Liver Health Importance Risks and Prevention Tips for Hepatitis विश्व यकृत दिवस आज : मेडिकल कॉलेज की ओपीडी में हर 20वां मरीज लिवर का रोगी, Kushinagar Hindi News - Hindustan
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विश्व यकृत दिवस आज : मेडिकल कॉलेज की ओपीडी में हर 20वां मरीज लिवर का रोगी

Kushinagar News - कुशीनगर में यकृत (लिवर) की सेहत पर ध्यान देना आवश्यक है। लिवर कई महत्वपूर्ण कार्य करता है, और इसके खराब होने से हैपेटाइटिस, सिरोसिस और कैंसर जैसी बीमारियाँ हो सकती हैं। लिवर को स्वस्थ रखने के लिए...

Newswrap हिन्दुस्तान, कुशीनगरSat, 19 April 2025 09:52 AM
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विश्व यकृत दिवस आज :  मेडिकल कॉलेज की ओपीडी में हर 20वां मरीज लिवर का रोगी

कुशीनगर। हमारे शरीर के सबसे महत्वपूर्ण अंगों में से एक यकृत (लिवर) का विशेष ध्यान रखना उतना ही जरुरी है, जितना कि शरीर के बाकी अंगों का। इसे हमारे शरीर का मूक नायक कहा गया है, जो पाचन, विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने और पोषक तत्वों के भंडारण जैसे अनगिनत कार्य करता है, लेकिन अगर इसका फंक्शन गड़बड़ होने लगे तो हैपेटाइटिस ए, बी, सी, डी और ई के अलावा वायरल इंफेक्शन, ब्लडप्रेशर, हाइपरटेंशन, डाइबिटीज, फैटी लिवर, सिरोसिस और लिवर कैंसर जैसी बीमारियां हो सकती हैं। इस बीमारी की गंभीरता का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि जनपद मुख्यालय स्थित मेडिकल कॉलेज में पहुंचने वालों में औसतन हर 20वां मरीज लिवर का मिल रहा है। मेडिकल कॉलेज के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. उपेंद्र चौधरी बताते हैं कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक विश्वभर में हर साल लाखों लोग यकृत रोगों के कारण प्रभावित होते हैं। भारत में नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज और हैपेटाइटिस बी एवं सी के मामले चिंताजनक रूप से बढ़ रहे हैं। इनका मुख्य कारण अस्वास्थ्यकर आहार, मोटापा, अत्यधिक शराब का सेवन और वायरल इन्फेक्शन है।

इन लक्षणों को न करें नजरअंदाज

त्वचा और आंखों का पीलापन (जॉन्डिस), लगातार थकान और कमजोरी, पेट में दर्द या सूजन, भूख न लगना या वजन में असामान्य बदलाव। यदि ये लक्षण दिखें तो तुरंत चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए। प्रारंभिक निदान और उपचार यकृत रोगों को नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं।

यकृत को स्वस्थ रखने के आसान उपाय

डॉक्टरों के मुताबिक इस विश्व यकृत दिवस पर छोटे-छोटे कदम उठाकर अपने यकृत को स्वस्थ रखा जा सकता है। पौष्टिक आहार लें। फल, सब्जियां, साबुत अनाज और प्रोटीनयुक्त भोजन को प्राथमिकता दें। तैलीय और प्रोसेस्ड भोजन से बचें। भरसक शराब से पूरी तरह दूरी बनाएं अथवा शराब का सेवन सीमित करें। वजन नियंत्रित करें। नियमित व्यायाम और संतुलित आहार से मोटापे को रोकें। इसके अलावा हैपेटाइटिस ए और बी के टीके अवश्य लगवाएं। लिवर फंक्शन टेस्ट (एलएफटी) और अन्य जांच समय-समय पर करवाएं। असुरक्षित यौन संबंध, दूषित सुइयों और अनहाइजीनिक टैटू से बचें। जागरूकता, स्वस्थ आहार, सक्रिय जीवनशैली और नियमित जांच इससे बचाव का प्रमुख माध्यम है।

लिवर के मरीज को पांचों प्रकार के हैपेटाइटिस ए, बी, सी, डी और ई होने का खतरा रहता है। इसमें हैपेटाइटिस बी और सी संक्रमित खून चढ़ने की वजह से होता है, अगर हैपेटाइटिस के किसी मरीज का खून गलती से चढ़ जाए। इसके अलावा हैपेटाइटिस ए, डी और ई ओरल अर्थात खाने-पीने वाली वस्तुएं यदि बिना अच्छी तरह साफ किए ली जाएं, तो ये बीमारियां हो सकती हैं। लिवर रोगी को डाइबिटीज, ब्लडप्रेशर, हाइपरटेंशन जैसे रिस्क फैक्टर हो सकते हैं। हैपेटाइटिस सी की जांच के लिए मेडिकल कॉलेज में पीसीआर लैब बन गया है और इलाज की सुविधा भी उपलब्ध हो गई है। इसलिए झाड़फूंक या इधर-उधर इलाज के बजाय मरीज को सीधे मेडिकल कॉलेज ले आएं। हैपेटाइटिस बी ठीक होने पर भी मरीज का इलाज जीवन भर चलता है, क्योंकि ठीक होने पर भी इसके वायरस शरीर में रह जाते हैं।

डॉ. दीन मोहम्मद

वरिष्ठ फिजिशियन एवं नोडल, मेडिकल कॉलेज, कुशीनगर

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