काशी-अयोध्या से वृंदावन तक रंगभरी एकादशी का उल्लास, मंदिरों में होली का उमंग, उमड़ा जनसैलाब
रंगभरी एकादशी के साथ ही होली का उल्लास और चटक हो गया है। सोमवार को काशी विश्वनाथ मंदिर से अयोध्या के रामललाऔर वृंदावन के बांके बिहारी तक होली का खास उमंग देखने को मिला। इस दौरान जनसैलाब उमड़ा रहा।

काशी-अयोध्या और वृंदावन में रंगभरी एकादशी पर मंदिरों में उल्लास और होली का उमंग दिखाई दिया। वृंदावन के बांकेबिहारी मंदिर सहित सप्त देवालयों और परिक्रमा मार्ग में जनसैलाब उमड़ा रहा। सप्त देवालयों में शामिल ठाकुर श्री राधारमण लाल मंदिर में भी आयोजन हुआ। अयोध्या में रामलला संग होली खेलने हनुमानगढ़ी अखाड़े के निशान संग नागा साधु निकले। मंदि -मंदिर होली खेलते हुए नागा संतों ने अयोध्या की पंचकोसी परिक्रमा की। काशी में बाबा विश्वनाथ और माता गौरा को गुलाल अर्पित कर काशी में रंगोत्सव का श्रीगणेश हुआ। विश्वनाथ धाम में रजत पालकी पर सजीं बाबा एवं पार्वती की चल प्रतिमाएं गर्भगृह लाई गईं।
वृंदावन में होली खेल रहे बांकेबिहारी, आज रंग बरस रहा जैसे गीतों की गूंज गुलाल की सतरंगी छटा के बीच कुंज गलियों में सुनाई दी। सोमवार को रंगभरनी एकादशी पर परिक्रमा लगाने और मंदिरों में अपने कान्हा के साथ होली खेलने के लिए जनसमूह उमड़ पड़ा। रंगों के रूप में बरस रही बांकेबिहारी की कृपा पाने को भक्त आतुर दिखे। रंगभरनी एकादशी पर ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर में ठाकुरजी ने चांदी की पिचकारी से भक्तों के साथ होली खेली। मंदिर के गोस्वामियों ने अबीर-गुलाल और टेसू के फूलों से बना रंग भक्तों पर बरसाकर सराबोर कर दिया। इस दिन से मंदिरों में गुलाल के साथ गीली होली की भी शुरूआत हो गई।

बिहारीजी के अलावा सप्त देवालयों जिनमें ठाकुर राधा बल्लभ लाल, ठाकुर मदनमोहन, ठाकुर राधा दामोदर आदि मंदिरों में भी होली का आनंद लेने के लिए बड़ी संख्या में भक्त पहुंचे थे। परिक्रमा दिये जाने की चली आ रही परंपरा का निर्वहन भी आस्था और ऊर्जा के साथ किया गया। एक-दूसरे पर गुलाल की बरसात करते हुए हुरियारों का रेला आगे बढ़ता नजर आया। भोर से शुरू हुई परिक्रमा रात तक चली। पूरा परिक्रमा मार्ग ग़ुलाल से पट गया।
रंगभरनी एकादशी पर आई भीड़ को नियंत्रित करने के लिये जिलाधिकारी सीपी सिंह और डीआईजी शैलेष पाण्डेय ने बांकेबिहारी मंदिर और परिक्रमा क्षेत्र का दौरा किया। शहर के अन्दर चार पहिया वाहनों को प्रतिबंधित किये जाने से बांकेबिहारी मंदिर के अलावा अन्य मंदिरों के सम्पर्क मार्गों पर जाम की स्थिति नहीं बनी। हालांकि इसके चलते श्रद्धालुओं को कई किलोमीटर पैदल चलना पड़ा। यातायात व्यवस्था को दुरुस्त बनाये रखने में स्वयंसेवी समूहों और आरएसएस कार्यकर्ताओं का भी योगदान रहा।

