एआरआर में बिजली खरीद की कुल लागत का 51% फिक्स्ड चार्ज
Lucknow News - - आयोग द्वारा स्वीकार किए गए एआरआर के आंकड़ों में बताया गया कि उपभोक्ताओं को

वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए विद्युत नियामक आयोग द्वारा स्वीकार किए गए बिजली कंपनियां के वार्षिक राजस्व आवश्यकता (एआरआर) के आंकड़े बेहद चौंकाने वाले हैं। बिजली कंपनियों ने बताया है कि उपभोक्ताओं को 1,33,779 मिलियन यूनिट बिजली बेची जाएगी और इस पर 88,755 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। खास बात यह है कि खर्च का 51% फिक्स्ड चार्ज है और ईंधन का चार्ज 49%। राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष और राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने इन आंकड़ों पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि बिजली खरीद का 51% केवल फिक्स्ड चार्ज होना यह बता रहा है कि प्रदेश के बिजली खरीद के करार काफी महंगे किए गए हैं।
45,614 करोड़ रुपये फिक्स्ड चार्ज और ईंधन चार्ज 43,141 करोड़ रुपये है। फिक्स्ड चार्ज का मतलब साफ है कि बिजली की खरीद हो न हो लेकिन, यह रकम उत्पादन इकाइयों को अदा करनी ही होगी। वर्ष 2025-26 में बिना टैरिफ बढ़ोतरी के बिजली कंपनियों ने 85,041 करोड़ रुपये की राजस्व प्राप्ति का आकलन किया है। उन्होंने कहा अदाणी पावर से हाल ही में किए गए करार का भी फिक्स्ड चार्ज बेहद ज्यादा है, इस पर फिर से विचार किया जाना चाहिए। ज्यादा बिजली खरीद की मांगी अनुमति, जवाब तलब सभी बिजली कंपनियों ने निजीकरण की प्रक्रिया के पहले वर्ष 2028 तक के लिए 4000 मेगावॉट जल विद्युत खरीदने के लिए टेंडर का प्रस्ताव बनाकर नियामक आयोग को भेजा था। अब कॉरपोरेशन ने प्रस्ताव में बदलाव कर के वर्ष 2032 तक के लिए 6000 मेगावॉट खरीद का प्रस्ताव बनाकर नियामक आयोग से अनुमति मांगी है। आयोग ने प्रस्ताव पर अनुमति के बजाय से सवाल खड़े कर दिए हैं और बढ़ोतरी की वजह पूछी है। आयोग मामले की सुनवाई 22 मई को करेगा। उपभोक्ता परिषद ने भी इस पर सवाल उठाया है कि जब दो कंपनियों के निजीकरण का प्रस्ताव है तो बिजली खरीद घटने के बजाय बढ़ी कैसे? क्या यह निजी कंपनियों के लिए है?
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