लूट तो मैंने की, एनकाउंटर किसी और का हो गया, लुटेरा खुद आया सामने, खोली यूपी पुलिस की पोल
यूपी पुलिस पर अब फर्जी एनकाउंटर का आरोप एक ऐसे व्यक्ति ने लगाया है जो खुद कह रहा है कि सहारनपुर में जनसेवा केंद्र में लूट तो मैंने की थी लेकिन पुलिस ने दो निर्दोष युवकों का एनकाउंटर करके घटना का खुलासा कर दिया है।

यूपी पुलिस पर फर्जी एनकाउंटर करने के आरोप तो मुख्य विपक्षी पार्टी सपा लगातार लगाती ही रहती है। अब फर्जी एनकाउंटर का आरोप एक ऐसे व्यक्ति ने लगाया है जो खुद कह रहा है कि सहारनपुर के जनसेवा केंद्र में लूट तो मैंने की थी लेकिन पुलिस ने दो निर्दोष युवकों का एनकाउंटर करके घटना का खुलासा कर दिया है। यही नहीं, यह व्यक्ति कह रहा है कि लूट में केवल 6900 रुपए ही लूटे गए थे लेकिन पुलिस एनकाउंटर में 25 हजार रुपए बरामद होने का दावा कर रही है। आखिर बाकि रुपए पुलिस को कहां से मिले और किसने दिए।
सहारनपुर के एक जनसेवा केंद्र में चार बदमाशों ने असलहे के दम पर लूटपाट की थी। पूरी घटना भी सीसीटीवी में कैद हो गई थी। इस लूट का वीडियो भी खूब वायरल हुआ था। इस लूट को छह लोगों के साथ अंजाम देने वाले बदमाश ने अब अपना वीडियो बनाकर वायरल किया है। इस वीडियो को जो भी देख रहा है पुलिस की कारस्तानी पर हंस रहा है। हालांकि पुलिस की सफाई भी इस बारे में सामने आई है।
सबसे पहले जानिए जनसेवा केंद्र में क्या हुआ था
यहां के अंबेहटा पीर के मुख्य बाजार में एसबीआई बैंक के सामने अखिलेश जैन का जनसेवा केंद्र है। 21 दिसंबर को दो बाइकों पर सवार होकर 4 नकाबपोश बदमाश केंद्र में घुस आए थे। काउंटर पर पहुंचते ही कर्मचारियों पर दो बदमाशों ने बंदूक तान दी। इसके बाद कैश की दराज खीचकर कर्मचारियों के सामने रख दी थी। इसमें मौजूद पूरे रुपए लूट ले गए थे। जनसेवा संचालक ने डेढ़ लाख की लूट बताई थी। पूरी घटना भी सीसीटीवी में कैद हो गई थी। अखिलेश यादव और कांग्रेस ने भी सीसीटीवी के वीडियो को पोस्ट कर योगी सरकार पर निशाना साधा और कानून व्यवस्था पर सवाल खड़ा किया था।
पुलिस ने छह दिन बाद 27 दिसंबर को तीन अलग-अलग मुठभेड़ों में निखिल, जुनैत और अभिषेक का हाफ एनकाउंटर (पैर में गोली मार) करके गिरफ्तारी दिखाई। चौथे इस्तखार को पकड़ा था। इन लोगों के पास से 25 हजार रुपए बरामदी दिखाई थी।
तब एसपी देहात सागर जैन ने बताया था कि विन्नी नागर लूट में शामिल था। वह 25 हजार रुपए का इनामी है। अब उस पर 50 हजार का इनाम घोषित करेंगे। इसे लेकर डीआईजी को लेटर भेजा है। घटना में विन्नी नागर समेत 4 लोग फरार हैं। जिन्हें जल्द पकड़ा जाएगा।
लूटेरा विन्नी नागर ने वीडियो में क्या कहा