राधारमण लाल ने सोने की पिचकारी से खेली होली
वृंदावन। सप्त देवालयों में शामिल ठाकुर श्री राधारमण लाल मंदिर में रंगभरनी एकादशी पर ठाकुरजी ने गर्भ गृह से बाहर आकर भक्तों के साथ सोने की पिचकारी से होली खेली। ठाकुरजी को टेसू के फूलों से बने रंगों का भोग लगाकर प्रसाद के रूप में भक्तों पर उड़ेला गया। शाम के समय विशेष उत्सव आरती हुई।
ठाकुरजी को पीले रंग के वस्र धारण कराकर सोने की पिचकारी से टेसू के फूलों से बना रंग उनके वस्त्रों पर डाला। इसके बाद सेवाधिकारियों ने ठाकुरजी का प्रसादी रंग और गुलाल भक्तों पर बरसाया। देश-विदेश से आए भक्त जन अपने ऊपर रंग प्रसादी रंग डलने पर झूम उठे और जयकारे लगाने लगे। भक्तजन भक्ति के रंग में सराबोर हो गए। मंदिर के सेवायत पद्मनाभ गोस्वामी, अनुराग गोस्वामी ने बताया कि होला अष्टमी से पूर्णिमा तक ठाकुरजी गर्भगृह से बाहर जगमोहन में भक्तों से होली खेलने के लिये विराजमान होते हैं। आठ दिन वह श्वेत रंग की पोशाक धारण करेंगे। शाम के समय उनकी उत्सव आरती की जाएगी।

अयोध्या: रामलला संग होली खेलने हनुमानगढ़ी अखाड़े के निशान संग निकले नागा साधु
अयोध्या। फाल्गुन शुक्ल एकादशी के पर्व पर सोमवार को रंगभरी एकादशी हर्षोल्लास से मनाई गई। राम मंदिर में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के बाद दूसरी होली के उल्लास को कई गुना बढ़ा दिया। इस उल्लास का प्रदर्शन हनुमानगढ़ी व श्रीरामजन्मभूमि से लेकर मंदिर-मंदिर दिखाई दिया। हनुमानगढ़ी में आचार्य परम्परा के अनुसार नागा संतों ने सबसे पहले आराध्य को अबीर-गुलाल चढ़ा कर प्रतीकात्मक होली खेली और अपनी श्रद्धा निवेदित की। पुनः एक-दूसरे को रंगों से सराबोर किया। इस दौरान बैंड-बाजा की धुन पर थिरकते श्रद्धालुओं पर भी नागा संतों ने अबीर-गुलाल उड़ेल कर उनके आनंद की अभिवृद्धि की।
उधर होली खेलने के उपरांत मंदिर के पुजारियों ने अखाड़े के निशान व दंड-छड़ी को गर्भगृह से बाहर लाकर आरती-पूजा की। फिर इस निशान को लेकर मंदिर से बाहर आए और परम्परागत पंचकोसी परिक्रमा के लिए निकल पड़े। इसके पहले सागरिया पट्टी महंत ज्ञानदास व गद्दी नशीन महंत प्रेमदास का भी युवा संतों ने आर्शीवाद लिया। इस मौके पर हनुमत लला के दर्शन के लिए कतारबद्ध श्रद्धालुओं की भीड़ को कुछ समय के लिए रोक दिया गया।
