बाल विवाह करना एवं कराना दंडनीय अपराध
Hathras News - अक्षय तृतीया के दृष्टिगत बाल विवाह की रोकथाम के लिए बाल विवाह एवं इसके दुष्परिणाम विषय पर कार्यशाला का आयोजन बाल विवाह करना एवं कराना अपराधबाल विवाह

अक्षय तृतीया के दृष्टिगत बाल विवाह की रोकथाम के लिए बाल विवाह एवं इसके दुष्परिणाम विषय पर कार्यशाला का आयोजन हाथरस: राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग व जिलाधिकारी राहुल पांडेय के निर्देशन एवं जिला प्रोबेशन अधिकारी सीमा मौर्या के मार्गदर्शन में कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय टुकसान में महिला कल्याण विभाग ने अक्षय तृतीया पर सम्भावित बाल विवाह के दृष्टिगत 'बाल विवाह विरोधी जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
जिसमें संरक्षण अधिकारी विमल कुमार शर्मा ने समस्त छात्राओं को किशोर न्याय अधिनियम 2015, पोक्सो एक्ट 2012 के साथ बाल विवाह के बारे में विस्तृत रूप से जानकारी दी। किसी भी बालिका जिसने अपनी आयु 18 वर्ष पूर्ण न की हो एवं किसी भी बालक/युवा जिसने अपनी आयु 21 वर्ष पूर्ण न की हो का विवाह कराया जाना प्रतिबंधित है। बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के अंतर्गत बाल विवाह दंडनीय अपराध है और बाल विवाह में प्रतिभाग करने वाले व्यक्तियों पर कानूनी कार्यवाही का प्रावधान किया गया है। बाल विवाह अधिनियम के अंतर्गत बाल विवाह करने वाले व्यस्क पुरुष के लिए एवं बाल विवाह का अनुष्ठान करने वाले व्यक्तियों के लिए 2 वर्ष के कठोर कारावास या/ 1 लाख रुपए तक के जुर्माने का प्रावधान है बाल विवाह करना या कराना एक जघन्य अपराध है जिससे शारीरिक व मानसिक रूप से गंभीर दुष्प्रभाव होते हैं। बाल विवाह की जानकारी होने पर चाइल्ड हेल्पलाइन नम्बर 1098 महिला हेल्पलाइन नम्बर -181 पर सूचित करने के साथ ही पास के पुलिस थाने में अथवा 112- इमरजेंसी नम्बर पर तत्काल सूचना दिये जाने हेतु प्रेरित किया गया।
उपनिरीक्षक निशा चौधरी ने ऑपरेशन जागृति के बारे में विस्तार से बताया साथ ही साइबर अपराध के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करते हुए विषम परिस्थितियों में हेल्पलाइन नंबरों पर सूचना देने के लिए प्रेरित किया गया। वन स्टॉप सेंटर से केस वर्कर नीलम पोरुष द्वारा वन स्टॉप सेंटर के बारे में महिलाओं एवं बालिकाओं को एक ही छत के नीचे पांच प्रकार की सुविधा प्रदान कराई जाने के साथ साथ सभी छात्राओं को अपने आस-पास के लोगों को भी बाल विवाह के दुष्परिणामों के विषय में जानकारी देकर जागरूक करने हेतु प्रेरित किया। विद्यालय की वार्डन शशि बाला ने बाल विवाह समाज के लिए अभिशाप है इससे बालिकाओं /बालक का मानसिक , शारीरिक, शैक्षिक विकास नही हो पाता है असमय विवाह के बंधन में बंधने से बालिकाओं एवं बालक अपने सपनों एवं शिक्षा को पूरा नहीं कर पाते हैं।
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