मंगलवार को विन्नी नागर का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। वही विन्नी नागर जिसे पुलिस लूट में मुख्य आरोपी बताकर 50 हजार का इनामी बनाने की तैयारी में जुटी थी। विन्नी नागर ने वीडियो में अपना अपराध स्वीकार भी किया है। कहा कि मैंने जनसेवा केंद्र में लूट की थी, लेकिन पुलिस ने एनकाउंटर में 2 बेगुनाह लड़कों के पैर में गोली मारकर गिरफ्तारी दिखा दी है।
उसने फेसबुक पर वीडियो अपलोड कर न सिर्फ पुलिस की कहानी को झूठी करार दिया है बल्कि जनसेवा केंद्र से लूटी गई रकम को लेकर भी सवाल खड़ा कर दिया है। उसने बताया कि लूट के वक्त हम 6 लोग थे। चार लोग अंदर गए थे। मैं और एक अन्य बाहर बाइक के पास खड़े थे। कहा कि पुलिस ने मामले में खैरसाल गांव के ही निखिल और इस्तखार को गलत फंसाया। दोनों के पैर में गोली मार दी। उन्हें घटना के बारे में कुछ पता नहीं था।
निखिल के पास कोई पैसा नहीं था। पुलिस ने निखिल से 23 हजार रुपए बरामद कैसे दिखा दिए। निखिल मजदूरी करता है। प्रधान ने ही उसे पुलिस को सौंपा था। इसके बाद मुठभेड़ में उसे गिरफ्तार दिखाया गया है। कहा कि निखिल को तो पता ही नहीं था कि कोई लूट हुई है। वह तो शराब पीने आया था।
उसने कहा कि जुनैद लूट में शामिल था, लेकिन उसका भाई इस्तखार लूट में शामिल नहीं था। उसे भी बदमाश बना दिया। जनसेवा केंद्र संचालक ने डेढ़ लाख रुपए की लूट दिखाई। जबकि गल्ले में केवल 6900 रुपए थे। उसने यह भी बताया कि कितने-कितने का नोट था। कहा कि 700 की रेजगारी थी और 6200 रुपए के नोट थे। उसने यह भी कहा कि सीसीटीवी में भी सब कुछ दिख रहा है।
दारोगा को लूट से पहले ही बता दिया था
वीडियो में लूटेरा विन्नी नागर यह भी कह रहा है कि लूट से पहले से दारोगा को फोन कर बता दिया था कि कोई वारदात होने वाली है। उनको बताया था कि गांव में बाहर के तीन बदमाश घूम रहे हैं। तीनों तमंचा और कारतूस ले रहे हैं। उसने समय भी बताया कि कब दारोगा से उसकी बात हुई थी। कहा कि दारोगा इसके बाद भी गांव में नहीं आए। कहा कि वही तीनों लोग शराब पीने के दौरान मिल गए और मैं भी उनके साथ लूट में शामिल हो गया। उसने माना कि वह तीनों को पहले से नहीं जानता था।
अपने अपराधी बनने की कहानी भी उसने बताई है। 2011 में मुझे भी धारा-376 और एससी-एसटी एक्ट में फंसाकर रंजिशन जेल भेजा था। मुझे 7 साल की सजा हुई। ढाई साल बाद हाईकोर्ट ने मुझे बरी कर दिया। इसके बाद दोस्त के कहने पर मारपीट करने गया तो मेरे खिलाफ डकैती का मामला दर्ज हो गया। पुलिस को सच बताया। मगर पुलिस ने चार और मुकदमे लगा दिए। अब मेरे पर 19 मुकदमे हो चुके हैं।
पुलिस की सफाई
वहीं पुलिस की भी इस पर सफाई आई है। पुलिस के अनुसार लूटेरे के वायरल वीडियो पर कहा कि उस लूट में आठ लोग शामिल थे। इनमें पांच की गिरफ्तारी हुई थी। यह जो आरोप लगा रहा है पूरी तरह से बेबुनियाद है। यह पेशेवर अपराधी है। इस पर 19 मुकदमे दर्ज हैं। ज्यादातर लूट और डकैती के ही मुकदमे हैं।