इस बीच नागा संतों की टोली करतब दिखाते और अबीर-गुलाल की मस्ती चहुंओर बिखेरते हुए राम पथ पर आगे बढ़ी तो सबसे पहले निशान का स्वागत कोतवाली के सामने प्रभारी निरीक्षक मनोज कुमार शर्मा ने अपने सहयोगियों के साथ किया। फिर उन्हें भी संतों ने अबीर-गुलाल से सराबोर कर दिया। इसके बाद निशान के साथ संतों का मंदिरों में जाने का सिलसिला शुरू हुआ तो होली का हुड़दंग इस कदर मचा मानो होली का मुख्य त्योहार मनाया जा रहा हो। मंदिरों में साधु-संतों ने पहले टंकियों में रंगों का घोल तैयार कर रखा था। हनुमानगढ़ी के नागाओं के पहुंचने के बाद सबसे पहले निशान की आरती-पूजा की गयी। फिर मिष्ठान से स्वागत कर रंगों से खूब नहलाया गया और पुनः यथायोग्य विदाई दी गई।

कड़ी सुरक्षा के बीच पूरी हुई परिक्रमा:
यह क्रम पूरे परिक्रमा पथ पर चलता रहा। इनमें राजगोपाल मंदिर, गोस्वामी तुलसीदास छावनी, खड़ेश्वरी आश्रम, खाकचौक, हनुमान बाग, मणिराम छावनी, रामवल्लभा कुंज, जानकी घाट बड़ा स्थान, बड़ा भक्तमाल, तपस्वी छावनी, विद्याकुंड चरण पादुका व रगड़े बाबा आश्रम प्रह्लाद घाट, सियाराम किला, लक्ष्मण किला व हनुमत सदन आदि में होली खेली गयी। इस परिक्रमा में सागरिया पट्टी महंत ज्ञानदास के उत्तराधिकारी महंत संजय दास, गद्दी नशीन महंत प्रेम दास के उत्तराधिकारी महंत डा. महेश दास, हरिद्वारी पट्टी महंत राजेश दास, महंत बलराम दास, महंत राजू दास, पुजारी हेमंत दास, रत्नेश दास, अंकित दास व अभिषेक दास समेत अन्य मौजूद रहे। पूरी यात्रा में रामजन्म भूमि थाना के प्रभारी निरीक्षक भी फोर्स के साथ शामिल रहे।
रामलला के दरबार में एकादशी पर हुई विशेष राग-सेवा
उधर रंगभरी एकादशी के पर्व पर रामलला के दरबार में भी अबीर-गुलाल उड़ाकर रामलला के आगमन के साथ पर्व का उल्लास प्रदर्शित हुआ। इस मौके पर पुजारियों ने रामलला के श्रीविग्रह के कपोलों पर सुगंधित गुलाल इस तरह से लगाया कि उनका उनके मुखमंडल की आभा दमकने लगी। एकादशी के चलते सोमवार को भगवान को मेवा मिष्ठान के अलावा फलाहार का भोग लगाया गया। वहीं महापौर व तिवारी मंदिर के महंत गिरीश पति त्रिपाठी समेत मंदिर परम्परा के शास्त्रीय गायक मधुकरिया संत मिथिला बिहार दास उर्फ एमबी दास व रामनंदन शरण ने श्री राम लला को अपनी राग सेवा दी। रंगोत्सव के इस अवसर पर ठाकुरजी को होली के गीत सुनाए गए जिसको सनकर सभी लोग मंत्रमुग्ध हो गए।
बाबा विश्वनाथ और माता गौरा को गुलाल अर्पित कर काशी में रंगोत्सव का श्रीगणेश
वाराणसी। श्रीकाशी विश्वनाथ धाम में श्रद्धालुओं और काशीवासियों ने महादेव एवं मां गौरा को फूलों की पंखुड़ियां, अबीर-गुलाल अर्पित किए। फूलों से सुसज्जित रजत पालकी पर विराजमान बाबा विश्वनाथ एवं माता गौरा की मनभावन चल रजत प्रतिमा की धाम में शोभायात्रा निकाली गई। गोधूलि बेला में मंदिर चौक से डमरू के गगनभेदी नाद और शंख की मंगल ध्वनि के बीच शास्त्रियों ने चल प्रतिमाओं का पूजन-अर्चन किया।
