महाकुंभ का अर्थव्यवस्था पर असर जांचेगी सरकार, 11 जिलों से आमदनी-खर्च का मांगा लेखाजोखा
- यूपी सरकार ने नगर निगमों और निकायों से तीन महीने में तीन साल में हुए आय-व्यय का ब्योरा मांगा है। पिछले दो साल में संगम क्षेत्र में आयोजित माघ मेला से कितनी आय हुई और कितना व्यय हुआ, इसका विवरण मांगा गया है।

महाकुंभ-2025 से उत्तर प्रदेश की आर्थिक स्थिति में क्या बदलाव आया, इसका आकलन शुरू हो गया है। प्रदेश सरकार ने सटिक आकलन के लिए प्रदेश ने 11 जिलों से महाकुंभ मेला के दौरान हुए आय-व्यय का विस्तृत ब्योरा मांगा है। 11 जिलों में प्रयागराज और इसके आसपास के साथ ही प्रदेश के वे जिले भी शामिल किए गए हैं, जहां महाकुम्भ में आए श्रद्धालु गए। नगर निगमों के साथ ही निकायों से भी जानकारी मांगी गई है।
प्रदेश की अर्थ व्यवस्था पर महाकुंभ के प्रभाव का आकलन करने के लिए निदेशक नगर निकाय अनुज कुमार झा ने प्रयागराज,महाकुंभ, वाराणसी, अयोध्या, लखनऊ, मथुरा और आगरा नगर निगमों के अधिशासी अधिकारियों को पत्र भेजा है। निदेशक ने वित्तीय वर्ष 2022-23, 2023-24 और 2024-25 के दौरान दिसंबर, जनवरी और फरवरी में हुए आय-व्यय का ब्योरा देने के लिए कहा है। इनके अलावा सोनभद्र और चित्रकूट के निकायों से भी यही रिपोर्ट मांगी गई है।
निदेशक ने महाकुंभ नगर को भी एक जिला मानकर आय-व्यय की रिपोर्ट मांगी है। पिछले दो साल में संगम क्षेत्र में आयोजित माघ मेला से कितनी आय हुई और कितना व्यय हुआ, इसका विवरण मांगा गया है हालांकि यह पत्र कुम्भ मेला प्रशासन को नहीं भेजा गया है। कयास लगाया जा रहा है कि महाकुम्भ और माघ मेला का आंकड़ा भी प्रयागराज नगर निगम ही भेजेगा। ब्योरा भेजने के लिए शासन से एक प्रारूप भी भेजा गया है। नगर निगम के मुख्य वित्त अधिकारी आरके शर्मा ने बताया कि आय-व्यय की रिपोर्ट तैयार की जा रही है। उच्चाधिकारी के निर्देश पर महाकुम्भ की भी रिपोर्ट नगर निगम भेज सकता है।
तीन साल का मांगा लेखाजोखा
यूपी शासन ने नगर निगमों और निकायों से तीन महीने में तीन साल में हुए आय-व्यय का ब्योरा मांगा है। प्रयागराज, वाराणसी, लखनऊ, आगरा, अयोध्या, आगरा निगमों से निदेशालय ने सूचना मांगी है।