गैंगस्टर्स की पोस्ट लाइक-शेयर करने वालों की खैर नहीं, दिल्ली पुलिस ने 200 सोशल मीडिया अकाउंट बंद कराए
राजधानी दिल्ली में गैंगस्टर की सोशल मीडिया पोस्ट लाइक-शेयर करने वालों की अब खैर नहीं है। दिल्ली पुलिस ‘नो नेम-नो फेम’ ऑपरेशन के तहत 200 से ज्यादा ऐसे सोशल मीडिया अकाउंट बंद करवा चुकी है, जो युवाओं को गैंग में जोड़ने में सक्रिय थे।

राजधानी दिल्ली में गैंगस्टर की सोशल मीडिया पोस्ट लाइक-शेयर करने वालों की अब खैर नहीं है। दिल्ली पुलिस ‘नो नेम-नो फेम’ ऑपरेशन के तहत 200 से ज्यादा ऐसे सोशल मीडिया अकाउंट बंद करवा चुकी है, जो युवाओं को गैंग में जोड़ने में सक्रिय थे।
सोशल मीडिया के जरिये करीब 20 देशों में छिपे 40 गैंगस्टर और उनके गुर्गे, युवाओं को गैंग में जोड़ने में जुटे हैं। इनपुट मिलने के बाद पुलिस पूरी तरह चौकन्नी हो गई है। इसका मकसद ऐसे नौजवानों को पकड़ना है, जो गैंगस्टर्स के गैंग में जुड़कर काम कर रहे हैं।
लिस्ट तैयार कर रही पुलिस: राजधानी के सभी जिलों में सक्रिय गैंगस्टर और उनके गुर्गों के सोशल मीडिया अकाउंट से जुड़े संदिग्धों की सूची तैयार कर उनकी भूमिका की जांच करने के निर्देश दिए गए हैं। पुलिस को किसी भी संदिग्ध के खिलाफ गैंगस्टर से जुड़े होने का कोई भी सबूत मिलता है तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। गैंगस्टर की फ्रेंडलिस्ट के अलावा पोस्ट को लाइक और शेयर करने वाले भी इसमें शामिल हैं। दिल्ली पुलिस ने देश के कुख्यात गैंगस्टरों और उनके गुर्गों के खिलाफ पिछले कुछ समय से मोर्चा खोल रखा है। उनके करीब 200 से ज्यादा सोशल मीडिया अकाउंट को बंद भी करा चुकी है। दिल्ली पुलिस का मानना है कि गैंगस्टर्स के सोशल मीडिया अकाउंट से युवा प्रभावित होकर गिरोह में शामिल होने के बाद अपराधी बन रहे हैं।
जांच में यह भी खुलासा हुआ है कि इसमें से ज्यादातर सोशल मीडिया अकाउंट का ऑपरेशन देश के बाहर के सर्वर से हो रहा है। चूंकि ज्यादातर की लोकेशन बाहर की है। आशंका जताई जा रही है कि एजेंसियों से बचने के लिए इन अकाउंट का ऑपरेशन करने वाले लोकेशन हाईड सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल हो रहा है।
इन देशों से हो रहा संचालन
तकनीकी जांच के आधार पर मिली लोकेशन से यह खुलासा हुआ है कि गैंग के सरगना दबोचे जाने के बाद एजेंसियों से बचने के लिए विदेश भाग गए हैं। मुख्यत: इनका ऑपरेशन अजरबैजान, दुबई, यूके, यूएसए, ऑस्ट्रिया, पुर्तगाल और कनाडा से हो रहा है।
फर्जी नंबर का इस्तेमाल
केंद्रीय और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों की जांच में पता चला है कि ज्यादातर संदिग्ध सोशल मीडिया अकाउंट फर्जी दस्तावेज पर जारी कराए गए मोबाइल नंबर और ई-मेल का इस्तेमाल करके बनाए गए। वहीं, कुछ ऐसे नंबर भी हैं, जिनका ऑपरेटर कुछ दिनों में बदल रहा है।