सेवायतों के अधिकार रहेंगे अक्षुण्ण, सरकार करेगी केवल बाहरी विकास
Lucknow News - -श्री बांके बिहारी कॉरिडोर: योगी सरकार का संकल्प और भक्तों की आस्था को समर्पित योजना

-काशी, अयोध्या और विंध्याचल के बाद अब वृंदावन—योगी सरकार दे रही धार्मिक विकास को नया विस्तार -ब्रज भूमि में विकास का पुण्य पथ: संवाद, ट्रस्ट और सहभागिता से बढ़ेगा धार्मिक पर्यटन -व्यवस्था से बढ़ेगा व्यापार, श्रद्धा से संवरेगा स्वरूप, कॉरिडोर लाएगा वृंदावन में समृद्धि के नए आयाम लखनऊ, विशेष संवाददाता वृंदावन स्थित श्री बांके बिहारी मंदिर, जहां प्रतिदिन देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु दर्शन हेतु आते हैं, अब एक सुव्यवस्थित, भव्य और दिव्य कॉरिडोर से जुड़ने जा रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा स्पष्ट है, भक्तों को सहज, सुरक्षित और सम्मानजनक दर्शन मिले, सनातन संस्कृति के मानबिन्दुओं का सम्मान हो और उत्तर प्रदेश में धार्मिक पर्यटन की व्यापक संभावनाओं को नई गति दी जा सके।
काशी, अयोध्या और विंध्याचल की तर्ज पर अब वृंदावन में भी एक विश्वस्तरीय मंदिर कॉरिडोर निर्माण की दिशा में महत्वपूर्ण पहल शुरू हो चुकी है। बीते दिनों माननीय सुप्रीम कोर्ट ने श्री बांके बिहारी मंदिर परिसर के लिए कॉरिडोर निर्माण को अपनी स्वीकृति प्रदान की है। आदेशानुसार मंदिर के आसपास की लगभग पांच एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया जाएगा। यह अधिग्रहण श्री बांके बिहारी जी के नाम से किया जाएगा, जिससे किसी प्रकार की व्यक्तिगत या पारंपरिक आस्था को ठेस न पहुंचे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यह स्पष्ट संदेश दिया है कि यह परियोजना केवल शासन का निर्णय नहीं, बल्कि भक्तों की भावना, संतों की प्रेरणा और जनसामान्य की सहभागिता से संचालित होगी। उनका यह भी कहना है कि किसी को डरने की जरूरत नहीं है, सरकार सबके हितों की रक्षा करेगी और वृंदावन को एक ऐसा स्वरूप देगी, जो आध्यात्मिक आस्था और आधुनिक व्यवस्थापन का आदर्श उदाहरण बनेगा। जब यह कॉरिडोर बनकर तैयार होगा, तो वृंदावन का स्वरूप ही कुछ और होगा, दिव्य, भव्य और श्रद्धा से सराबोर। यह परियोजना योगी सरकार की दूरदृष्टि और ब्रजभूमि की आस्था का सामूहिक प्रमाण बनेगी। सरकार ने कहा है कि इस प्रक्रिया में किसी का भी अहित नहीं होने दिया जाएगा। पुनर्वास नहीं, बल्कि व्यवस्थापन की नीति पर चलते हुए सभी प्रभावितों को समुचित मुआवजा, वैकल्पिक दुकानें या आवासीय सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। सरकार का स्पष्ट रिकॉर्ड रहा है कि वाराणसी, अयोध्या और विंध्याचल जैसे स्थानों पर भी कॉरिडोर निर्माण के दौरान जनता के हितों की पूर्ण रक्षा की गई है। सरकार केवल बाहरी संरचना और आधारभूत सुविधा से संबंधित विकास करेगी। श्री बांके बिहारी मंदिर के आंतरिक धार्मिक स्वरूप, परंपराओं और सेवायतों के कार्यों में किसी प्रकार का हस्तक्षेप नहीं