बोले मथुरा: रानी मंडी की कब बदलेगी पहचान
Mathura News - मथुरा के रानी मंडी क्षेत्र में स्थानीय निवासियों ने सामुदायिक भवन की आवश्यकता जताई है, जो कई वर्षों से नहीं बना है। सीवर की सफाई, पेयजल आपूर्ति, और बिजली की समस्याओं का भी समाधान नहीं हुआ है। स्थानीय...

मथुरा। निगम मथुरा-वृंदावन के अंतर्गत आने वाले श्रीकृष्ण जन्मस्थान के नजदीक होने के साथ-साथ रानी मंडी क्षेत्र मथुरा-वृंदावन के मुख्य मार्ग से सटा हुआ है। इस क्षेत्र की अधिकांश आबादी घेरा सरनदास, माली गली, नया बांस, जाटव बस्ती, वाल्मीकि बस्ती, हाथी वाली गली, कंवल टीला वाली गली, किरन पैलेस वाली गली में बसी हुई है। रूपम सिनेमा हॉल के बराबर मुख्य मार्ग से प्रवेश करने पर लगता है कि रानी मंडी महानगर की अच्छी आबादी वाले क्षेत्रों में है। सीसी सड़क और बेहतर प्रकाश व्यवस्था नजर आती है, लेकिन मोहल्ले की गलियों के हालात ठीक नहीं। कहीं सीवर लाइनें चोक हैं तो कहीं गलियों की सड़कें व नालियां जर्जर हैं। हिन्दुस्तान समाचार-पत्र द्वारा वाल्मीकि वाटिका में आयोजित संवाद में स्थानीय लोगों ने अपनी समस्याएं बतायीं। लोगों का कहना था कि यह गरीबों की बस्ती है, लेकिन इस बस्ती में कोई भी सामुदायिक भवन नहीं है। सामुदायिक भवन के लिए स्थान भी है, जिसका निरीक्षण नगर निगम के अधिकारी कर चुके हैं। सामुदायिक भवन के लिए करीब 34 लाख रुपये स्वीकृत भी हो गए हैं, लेकिन आज तक टैंडर नहीं खोले गए। लंबे समय से टैंडर प्रक्रिया अटकी पड़ी है। इसके चलते सामुदायिक भवन का निर्माण नहीं हुआ है।
सामुदायिक भवन न बनने की वजह से स्थानीय लोगों को विवाह-शादी आदि मांगलिक कार्यों के लिए परेशान होना पड़ रहा है। लोग आर्थिक रूप से मजबूत भी नहीं है, जिससे वे मैरिज होम या होटल-गेस्ट हाउसों में जाकर अपने कार्यक्रम आयोजित कर सकें। इसके अलावा स्थानीय महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में कोई ठोस पहल नहीं हुई है। उनके लिए सिलाई-कढ़ाई का कोई प्रशिक्षण केन्द्र नहीं है, जिसकी सबसे ज्यादा जरूरत है। स्थानीय लोगों ने बताया कि क्षेत्र की गलियों में सीवर लाइन तो हैं, लेकिन उनकी सफाई पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। इसकी वजह से अक्सर सीवर लाइनें ओवर फ्लो होती रहती हैं। गली नंबर तीन में सीवर की सबसे ज्यादा समस्या है। गलियों की सड़कें भी ठीक नहीं है। इसे देखते हुए समस्या का समाधान कराए जाने की जरूरत है। बंदरों का आतंक भी रानी मंडी क्षेत्र में कुछ ज्यादा है। बंदरों के चलते लोगों की नींद हराम है। नगर निगम को बंदरों की पकड़ने के इंतजाम करने चाहिए, ताकि लोगों को राहत मिल सके। लोगों ने बताया कि अभी तक रानी मंडी क्षेत्र को गंगाजल की आपूर्ति नहीं मिल सकी है। इसके चलते खारे पानी की समस्या से छुटकारा नहीं मिला है। यह स्थिति तब है, जबकि मुख्य मार्ग होकर गंगाजल की लाइन गुजर रही है। इस समस्या का समाधान कराया जाना अत्यंत आवश्यक है।
रानी मंडी क्षेत्र में सीवर की सफाई की समस्या है। इसके चलते लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। नगर निगम को प्राथमिकता से सीवर लाइनों की सफाई का कार्य करना चाहिए, ताकि स्थानीय लोगों को स्वच्छ वातावरण मिल सके।
-अभिषेक चौहान
रानी मंडी की गली नंबर तीन में सीवर लाइनें चौक पड़ी हैं, जिनकी सफाई कराने की जरूरत है। सीवर लाइनों की सफाई ध्यान देने की जरूरत है, ताकि स्थानीय लोगों को स्वच्छ वातावरण उपलब्ध हो सके। नगर निगम को इस ओर ध्यान देने की जरूरत है।
-सागर
पेयजल तो आता है, लेकिन आज तक गंगाजल की व्यवस्था नहीं की गयी है। गंगाजल की लाइन तो मुख्य मार्ग से होकर गुजर रही है, लेकिन अभी तक इस क्षेत्र में आपूर्ति शुरु नहीं की गयी। लोगों को खारे पानी की समस्या से जूझना पड़ रहा है।
-विनय
बिजली की समस्या भी इस क्षेत्र में बनी रहती है, जिसका असर पेयजल आपूर्ति पर भी पड़ता है। क्षेत्र की विद्युत आपूर्ति में सुधार की जरूरत है। इस समस्या की ओर भी ध्यान दिया जाना चाहिए, जिससे लोगों को पानी सप्लाई बिना
किसी बाधा के मिलती रहे।
-विशाल
रानी मंडी में रहने वाले परिवारों के बच्चे शिक्षित होकर जीवन स्तर को सुधारना चाहते हैं, लेकिन गरीबी के चलते उनको पर्याप्त संसाधान नहीं मिल पा रहे। ऐसे में यहां पर डिजिटल लाइब्रेरी की अत्यंत जरूरत है। नगर निगम को दिशा में ठोस कदम उठाते हुए क्षेत्र में एक डिजिटल लाइब्रेरी की स्थापना करानी चाहिए।
-बलराम
सामुदायिक भवन की स्थापना करने की मांग हम लंबे समय से करते चले आ रहे हैं। सरकारी सामुदायिक भवन न होने के कारण स्थानीय लोगों को विवाह-शादी आदि मांगलिक कार्यों को करने में भारी दिकक्त का सामना करना पड़ता है। नगर निगम के अधिकारी भी सामुदायिक भवन के लिए स्थान का निरीक्षण कर चुके हैं।
-तरुण चौहान
रानी मंडी वाल्मीकि बगीची में जगह खाली पड़ी है। यहां पर सामुदायिक भवन का निर्माण होना चाहिए, ताकि स्थानीय लोगों को विवाह समारोह आदि करने में सहूलियत हो सके। सामुदायिक भवन के निर्माण की मांग लंबे समय से चली आ रही है। इस दिशा में नगर निगम को त्वरित कार्रवाई करते हुए भवन निर्माण शुरु कराना चाहिए।
-दीपक चौहान
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