बोले कासगंज: लोगों की रसोई सजाने वालों के सामने खुद की रोटी के पड़े लाले
Mathura News - सोरों के सब्जी विक्रेता रोज़ाना ताज़ी सब्जियाँ बेचते हैं लेकिन आवारा पशुओं, बारिश और गंदगी जैसी समस्याओं का सामना कर रहे हैं। वे प्रशासन से बेहतर स्थान और सुविधाएँ की माँग कर रहे हैं ताकि उनकी आमदनी...

सोरों । नगर की लगभग 40 हजार आबादी को रोज हरी और ताजी सब्जियां उपलब्ध कराने वाले सब्जी विक्रेता खुद ही समस्याओं के शिकार हैं। कई बार आवाज उठाई, हर किसी के सामने गुहार लगाई पर दिक्कतें कम न हुईं। आपके अपने समाचार पत्र हिन्दुस्तान के जन संवाद कार्यक्रम बोले कासगंज में बातचीत के दौरान सब्जी विक्रेताओं ने अपनी पीड़ा व्यक्त की। सब्जी विक्रेताओं का कहना है कि बाजार में घूमने वाले आवारा पशु अक्सर हमारी सब्जियों को खराब कर देते हैं। दिनभर में जितनी कमाई नहीं होती उससे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ता है। जानवर और बाजार में फैली गंदगी हमारी समस्याओं को और भी बढ़ा देती हैं।
सोरों स्थित कछला चुंगी इलाके में सड़क किनारे फड़ लगाकर सब्जी बेचने वाले विक्रेता कई वर्षों से अपने परिवार का पालन-पोषण कर रहे हैं। यह व्यवसाय उनका एकमात्र आय का स्रोत है, लेकिन आए दिन इन विक्रेताओं को कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। घुमंतू पशुओं से लेकर बारिश, गंदगी और स्थान की कमी तक झ्र हर चुनौती उनके छोटे-से व्यवसाय पर असर डालती है। अब सब्जी विक्रेताओं ने प्रशासन और नगर पालिका से ठोस समाधान की मांग की है। सब्जी विक्रेताओं का कहना है कि सड़क पर फड़ लगाने के चलते उन्हें सबसे पहले आवारा पशुओं से परेशानी होती है। गाय, सांड, बंदर आदि सड़क पर रखी सब्जियों को बिखेर देते हैं, जिससे उनका आर्थिक नुकसान होता है। वहीं, कई बार ग्राहक भी इन पशुओं की वजह से डर जाते हैं और खरीदारी से कतराते हैं। सड़क के किनारे साफ-सफाई न होने की वजह से सब्जियों की गुणवत्ता भी प्रभावित होती है। गंदगी और दुर्गंध के कारण ग्राहक ताजी सब्जी होने के बावजूद खरीदने में हिचकते हैं। विक्रेताओं का कहना है कि नगर पालिका यदि उन्हें एक अलग स्थान पर फड़ लगाने की सुविधा दे, जहां साफ-सफाई और सुरक्षा की व्यवस्था हो, तो न सिर्फ उनका नुकसान रुकेगा, बल्कि ग्राहकों को भी बेहतर अनुभव मिलेगा। सब्जियों को स्टोर करने के संसाधनों का अभाव भी एक प्रमुख समस्या है। विक्रेता बताते हैं कि गर्मी के मौसम में सब्जियां जल्दी खराब हो जाती हैं और यदि दिन भर में सब्जी न बिके, तो अगली सुबह उन्हें बेच पाना मुश्किल हो जाता है। इससे उन्हें आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है। बारिश के मौसम में स्थिति और खराब हो जाती है। जगह-जगह जलभराव और कीचड़ की वजह से ग्राहकों की संख्या घट जाती है और सब्जियों के खराब होने की आशंका बढ़ जाती है। फड़ पर तिरपाल डालकर विक्रेता जैसे-तैसे अपना काम चलाते हैं, लेकिन नमी और पानी की वजह से सब्जी खराब हो जाती है। सब्जी विक्रेताओं के अनुसार बाजार में उचित स्थान की कमी सबसे बड़ी समस्या है। आए दिन फड़ लगाने को लेकर आपसी विवाद की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। कई बार पुलिस और प्रशासन को भी बीच-बचाव करना पड़ता है। विक्रेता चाहते हैं कि उन्हें एक निश्चित स्थान अलॉट कर दिया जाए, जहां वे तय क्रम में फड़ लगा सकें और