होगा। सेवायतों तथा गोस्वामी जनों के अधिकार, भूमिका और परंपरा यथावत बनी रहेगी। कारीडोर समय की मांग प्रदेश सरकार ने कहा है कि भीड़ की वजह से श्री बांके बिहारी मंदिर में आए दिन अव्यवस्था और हादसों की घटनाएं सामने आती रही हैं। श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या के अनुपात में दर्शन-व्यवस्था में सुधार की आवश्यकता को वर्षों से महसूस किया जा रहा था। ऐसे में यह कॉरिडोर समय की मांग है। यह भव्य कॉरिडोर विश्व भर से आने वाले श्रद्धालुओं को सुविधा देने और उनकी आध्यात्मिक यात्रा को सहज बनाने की दिशा में निर्णायक पहल होगा। इससे श्रद्धालुओं को निर्बाध दर्शन की सुविधा मिलेगी और मंदिर की गरिमा को भी संरक्षित रखा जा सकेगा। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 26 मई को ‘श्री बांके बिहारी मंदिर ट्रस्ट का गठन किया गया है। ट्रस्ट मंदिर सेवायतों, स्थानीय निवासियों और प्रशासन के साथ निरंतर समन्वय और संवाद स्थापित कर रहा है। ट्रस्ट की प्राथमिकता यह सुनिश्चित करना है कि मंदिर की परंपराएं, सेवायतों के हित और श्रद्धालुओं की आस्था के बीच संतुलन बना रहे। इस संवाद की प्रक्रिया में मथुरा की सांसद, विधायक, मंडलायुक्त, जिलाधिकारी और वरिष्ठ पुलिस अधिकारी भी सक्रिय रूप से भाग ले रहे हैं और जनमानस को इस परियोजना की सार्थकता के बारे में जागरूक कर रहे हैं। व्यापार और उद्योग को मिलेगी नई उड़ान मथुरा की सांसद एवं सुप्रसिद्ध अभिनेत्री हेमा मालिनी ने भी इस परियोजना का समर्थन करते हुए कहा है कि अब तक अनेक श्रद्धालु बांके बिहारी के दर्शन के लिए वृंदावन आते हैं, लेकिन भारी भीड़, अव्यवस्था और तंग गलियों के कारण वे केवल मंदिर के द्वार तक पहुँच पाते हैं और दर्शन किए बिना लौट जाते हैं। जब वह संसद जाती हैं, तो देशभर से लोग वृंदावन की अव्यवस्था और स्वच्छता की कमी की शिकायत करते हैं। उन्होंने कहा कि यह कॉरिडोर बनने के बाद वृंदावन की सूरत बदल जाएगी। साफ-सुथरा वातावरण, नियोजित व्यवस्था और भक्तों के लिए सहज दर्शन का अवसर सबको आकर्षित करेगा। उन्होंने भरोसा जताया कि मंदिर के सेवायतों को भी इससे सुविधा मिलेगी और जिनकी दुकानें या मकान प्रभावित होंगे, उन्हें भी मुआवजा और पुनर्स्थापन मिलेगा। ब्रज क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों, व्यापारियों, उद्यमियों, स्थानीय नागरिकों और स्वयं सेवायत समाज ने अब सरकार के इस निर्णय का समर्थन करना प्रारंभ कर दिया है। उनका कहना है कि यह केवल एक निर्माण परियोजना नहीं, बल्कि वृंदावन की प्रतिष्ठा और भविष्य का पुनर्निर्माण है। श्रद्धालु सुखद अनुभव लेकर लौटेंगे, धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, और स्थानीय व्यवसायों—जैसे पोशाक, कंठी माला, चांदी की पायल, आभूषण, होटल, रेस्टोरेंट आदि—को नई उड़ान मिलेगी। वृंदावन की कनेक्टिविटी और आधारभूत संरचना में भी सुधार आएगा।
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