Major Revelations in Defense Corridor Land Scam Fraudulent Transactions Exposed सुनियोजित षडयंत्र के तहत पहले जमीनों का हुआ बैनामा, Lucknow Hindi News - Hindustan
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सुनियोजित षडयंत्र के तहत पहले जमीनों का हुआ बैनामा

Lucknow News - डिफेंस कॉरिडोर के लिए लखनऊ के भटगांव में भूमि अधिग्रहण में नियमों की अनदेखी की गई है। रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि जमीनें पांच से छह लाख रुपये में खरीदी गईं और चहेतों को मोटा मुआवजा दिया गया। यह सब एक...

Newswrap हिन्दुस्तान, लखनऊTue, 25 March 2025 08:12 PM
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सुनियोजित षडयंत्र के तहत पहले जमीनों का हुआ बैनामा

- डिफेंस कॉरिडोर जमीन घोटाले में हुए कई बड़े खुलासे - पांच-छह लाख रुपये में बैनामा कागजों पर लगवाए अंगूठे

लखनऊ- विशेष संवाददाता

डिफेंस कॉरिडोर के लिए लखनऊ के भटगांव में भूमि अधिग्रहण के लिए खूब नियमों की अनदेखी हुई। सुनियोजित षडयंत्र के तहत जमीनों का बैनामा करा लिया गया। जमीनें पांच से छह लाख में ली गई और चहेतों को मोटा मुआवजा दिलाए गए। मंडलायुक्त की अध्यक्षता में गठित समिति की रिपोर्ट में इस खुलासे का जिक्र राजस्व परिषद की रिपोर्ट में किया गया है।

राजस्व परिषद की रिपोर्ट में कहा गया है कि इससे पता चलता है कि आवंटियों द्वारा असामान्य तरीके से भूमि का क्रय विक्रय मुआवजा धनराशि लिया गया। कथित आवंटन पत्रावली के आधार पर असंक्रमणीय भूमिधर के रूप में नाम दर्ज कराने, संक्रमणीय घोषित कराने, अनुसूचित जाति के व्यक्तियों को विक्रय की अनुमति दिलाने और बैनामे के बाद तुरंत किसी को स्थानांतरित करना एक सुनियोजित षडयंत्र है। उदाहरण के तौर पर बद्री पुत्र रामचरण के वारिसान रामकली द्वारा मंडलायुक्त की अध्यक्षता में गठित समिति के समक्ष दिए बयान में कहा है कि रामसजीवन लखनऊ में रहते हैं और हमें पांच-छह लाख रुपये दिए और बैनामे पर अंगूठा लगवा लिया।

बाबूलाल की जमीन 19 अगस्त 2021 को असंक्रमणीय घोषित हुई, लेकिन उनके द्वारा उसके पहले ही 5 जून 2021 को सूरज मिश्रा को विक्रय अनुबंध कर दिया गया। अंकित के वारिसानों द्वारा विभिन्न लोगों के पक्ष में संक्रमणीय घोषित होने से पहले ही विक्रय अनुबंध कर दिया गया। इसी तरह अन्य कई लोगों के नामों का उल्लेख जांच रिपोर्ट में किया गया है। एक ने तो यहां तक बयान दिया है कि जमीन पर गेहूं बोया था, मुझे डेढ़ लाख रुपये देकर जमीन बेचने का दबाव बनाया गया।

राजस्व परिषद की जांच में रिपोर्ट में कहा गया है कि इन तथ्यों से स्पष्ट है कि कथित आवंटियों की भूमि पर कब्जा न होने के बाद भी राजस्व अधिकारियों व कर्मचारियों द्वारा साठ-गांठ कर अभिलेखों में नाम दर्ज करवाए गए। यह सब सुनियोजित साजिश के तहत किया गया, जिससे सरकारी धन को क्षति पहुंचाई गई।

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