी संविदा कर्मी के घायल होने के बाद इलाज में परिवार कर्जदार हो जाता है। हादसे के बाद विभाग और जिम्मेदार पल्ला झाड़ लेते हैं। करंट से कई बार जलने के बाद जख्म काफी घातक हो जाते हैं। पोल और ट्रांसफार्मर से गिरने के कारण कई बार हाथ-पैर समेत शरीर के विभिन्न अंगों की हड्डी तक टूट जाती है। ऐसे में इलाज कई महीने तक चलता है। इससे जीवन भर की जमा पूंजी खर्च हो जाती है। संविदा पर काम करने वाले आम तौर पर सामान्य परिवार के होते हैं। एक हादसा पूरे परिवार को आर्थिक तौर पर तोड़ देता है। इसलिए सुरक्षा और बेहतर उपचार के लिए पर्याप्त व्यवस्था होनी चाहिए। वहीं, लाइनमैनों का कहना है कि कुछ सालों के बाद कंपनी बदल जाती है। नई कंपनी आने पर पुरानी कंपनी भुगतान बाकी कर चली जाती है। इससे हमारा वेतन फंसा रहता है, इस पर सुधार होना चाहिए।

शिकायतें

1. सुरक्षा उपकरणों के बिना ही बिजली संविदा कर्मियों को काम करना पड़ता है।

2. अनुबंध में 26 दिन काम करने की बात लिखी जाती है लेकिन 30 दिन काम कराया जाता है।

3. हर साल छंटनी कर दिए जाने का डर सताता रहता है।

4. आईटीआई से डिप्लोमा होने के बावजूद समय पर प्रशिक्षण की जरूरत होती है पर नहीं होता।

5. हादसा होने में अस्पताल पहुंचाने की त्वरित व्यवस्था नहीं होती।

6. ग्रामीण क्षेत्र में फॉल्ट सही करने को रात में भी जाना पड़ता है। असुरक्षा का भय बना रहता है।

7. कम मानदेय के बावजूूद ईपीएफ कटौती की जाती है।

समाधान

1. मासिक मानदेय को बढ़ाया जाए। परिवार का खर्च चलाने लायक मानदेय दिया जाए।

2. लाइनमैनों को जल्द से जल्द अच्छे सुरक्षा उपकरण मिलें।

3. बिजली संविदा कर्मियों की आउटसोर्स की व्यवस्था खत्म कर सीधी भर्ती की जाए।

4. बेहतर कार्य करने वाले कर्मियों का समायोजन किया जाए।

5. फॉल्ट ठीक करते समय हादसे में घायल होने पर त्वरित बेहतर इलाज की सुविधा मिले।

6. अक्सर झूठे आरोप लगाकर काम से निकाल दिया जाता है। इस पर रोक लगनी चाहिए।

7. गर्मियों में पोल और ट्रांसफार्मर तपने लगते हैं। चढ़ने के लिए पर्याप्त इन्तजाम होने चाहिए।

बोले लइनमैन

संविदा कर्मियों को समान कार्य पर नियमित कर्मियों के समान वेतन नहीं मिल रहा है। -राहुल, एसएसओ पावर हाउस कछौना

वेतन विसंगति को दूर कर हमें नियमित सरकारी कर्मचारी का दर्जा दिया जाए। -तनुज अवस्थी, एसएसओ कछौना न्यू पावर हाउस

बिना सुरक्षा किट के काम को मजबूर हैं। जनवरी में नई फर्म का टेंडर हुआ है। -रविन्द्र सिंह, लाइनमैन सहायक कछौना पावर हाउस

महंगाई बढ़ती जा रही है उसके हिसाब से मानदेय कम है। पैसा बढ़े तो कुछ सहूलियत हो जाए। -शेर सिंह, पिहानी

उपकरण की खुद व्यवस्था करनी पड़ती है। विभाग को इस ओर ध्यान देना चाहिए। -योगेश कुमार पिहानी

समान कार्य और समान वेतन की मांग पूरी नहीं हो सकी है। समान वेतन का लाभ दिया जाए। -संजय कुमार, पिहानी

सर्दी-गर्मी संग हर मौसम में ड्यूटी पर मुस्तैद रहते हैं। हम लोगों को नियमित किया जाए। -भैयालाल, पिहानी

हम लोगों से काम लेने का समय निर्धारित हो। ईपीएफ काटा जाए। समय से वेतन दिया जाए। -प्रमोद कुमार, राघौपुर फीडर मल्लावां

सुरक्षा के लिए आवश्यक उपकरण फौरन दिलाए जाएं। उच्चाधिकारी मामले में दखल देकर समस्याएं सुनें और समाधान कराएं। -राजेश गुप्ता, उ.प्र. पावर कॉरपोरेशन संविदा कर्मचारी संघ जिलाध्यक्ष

कुशल और अकुशल कर्मचारी जो ठेके पर हैं उनको पूरा वेतन नहीं मिलता है। पूरा वेतन समय से दिया जाए। आठ घंटे काम लिया जाए। ड्रेस मिलनी चाहिए। -सतीश कुमार, लाइनमैन राघौपुर फीडर

बोले जिम्मेदार

लाइनमैनों की समस्या का समाधान कराने के लिए सर्विस प्रोवाइडर को पत्र लिखा गया है। उन्हें निर्धारित सुरक्षा उपकरण मुहैया कराए जाएंगे। मानदेय का भुगतान समय से कराएंगे। - रमेश चंद्र, अधीक्षण अभियंता विद्युत विभाग

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