अस्पताल में महिला की मौत, परिजनों ने काटा हंगामा
Kannauj News - तिर्वा में एक हफ्ते में दूसरी महिला की इलाज के दौरान मौत से हड़कंप मच गया। परिजनों ने अस्पताल पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए हंगामा किया। स्वास्थ्य विभाग ने अस्पताल को सीज कर दिया। यह मामला तब और गंभीर...

तिर्वा, संवाददाता। एक हफ्ते पहले निजी अस्पताल में इलाज में लापरवाही से छात्रा की मौत का मामला शांत भी नहीं हुआ था कि शनिवार को एक और महिला की इलाज के दौरान मौत हो गई। इससे हड़कंप मच गया। घटना से गुस्साए परिजनों ने लापरवाही का आरोप लगाकर हंगामा शुरू कर दिया। हंगामे की जानकारी होते ही एसडीएम, सीओ व कोतवाल भी मौके पर पहुंच गए। उधर सूचना पर स्वास्थ्य विभाग की टीम भी अस्पताल आ पहुंची। अवैध रूप से संचालित अस्पताल को सीज कर दिया गया। पुलिस ने महिला के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। औरेया के खग्गीपुर गावं निवासी गीता देवी (45) पत्नी दिनेश कुमार ठठिया थाना क्षेत्र के नौसारा गांव में अपने बहन के घर आई थी।
यहां उसको बुखार आ गया। शुक्रवार को हालत गंभीर हुई, तो परिजन उसको लेकर तिर्वा कस्बे में स्थित केबीएम नर्सिंग अस्पताल में लेकर पहुंचे। यहां शनिवार को इलाज के दौरान अचानक उसकी मौत हो गई। महिला की मौत की जानकारी होते ही परिजनों में कोहराम मच गया। परिजनों में इलाज में लापरवाही बरतने का आरोप लगाते हुए अस्पताल परिसर में हंगामा काटना शुरू कर दिया। अस्पताल में हंगामा होने की जानकारी होते ही एसडीएम अशोक कुमार, सीओ डॉ.प्रियंका बाजपेई व कोतवाली वीरेन्द्र विक्रम सिंह भारी पुलिस बल के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए। यहां एसडीमए व सीओ ने हंगामा कर रहे ग्रामीणों को समझाने का प्रयास किया, लेकिन वह नहीं माने। उधर घटना की जानकारी पर कन्नौज से स्वास्थ्य विभाग की एक टीम अस्पताल पहुंच गई। करीब दो घण्टे तक चले हंगामा के बाद किसी प्रकार परिजन मान गए। इसपर तिर्वा पुलिस ने शव का पंचनामा भरकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। स्वास्थ्य विभाग की टीम ने अवैध रूप से चल रहे नर्सिंग होम के मुख्य द्वार पर ताला लगाकर उसको सीज कर दिया। मामले में एसीएमओ ने बताया कि अस्पताल का कोई पंजीकरण नहीं था। यह अस्पताल अवैध रूप से चल रहा था। जिसके चलते अस्पताल को सीज कर दिया गया है। उच्च नेताओं के हस्तक्षेप के बाद हुआ समझौता तिर्वा। महिला की मौत के बाद परिजनों द्वारा किए जा रहे हंगामे को लेकर सत्ता पक्ष से जुड़े कई नेता भी मामले को शांत कराने में जुट गए। कई बड़े नेताओं के हस्तक्षेप के बाद दोनों पक्षों में समझौता कराया जा सका। जिससे अस्पताल संचालक के खिलाफ परिजनों ने कोई तहरीर पुलिस को नहीं दी। उधर मामले में कोतवाल ने बताया कि उनको कोई तहरीर नहीं मिली है। तहरीर मिलती है, तो मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई की जाएगी। घटना के बाद जागता प्रशासन तिर्वा। कस्बे में इन दिनों करीब आधा सैकड़ा से अधिक नर्सिंग होम संचालित हो रहे हैं। जो मानकों को ताक पर रखकर मरीजों का इलाज करते हैं। इसी कारण अक्सर मरीज की मौत हो जाती है। पिछले दिनों छिबरामऊ में भी इसी प्रकार एक अबैध नर्सिंग होम में उपचार से छात्रा की मौत हुई थी। यह मामला अभी तक लोग भूल नहीं पाए, तब तक तिर्वा में भी एक महिला की मौत गलत उपचार के चलते हो गई। सवाल यह है कि जब यह अस्पताल बिना पंजीकरण व बिना मानक के चल रहे हैं, तो इन पर स्वास्थ्य विभाग कोई कार्रवाई क्यों नहीं करता है। लोगों की मौत के बाद ही प्रशासन मात्र उक्त अस्पताल को सीज कर खानापूर्ति कर देता है।
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