संपत्ति चाहे करोड़ों की हो, नामांतरण शुल्क अधिकतम 10 हजार ही
Jhansi News - झांसी, विष्णु दुबे। प्रदेशभर के नगरीय निकायों में नामांतरण शुल्क के नाम पर चल

झांसी, विष्णु दुबे। प्रदेशभर के नगरीय निकायों में नामांतरण शुल्क के नाम पर चल रही मनमानी वसूली पर शासन ने लगाम कस दी है। संपत्ति की अलग-अलग दरों के हिसाब से नामांतरण शुल्क तय कर दिया गया है। इसके तहत अधिकतम 10 हजार रुपये ही नामांतरण शुल्क लगेगा। इस संबंध में शासन ने नगर निगम (निर्धारण सूची में संशोधन और परिवर्तन) मानक उपविधि 2025 लागू कर दी है। स्थानीय निकाय बोर्ड बैठक में इस उपविधि को अंगीकार करने की मुहर लगाएंगे। प्रदेश के नगरीय निकायों में टैक्स के साथ नामांतरण शुल्क में नगर निगम ने भारी भरकम बढ़ोतरी कर बोर्ड बैठक से प्रस्ताव पास कराकर शहरी जनता पर थोप दिया था।
इसके हिसाब से नामांतरण शुल्क में डीएम सर्किल रेट के हिसाब से रजिस्ट्री का एक प्रतिशत शुल्क लगता था। इस अनियमितता और लोगों के विरोध को देखते हुए शासन ने संशोधन करते हुए उपविधि 2025 लागू कर दी है। शासन का मानना था कि नगरीय निकाय में कर निर्धारण सूची में संशोधन एवं परिवर्तन किए जाने की प्रक्रिया एवं शुल्क आदि की व्यवस्था में भिन्नता एवं अस्पष्टता से जनता को असुविधा हो रही थी। उत्तराधिकारी/रजिस्ट्रीकृत वसीयत में ये रहेगी दरें नगर निगम में विधिक उत्तराधिकारी या रजिस्ट्रीकृत वसीयत के मामले में एक हजार वर्गफीट क्षेत्रफल पर 1000 रुपए शुल्क, 1001 से 2000 वर्गफीट पर 2000 रुपए, 2001 से 3000 वर्गफीट तक 3 हजार रुपए, 3 हजार वर्गफीट तक 5 हजार रुपए निर्धारित किय गया है। वहीं अन्य सभी मामलों में प्रभारों की दर डीएम द्वारा नियत सर्किल रेट या पंजीकरण विलेख में अंकित धनराशि जो अधिक हो, के आधार पर तय होगी। रुपए 5 लाख तक 1 हजार, 5 लाख से 10 लाख तक 2 हजार, 10 लाख से 15 लाख तक 3 हजार, 15 लाख से 50 लाख तक 5 हजार और 50 लाख के ऊपर 10 हजार रुपए शुल्क देना होगा। 100 रुपए शुल्क के साथ ऑनलाइन देना होगा आवेदन सम्पत्ति के स्वामित्व या अध्यासन के हस्तांतरण के संबंध में नगर निगम की वेबसाइट पर प्रपत्र-2 में अपना प्रोफाइल बनाकर ऑनलाइन आवेदन करना होगा। नगर निगम द्वारा निर्धारित आवेदन शुल्क 100 रुपये प्रति आवेदन से अधिक नहीं होगा। नामांतरण मृत्यु के आधार पर, विक्रय पत्र विभाग विलेख व पंजीकृत वसीयत के आधार पर किया जाएगा। इसमें आवेदक को निर्धारित प्रारूप पर जेपीजी फोटो, जेपीजी पहचान प्रमाण पत्र, पीडीएफ शपथ पत्र, पीडीएफ पंजीकृत विक्रय विलेख या दानपत्र/विभाजन विलेख पीडीएफ फाइल में, उत्तराधिकार प्रमाण पत्र पीडीएफ, मृत्यु प्रमाण पत्र पीडीएफ, रजिस्ट्रीकृत वसीयत पीडीएफ, मूल पट्टा विलेख की प्रतिलिपि, पूर्व में जारी नामांतरण पत्र की प्रतिलिपि कोई हो तो लगानी होगी। बोले मुख्य कर निर्धारण अधिकारी नगर निगम के मुख्य कर निर्धारण अधिकारी अवधेश कुमार ने बताया कि शासन ने प्रदेशभर के नगर निकायों के लिए उपविधि 2025 लागू की है। इसके लागू होने से जहां नगर निगम को प्रतिवर्ष चार करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान होगा। वहीं, प्रदेशभर के निकायों की नामांतरण शुल्क में एकरूपता आएगी। उन्होंने कहा कि अभी उक्त प्रस्ताव बोर्ड बैठक में रखा जाएगा। बोर्ड बैठक की स्वीकृति के बाद इसे लागू किया जाएगा।
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