विलुप्त हो रही लोक कलाओं को संजीवनी देगा पर्यटन विभाग
Maharajganj News - उत्तर प्रदेश सरकार की नई पर्यटन नीति के अंतर्गत विलुप्त हो रही लोक कलाओं और पारंपरिक संगीत को सहेजने वाले कलाकारों को आर्थिक सहायता मिलेगी। इस पहल से ग्रामीण संस्कृति को संजोने में मदद मिलेगी।...
महराजगंज, हिन्दुस्तान टीम। उत्तर प्रदेश सरकार की नई पर्यटन नीति के तहत विलुप्त हो रही लोक कलाओं, पारंपरिक संगीत, व्यंजन व संस्कृति को सहेजने वाले कलाकारों को अब सरकार आर्थिक संबल प्रदान करेगी। इस पहल से ग्रामीण संस्कृति और पारंपरिक विरासत को संजोने की दिशा में मदद मिलेगी। पर्यटन विभाग द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय महत्व के पर्यटक स्थलों से 50 किमी की परिधि में आने वाले क्षेत्रों की लोक कलाएं, शिल्प, संगीत, लोक नृत्य और स्थानीय व्यंजनों को संरक्षण और पुनर्जीवन के लिए वित्तीय प्रोत्साहन दिया जाएगा। इसके लिए चयनित कलाकारों या समूहों को एकमुश्त 50 हजार से 5 लाख तक की राशि दी जाएगी।
जिले में भगवानबुद्ध से जुड़े महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल देवदह व रामग्राम बौद्ध सर्किट का हिस्सा हैं। भगवान बुद्ध की परिनिर्वाण स्थली कुशीनगर भी जिले की सीमा के पचास किमी के दायरे में है। पारंपरिक विलुप्त होती विधाओं के कलाकार योजना का लाभ लेकर अपनी कला को समृद्ध कर सकते हैं। जिले में अभी भी जीवंत हैं प्राचीन लोक कलाएं इस योजना के अंतर्गत उन कलाकारों, संगठनों या संस्थाओं को बढ़ावा दिया जाएगा जो लुप्तप्राय या विलुप्त हो रही परंपराओं को जीवित रखने में योगदान दे रहे हैं। महराजगंज जिले के कई गांवों में आज भी थारू जनजाति व भोजपुरी लोक कलाओं की परंपरा जीवंत है, जिन्हें इस योजना के जरिए नई पहचान मिल सकती है। प्रोत्साहन का लाभ पाने के लिए जिला स्तर पर डीएम की अध्यक्षता में गठित पर्यटन एवं संस्कृति परिषद से हर वित्तीय वर्ष में आवेदकों को पहले आओ-पहले पाओ के आधार पर अनुदान मिलेगा। सूचना व संस्कृति विभाग से जुड़ लोक कला बिखेर रहे कलाकार लोक कला व प्राचीन संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए सूचना व संस्कृति विभाग से करीब तीस कलाकार जुड़े हैं। जिले में कहीं भी सरकारी कार्यक्रम में इनको मौका देकर प्रोत्साहित किया जा रहा है। जिले में धोबियहवा नृत्य, फरूआही, बिरहा के अलावा संस्कार गीत, चैता-चैती, कजरी, फाग की गायकी अब बहुत कम हो गई है। कभी यह गांव-गांव की पहचान थी। जिले में थारू जनजाति का प्रसिद्ध लाठी नृत्य, धमार व झुमरा देखने को मिलती है। यह योजना न सिर्फ संस्कृति के संरक्षण में मददगार होगी, बल्कि इससे स्थानीय कलाकारों को आर्थिक आत्मनिर्भरता भी मिलेगी। साथ ही, युवा पीढ़ी को भी अपनी सांस्कृतिक विरासत से जुड़ने का अवसर मिलेगा। महराजगंज के कलाकार अब सरकार की इस योजना से जुड़कर अपने हुनर को पहचान दिला सकते हैं। कलाकार या समूह योजना का लाभ लेने के लिए सूचना विभाग में भी आवेदन कर सकते हैं। प्रभाकर मणि त्रिपाठी-सहायक पर्यटक अधिकारी जिले में थारू जनजातीय का लाठी नृत्य, धमार, झुमरा के अलावा धोबियहवा नृत्य विलुप्त होने के कगार है। इनको पहचान दिलाने के लिए जनजातीय लोक कल्याण अकाडमी शासन स्तर से गठित किया गया है। प्रचार-प्रसार व प्रोत्साहन मिलने से पारंपरिक लोक कलाएं जिले की पहचान बनेगी। केन्द्र व प्रदेश सरकार के प्रोत्साहन से बड़े मंच पर विलुप्त लोक कला के कलाकारों को मौका मिल रहा है। यह सुखद संकेत है। अमित अंजन-सदस्य उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी
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