World Digestive Health Day Stress Impact on Digestion Revealed by KGMU Study शरीर की पाचन क्षमता कम रहा तनाव, Lucknow Hindi News - Hindustan
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शरीर की पाचन क्षमता कम रहा तनाव

Lucknow News - विश्व पाचन स्वास्थ्य दिवस आज थीम-आपका पाचन स्वास्थ्य: पोषण से समृद्धि -केजीएमयू गैस्ट्रो विभाग ने

Newswrap हिन्दुस्तान, लखनऊWed, 28 May 2025 07:45 PM
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शरीर की पाचन क्षमता कम रहा तनाव

विश्व पाचन स्वास्थ्य दिवस आज थीम-आपका पाचन स्वास्थ्य: पोषण से समृद्धि -केजीएमयू गैस्ट्रो विभाग ने 4000 मरीजों पर किया अध्ययन -इनमें से 80 फीसदी की रेडियो और पैथोलॉजी जांचें दुरुस्त पाई गईं लखनऊ। रजनीश रस्तोगी तनाव शरीर की पाचन क्षमता को कमजोर कर रहा है। पेट खराब कर रहा है। खाना ठीक से नहीं पचता। नतीजतन भोजन के आवश्यक तत्व शरीर को नहीं मिल पाते हैं, जिससे तमाम तरह की शारीरिक समस्याएं घेर लेती हैं। यह तथ्य केजीएमयू गेस्ट्रोमेडिसिन विभाग के सर्वे रिपोर्ट में सामने आए हैं। प्रदेश भर से आए मरीज गेस्ट्रोमेडिसिन विभाग ने एक साल के दौरान ओपीडी में करीब 4000 मरीजों पर अध्ययन किया।

प्रदेश भर से यह मरीज पाचन संबंधी परेशानी लेकर ओपीडी में आए थे। 18 से 50 साल की उम्र के 90 फीसदी मरीज थे। 10 प्रतिशत मरीजों की उम्र इससे अधिक थी। 30 प्रतिशत महिलाएं व 70 प्रतिशत पुरुष मरीज थे जांच रिपोर्ट ठीक आईं विभाग के अध्यक्ष डॉ. सुमित रुंगटा ने बताया कि पाचन संबंधी समस्या लेकर आए मरीजों की जांचें कराई गईं। 80 फीसदी मरीजों की जांच रिपोर्ट ठीक आईं। आंतों की चाल संबंधी जांच के लिए खास तरह का एक्सरे भी कराया गया। केवल 20 प्रतिशत मरीजों की जांच रिपोर्ट कम ठीक आई। दवाओं के बाद भी पाचन क्षमता में अपेक्षित सुधार नहीं हुआ। पाचन क्षमता की खराबी के दूसरें कारणों का पता लगाने के मरीजों से जरूरी सवाल पूछे गए तो उसमें बीमारी की असल वजह तनाव का पता चला। उन्होंने बताया कि तनाव पाचन क्रिया को प्रभावित कर सकता है। जिससे मरीज को दस्त, कब्ज, पेट दर्द और सीने में जलन जैसी समस्याओं को ट्रिगर कर सकता है। तनाव के कारण आंत की मांसपेशियां कम कुशलता से सिकुड़ सकती हैं। तनाव से बढ़ता है एसिड डॉ. सुमित ने बताया कि तनाव के कारण पेट में एसिड का उत्पादन बढ़ सकता है। जिससे एसिड रिफ्लक्स और हार्टबर्न हो सकता है। यह पेट के एसिड का खाने की नली में वापस आना है जो तनाव से ट्रिगर हो सकता है। तनाव आंत में बैक्टीरिया के नाजुक संतुलन को प्रभावित कर सकता है। जिससे पेट खराब हो सकता है। दो से छह माह तक चला इलाज डॉ. सुमित रुंगटा ने बताया कि तनाव से पीड़ित पेट के मरीजों को दो माह से लेकर छह माह तक इलाज चला। करीब 70 फीसदी मरीजों का इलाज दो माह तक चला। 10 फीसदी मरीजों को मानसिक स्वास्थ्य विभाग में इलाज चला। तब जाकर मरीजों को राहत मिली। सामान्य दवाएं बीमारी पर नहीं करती हैं असर बलरामपुर अस्पताल के मानसिक रोग विभाग के अध्यक्ष डॉ. देवाशीष शुक्ला ने बताया कि कई बार मरीज समझ नहीं पाते हैं। उन्हें मानसिक रोग होता है। वे दूसरी बीमारी समझकर इलाज कराते रहते है। नतीजतजन मर्ज पर दवाएं असर ही नहीं करती हैं। उन्होंने बताया कि पेट या पाचन संबंधी समस्या की एक बड़ी वजह से तनाव व दूसरी मानसिक बीमारियां हैं। पेट, पाचन, चक्कर, उल्टी जैसी बीमारी जब सामान्य दवाओं से ठीक न हो तो मानसिक रोग विशेषज्ञ की सलाह जरूर लेनी चाहिए। मरीजों को ये समस्या थी एक बार में पेट ठीक से साफ न होना बार-बार शौच जाने की इच्छा पेट में ऐंठन या दर्द जी मिचलाना या उल्टी की इच्छा गैस और पेट फूलना भोजन को पचाने में कठिनाई भूख में कमी बार-बार डकार आना पेट भरा हुआ महसूस होना जीभ पर सफेद परत सलाह -योग, ध्यान और व्यायाम -तनाव दूर करने के लिए अच्छी नींद लें -संतुलित आहार लें ताकि आंतों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद मिल सके -दोस्तों और परिवार के साथ समय बिताने से तनाव कम हो सकता है -रेशेदार फल खाने की सलाह -मोटा आनाज का सेवन बढ़ाने की सलाह -मैदा, तली भुनी वस्तुओं से तौबा करें

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