मंदिर प्रांगण में रंगभरी एकादशी के पूजन अनुष्ठान प्रातः काल से ही शुरू हो गए थे। महादेव एवं मां गौरा की चल रजत प्रतिमा का शास्त्रीय विधि से पूजन हुआ। मंदिर न्यास की ओर से महादेव एवं गौरा को वस्त्र, चंदन, भस्म, पुष्प, अबीर-गुलाल, भोग, मेवा मिष्ठान अर्पित किए गए। पूजन के बाद रजत पालकी पर बाबा विश्वनाथ के साथ मां गौरा को मंदिर चौक लाया गया। वहां भक्तों ने पुष्प, अबीर-गुलाल अर्पित करने के साथ दर्शन लाभ लिया। फिर आपस में अबीर-गुलाल लगाकर रंगोत्सव की खुशियां बांटते रहे। रंगभरी एकादशी उत्सव में विश्वेश्वर का प्रांगण उमंग और उत्साह से सराबोर रहा।
सांध्य बेला में बही भजन सरिता
रंगभरी एकादशी के तीन दिवसीय उत्सव के तीसरे एवं अंतिम दिन सोमवार को सायंकाल मंदिर चौक के शिवार्चनम मंच पर सुर-ताल की सरिता प्रवाहित हुई। श्रद्धालुओं ने उसमें जमकर गोता लगाया। कलाकारों ने महादेव एवं माता गौरा से संबंधित भजनों की प्रस्तुति से श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। प्रस्तुतियों के साथ वे देर शाम तक झूमते रहे।
नागा साधुओं ने खेली भस्म से होली
वाराणसी। मसान की होली को लेकर हो रहे तर्क-वितर्क के बीच सोमवार को हरिश्चंद्र घाट पर इसका आयोजन किया गया। काशी मोक्षदायिनी सेवा समिति की ओर से आयोजित मसाने की होली में नागा साधुओं, जिनमें काफी संख्या में देसी-विदेशी महिलाएं भी शामिल रहीं, ने जमकर भस्म की होली खेली।
यह पहला अवसर था जब मसाने की होली में हैवी साउंड सिस्टम का उपयोग नहीं किया गया। डमरुओं के निनाद और हरहर महादेव के घोष के बीच साधु-संतों ने एक दूसरे पर जमकर भस्म की बौछार की। जटाजूट बांधे, बदन में रुद्राक्ष के बड़े-बड़े दानों से बनी मालाओं का शृंगार किए साधु संतों ने प्रतीकात्मक रूप से बाबा विश्वनाथ के साथ होली खेली। इस मौके पर बड़ी संख्या में गृहस्त और युवतियां भी पहुंच ही गईं। जबकि आयोजकों ने महिलाओं से इस होली में शामिल न होने का बार-बार अनुरोध किया था।
हरिश्चंद्र घाट पर भस्म की होली से पूर्व आकर्षक शोभायात्रा निकाली गई। रवींद्रपुरी स्थित बाबा कीनाराम की जन्मस्थली से विशाल शोभायात्रा निकाली गई। शोभायात्रा में बाबा कीनाराम, कालूराम, बाबा मसानाथ का चित्र बग्गी पर रखा गया। डमरू दल के साथ घोड़े पर भोलेनाथ के पांच स्वरूप भी शोभायात्रा में शामिल किए गए। तरह तरह की देव झांकियां शोभायात्रा का विशेष आकर्षण रहीं। ढोल, नगाड़ा की थाप और बैंड पार्टी द्वारा बजाए जा रहे होली गीतों पर उत्साही युवाओं ने जी भर के नृत्य किया। आईपी विजया, भेलूपुर थाना, सोनारपुर होते हुए शोभायात्रा हरिशचंद्र घाट पहुंची। घाट पर पहुंचने के बाद बाबा मसाननाथ का विधि-विधान से पूजन अर्चन किया गया।