रहमान खेड़ा जंगल में नहीं मिली बाघ की हलचल
Lucknow News - बाघ का खौफ -रहमान खेड़ा के जंगलों में दो दिनों से नही मिले बाघ के

बाघ 21वें शिकार के तलाश में जंगल से निकलकर ग्रामीण इलाकों में पहुंचने के फिराक में है। इससे ग्रामीणों में जहां दहशत का महौल है, वहीं रहमान खेड़ा संस्थान के जंगल में बीते दो दिनों से बाघ के पगचिह्न नहीं मिले है। इससे वन कर्मियों और विशेषज्ञ भी परेशान है। रहमान खेड़ा के जंगल और सीआईएसएच संस्थान में शुक्रवार को बाघ के पगचिह्न नही पाये गए। जिसके चलते जंगल के तीनों जोन में कॉम्बिंग की कार्यवाही तेज कर दी गई है। संस्थान में लगे सीसीटीवी और ट्रैप कैमरों की निगरानी 24 घंटे की गई लेकिन बाघ की कोई भी गतिविधियां कैद नही पायी गई। बाघ के इस हरकत पर विशेषश्र अंदाजा लगा रहे कि बाघ जंगल से आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों की तरफ निकल गया है। वहीं संस्थान के कर्मचारियों ने बताया कि शुक्रवार की सुबह बाघ रेलवे लाइन पार करते हुए दिखाई दिया था, जिसके बाद बाघ मीठे नगर के जंगल की तरफ निकल गया। हालांकि वन विभाग ने ग्रामीणों की इस सूचना की पुष्टि नही की है। डीएफओ डॉ सितांशु पाण्डेय ने बताया कि जोन एक दो और तीन में कॉम्बिंग के दौरान पगचिह्न नही मिले।
दो दिन से नहीं मिली बाघ की लोकेशन
सीतापुर डीएफओ नवीन खंडेलवाल के साथ संस्थान में लगे ट्रैप और सीसीटीवी कैमरों का निरीक्षण किया गया। थर्मल ड्रोन कैमरे से निगरानी की गई लेकिन बाघ की लोकेशन 48 घंटों से नही मिली। डायना और सुलोचना हाथियों से जोन तीन में कॉम्बिंग की गई, साथ ही साथ जोन एक और दो में मोबाइल यूनिट के जरिये कॉम्बिंग करते हुए निगरानी तेज कर दी गई है।
गर्म होते मौसम से बाघ की गतिविधियां सीमित हुई
डीएफओ ने बताया कि दिन में कड़ाके की धूप होने कारण मौसम गर्म होता जा रहा है, जिसकी वजह से बाघ की उपस्थिति पानी वाले इलाके के आसपास होने की संभावना बढ़ जाती है। बाघ दिन के समय जंगल के घने हिस्से में चला जाता है और रात के समय शिकार की तलाश में बाहर निकलकर घूमता है। पानी वाले दो स्थानों को सुनिश्चित कर तीन तरफ से जाल लगाकर बाघ पकड़ने की तैयारी है।
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