आया राम, गया राम नहीं, पार्टी अनुशासन का मामला, भतीजे आकाश आनंद पर मायावती की सफाई
भतीजे आकाश आनंद को पहले निकालने फिर वापस लेने को लेकर उठ रहे सवालों पर बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने सोमवार को सफाई दी। उन्होंने साफ किया कि यह आया राम, गया राम वाला मामला नहीं है। किसको लेना है और किसको निकालना है, यह पार्टी का अपना फैसला होता है।

बसपा सुप्रीमो मायावती ने भतीजे आकाश आनंद को लेकर पार्टी में उठ रहे सवालों पर सोमवार को सफाई दी। आकाश आनंद को पहले उत्ताधिकारी नियुक्त करने, फिर वापस लेने, फिर पार्टी से निकालने और दोबारा पार्टी में शामिल करने का बचाव भी किया। उन्होंने कहा है कि अनुशासनहीनता व परिपक्वता के साथ काम न करने पर लोगों को पार्टी हित में निकालना पड़ता है। गलती का अहसास होने या फिर उनके समझ में आने पर पार्टी में किसी को वापस लेने पर कांग्रेस, भाजपा व अन्य विरोधी पार्टियां इसे आया राम व गया राम की संज्ञा देकर, पार्टी की छवि धूमिल करने की कोशिश करते हैं। हमें ऐसे लोगों से सावधान रहने की जरूरत है। मायावती ने एक्स एक के बाद एक चार पोस्ट से अपनी बातें रखीं।
मायावती ने कुछ महीने पहले भतीजे आकाश आनंद को पार्टी से निकाल दिया था और हाल ही में वापस लिया है। इसी तरह पूर्व सांसद गिरीश चंद्र जाटव को भी पार्टी में वापस लिया है और बसपा में मंत्री रहे दद्दू प्रसाद हाल ही में सपाई हो गए हैं। इसको लेकर पार्टियां बसपा पर तंज कर रही हैं। मायावती ने इस पर सोमवार को कहा है कि बसपा देश के दलित व अन्य उपेक्षितों के हितैषी डा. भीमराव आंबेडकर के कारवां को सत्ता की मंजिल तक पहुंचाने में लगी है। बसपा कार्यरत लोगों के आने-जाने में कुछ भी निजी नहीं बल्कि यह पार्टी व मूवमेंट के हित पर पूर्णतः निर्भर है।
उन्होंने कहा कि विरोधी पार्टियों के षड्यंत्र के तहत पार्टी के कुछ लोग, उनके बहकावे में आकर अपनी खुद की पार्टी को कमजोर करने में लग जाते हैं। तब मजबूरी में निकालने जैसा कदम उठाना पड़ता है। निकालने और वापस लेने का काम जब विरोधी पार्टियां करती हैं, तब उसे वे पार्टी हित का मामला कह कर टाल देती हैं। बसपा के मामले में ये पर्टियां किस्म-किस्म की संज्ञा देकर इस पार्टी की छवि को खराब करने की कोशिश करती हैं। यह सब इनका दोहरा मापदंड है।
मायावती ने एक्स पर लिखा कि देश के दलित व अन्य उपेक्षितों के हितैषी बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर के आत्म-सम्मान व स्वाभिमान के कारवां को सत्ता की मंज़िल तक पहुंचाने के मिशन में तत्पर बीएसपी में कार्यरत लोगों के आने-जाने में कुछ भी निजी नहीं बल्कि यह पार्टी व मूवमेन्ट के हित पर पूर्णतः निर्भर है। साथ ही, विरोधी पार्टियों के षड्यन्त्र के तहत पार्टी के कुछ लोग, उनके बहकावे में आकर जब अपनी ख़ुद की पार्टी को कमज़ोर करने में लग जाते हैं, या फिर पार्टी में अनुशासनहीनता अपनाने व परिपक्वता के साथ कार्य ना करने के कारण तब उन्हें मजबूरी में, पार्टी हित में निकालना पड़ता है।
मायावती ने आगे लिखा कि किन्तु जल्दी ही उनके समझ में आने व गलती का अहसास करने के बाद जब उन्हें पार्टी में वापस ले लिया जाता है, तो तब फिर कांग्रेस, बीजेपी व अन्य विरोधी पार्टियाँ इसे आया राम व गया राम की संज्ञा देकर, पार्टी की छवि को धूमिल करने की पूरी-पूरी कोशिश करती हैं। और जब यही कार्य विरोधी पार्टीयाँ करती हैं तब उसे वे पार्टी हित का मामला कहकर टाल देती हैं, लेकिन बीएसपी के मामले में इसे ये किस्म-किस्म की संज्ञा देकर इस पार्टी की छवि को ख़राब करने की कोशिश करती हैं। यह सब इनका दोहरा मापदण्ड नहीं है तो और क्या है? पार्टी के लोग सतर्क रहें।