सभी को बराबरी का अवसर मिले। इसके अलावा विक्रेताओं को लोन जैसी सुविधाएं भी नहीं मिल पाती हैं। आर्थिक रूप से कमजोर होने के कारण बैंक से मदद लेना उनके लिए मुश्किल होता है। बीमार पड़ने पर इलाज करवाना भी बड़ी चुनौती बन जाता है। विक्रेता चाहते हैं कि प्रशासन उन्हें आयुष्मान भारत योजना आदि सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाए, ताकि वे इलाज से वंचित न रहें। दुकान एवं माल में तो ग्राहक निर्धारित मूल्य पर वस्तुएं खरीद लेते हैं। वहीं हम सब्जी विक्रेताओं को लोग बार-बार मोलभाव करके परेशान करते हैं। यदि यही सब्जियां उन्हें किसी बड़ी दुकान व माल से खरीदनी पड़ती, तो वहां बिना किसी मोल-भाव निर्धारित कीमत अदा करते। हम तो धनियां, नींबू, मिर्च भी मुफ़्त में दे देते हैं। -अवधेश कुमार अब सड़कों पर सब्जी बेचकर परिवार चलाना कठिन हो चुका है। सब्जियां ना बिकने पर उन्हें वापस ठेले में घर ले जाना पड़ता है तथा अगले दिन वापस लाना पड़ता है। इसके साथ ही सब्जियों के खराब होने की वजह से नुकसान का भय भी बना रहता है। वहीं सड़क किनारे फड़ लगने से जाम की समस्या भी बन जाती है। - मोंटी पालिका एवं प्रशासन हम सब्जी विक्रेताओं को सब्जी बेचने को यदि किसी स्थान पर अस्थायी टीनशेड आदि का प्रबंध करा दे। तो हम सभी लोग राहत की सांस ले पाएंगे। इसके अलावा हमारी फड़ों को नंबर अलॉट कराने पर भी विचार करना चाहिए। -शादाब सब्जियों का व्यवसाय एक कच्चा काम है। यदि शाम तक पूरी सब्जी ना बिके, तो अगले दिन उसके खराब होने की आशंका रहती है। जिससे नुकसान होता है। वहीं ताजा सब्जी न होने के कारण ग्राहक भी अगले दिन उस सब्जी को खरीदने से कतराते हैं। -आबाद हम जहां सब्जियां बेचते हैं। वहां कूड़ेदान आदि का प्रबंध न होने के कारण हमें खराब सब्जियां सड़क किनारे ही कूड़े के ढ़ेरों पर फेंकनी पड़ती है। इससे बाजार में गंदगी भी व्याप्त रहती है। इस समस्या के समाधान हेतु पालिका को ठोस कदम उठाने पर विचार करना चाहिए। -वीरेश बारिश के समय में हम सब्जी विक्रेताओं की हालत और खराब हो जाती है। हमें अपनी फड़ों को तिरपाल से कवर करना पड़ता है। वहीं बारिश के कारण सड़कों पर जलभराव एवं कीचड़ होने के कारण भी हमारी सब्जियां खराब हो जाती हैं। -मोहम्मद आतिश हम लोग सब्जी बेचकर नियमित कमाई करके अपने परिवारों का भरण-पोषण करते हैं। बीमारी पर आर्थिक रूप से कमजोर होने से हम अपना एवं परिजनों का इलाज भी नहीं करा पाते। प्रशासन को सब्जी विक्रेताओं को आयुष्मान योजना का लाभ दिलाना चाहिए। -इकराम हमें सबसे ज्यादा नुकसान बारिश के मौसम में उठाना पड़ता है। जलभराव एवं कीचड़ के कारण सब्जी खरीदने के लिए आने वाले ग्राहकों की संख्या घट जाती है। जिससे हमारा व्यापार प्रभावित होता है। -राशिद गर्मी के इस मौसम में कई बार सब्जियां खराब भी हो जाती हैं, क्योंकि हम लोगों के पास सब्जियों को स्टोर करने के संसाधन नहीं होते। इससे हमें ही नुकसान उठाना पड़ता है। अस्थायी टिन शेड की दुकान बनाने से हमें राहत मिलेगी। -फैजान सड़क किनारे गंदगी रहती है। हमें उसी के आसपास अपने फड़ लगाने पड़ते है। गंदगी से ग्राहक तो सब्जी खरीदने से हिचकिचाते ही हैं, वहीं कई बार सब्जी भी खराब हो जाती है। यदि नगर पालिका एवं प्रशासन हमें अन्य स्थान पर अस्थायी दुकानें उपलब्ध करा दे। -रमेश
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