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जिले में कई हैं प्राइवेट प्रैक्टिस करने वाले सरकारी डॉक्टर

Kushinagar News - कुशीनगर में सरकारी डॉक्टरों के लिए नॉन प्रैक्टिस एलाउंस के बावजूद प्राइवेट प्रैक्टिस करने वाले 17 डॉक्टरों का नाम सामने आया है। इनमें बलरामपुर, हाथरस और कुशीनगर के डॉक्टर शामिल हैं। इनकी गोपनीय जांच...

Newswrap हिन्दुस्तान, कुशीनगरTue, 8 April 2025 08:35 AM
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जिले में कई हैं प्राइवेट प्रैक्टिस करने वाले सरकारी डॉक्टर

कुशीनगर। सरकारी अस्पतालों के डॉक्टरों को सरकार एक तो वेतन के रूप में मोटी धनराशि देती है। इसके बाद भी इन्हें प्राइवेट प्रैक्टिस न करनी पड़े, इसलिए नॉन प्रैक्टिस एलाउंस (एनपीए) भी देती है। फिर भी अपनी प्राइवेट प्रैक्टिस बरकरार रखने के लिए ऐसे अनेंक सरकारी डॉक्टर हैं कि ओपीडी निपटाते ही अपने घर, आवास या निजी अस्पताल चले जाते हैं। ऐसे डॉक्टरों की गोपनीय जांच के बाद प्रदेश में 17 के नाम सामने आने पर इनमें हड़कंप मच गया है। हालांकि, जिले में ऐसे और भी डॉक्टर हैं, जो सरकारी नौकरी में होते हुए प्राइवेट प्रैक्टिस बेरोकटोक कर रहे हैँ।

अभी पिछले मंगलवार को ही प्रदेश के डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने अपने एक्स आईडी पर पोस्ट किया था कि सरकार से नॉन प्रैक्टिस एलाउंस लेने के बावजूद प्राइवेट प्रैक्टिस करने वाले 17 डॉक्टर चिह्नित किए गए हैं। इनमें बलरामपुर जिले के 10, हाथरस के छह डॉक्टरों के अलावा कुशीनगर जिले के एक चिकित्साधिकारी का नाम था। जिले के यह चिकित्साधिकारी एसीएमओ जैसे महत्वपूर्ण पद पर रहते हुए भी प्राइवेट प्रैक्टिस में संलिप्त पाए गए हैं, जिसके बाद इनका नाम भी जांच सूची में आया है। इन सभी के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई किए जाने के लिए प्रमुख सचिव, चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण को निर्देशित किया गया है।

ये तो वे डॉक्टर हैं, जो शासन स्तर पर कराई गई जांच में सामने आए हैं, लेकिन जिले के सरकारी अस्पतालों में कार्यरत कई ऐसे डॉक्टर हैं, जो यहां रात्रि निवास नहीं करते। गोरखपुर या अन्य बड़े शहरों से आकर नौकरी करते हैं। ओपीडी में आते विलंब से हैं और जाते जल्दी हैं। मेडिकल कॉलेज से लगायत सीएचसी-पीएचसी या अन्य सरकारी अस्पतालों में ओपीडी का समय सुबह आठ बजे से दोपहर दो बजे तक है, लेकिन न तो सरकारी डॉक्टर सुबह आठ बजे पहुंच पाते हैं और न दोपहर दो बजे तक रुकते हैं।

सूत्र बताते हैं कि ऐसे डॉक्टर सरकारी नौकरी से अधिक प्राइवेट प्रैक्टिस को तरजीह देते हैं। यहां तक कि कुछ ऐसे भी डॉक्टर हैं, जो सरकारी अस्पतालों में कार्यरत रहते हुए वहां आने वाले मरीजों को अपने उस निजी अस्पताल या अपने आवास पर भेज देते हैं, जहां वे प्राइवेट प्रैक्टिस करते हैं। यदि ठीक से जांच हो जाए तो जिले में ऐसे कई डॉक्टर प्राइवेट प्रैक्टिस करते मिल जाएंगे।

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