New Angioplasty Technique Successfully Treats Chronic Total Occlusion in Lucknow वायर से दूर कर रहे दिल की नस की रुकावट, Lucknow Hindi News - Hindustan
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वायर से दूर कर रहे दिल की नस की रुकावट

Lucknow News - -इंडो-जापानीज़ सीटीओ क्लब की तीन दिवसीय कॉन्फ्रेंस कल से -600 कार्डियोलॉजिस्ट दिल के रोगों के

Newswrap हिन्दुस्तान, लखनऊWed, 28 May 2025 09:27 PM
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वायर से दूर कर रहे दिल की नस की रुकावट

लखनऊ, कार्यालय संवाददाता यदि दिल की नस पूरी तरह से बंद (ब्लॉकेज) है। यह रुकावट एंजियोप्लास्टी से खोलना मुमकिन नहीं है। इसे चिकित्सा भाषा में क्रॉनिक टोटल ऑक्लूजन (सीटीओ) कहते हैं। कार्डियोलॉजिस्ट इन रोगियों को बाईपास सर्जरी की सलाह देते हैं। वहीं पीजीआई, केजीएमयू, मेदांता समेत दूसरे अस्पताल हर वर्ष करीब 250 से अधिक रोगियों को बाइपास सर्जरी से बचा रहे हैं। इनके दिल की नस के ब्लॉकेज हाथ और पैर के रास्ते से वॉयर की मदद से खोल रहे हैं। इसकी सफलता दर करीब 90 फीसदी है। पीजीआई में इसका खर्च डेढ़ लाख आता है, वहीं निजी में करीब साढ़े तीन लाख का खर्च आता है।

पीजीआई में शुरू हुई थी तकनीक आईजेसीटीओ कोर्स लखनऊ के डायरेक्टर डॉ. पीके गोयल ने बताया कि उन्होंने इंटरवेंशन तकनीक का सबसे पहले पीजीआई में शुरू की थी। मौजूदा समय में वो मेदांता अस्पताल में हर वर्ष 100 से अधिक रोगियों का इस तकनीक से दिल की नस की रुकावट को दूर कर रहे हैं। सुशांत गोल्फ सिटी के एक होटल में 30 मई से शुरू हो रही इंडो जापानीज सीटीओ क्लब की तीन दिवसीय कांफ्रेंस में विशेषज्ञ डॉक्टर दिल की नसों में ब्लॉकेज के आधुनिक उपचार की नई तनकीक से किए गए केस पर चर्चा करेंगे और अनुभव का साझा करेंगे। कार्डियोलॉजिस्ट को इसका प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। सम्मेलन में 600 से अधिक कार्डियोलॉजिस्ट जुटेंगे। नसों में रुकावट में यह तकनीक कारगर पीजीआई कार्डियोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. आदित्य कपूर बताते हैं कि यदि तीन से छह माह से दिल की पूरी नस में रुकावट (ब्लॉकेज) को क्रॉनिक टोटल ऑक्लूज़न कहते हैं। इन रोगियों में सामान्य एंजियोप्लॉस्टी कारगर नहीं होती है। ऐसे रोगियों में स्पेशलाइज्ड एंजियोप्लास्टी वॉयर, रेट्रोग्रेड इंजेक्शन, रिवर्स कार्ट, माइक्रो कैथेडर व इमेजिंग तकनीक से एंजियोप्लास्टी की जाती है। इसकी सफलता दर 85 से 90 फीसदी होती है। डॉ. कपूर का कहना है कि इस तकनीक के आने से इनमें बाईपास सर्जरी की जरूरत नहीं होती है। पीजीआई में हर वर्ष करीब 100 रोगियों में इस आधुनिक एंजियोप्लास्टी की जा रही है। डायबिटीज, धूम्रपान व सीने में दर्द वाले वाले रोगियों में सीटीओ की समस्या अधिक होती है।

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