Kunda Village Urban Neglect and Development Gaps in Municipal Ward 6 बोले मेरठ : कहने को तो शहरी इलाका, हालात यहां गांव से भी बुरे, Meerut Hindi News - Hindustan
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बोले मेरठ : कहने को तो शहरी इलाका, हालात यहां गांव से भी बुरे

Meerut News - कुंडा गांव, जो नगर निगम वार्ड छह का हिस्सा है, पिछले 35 सालों से विकास की बाट जोह रहा है। यहां ना तो सड़कें हैं, ना ही जल निकासी की व्यवस्था। बारिश में गंदे पानी से हालात और खराब हो जाते हैं, जिससे...

Newswrap हिन्दुस्तान, मेरठSun, 1 June 2025 06:39 PM
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बोले मेरठ : कहने को तो शहरी इलाका, हालात यहां गांव से भी बुरे

नगर निगम के वार्ड छह का हिस्सा कुंडा गांव, कहने को तो शहरी इलाका है, लेकिन यहां गांव से भी बुरे हालात हैं। यह पूरा इलाका आज एक ऐसी स्थिति में खड़ा है, जहां विकास और उपेक्षा के बीच की खाई दिन-ब-दिन गहरी होती जा रही है। लगभग 35 साल पहले जब इस गांव को नगर निगम में शामिल किया गया था, तो गांववासियों की आंखों में उम्मीद की एक चमक थी। उन्हें लगा था कि अब गांव की तस्वीर बदलेगी, पक्की सड़कों पर बच्चे खेलेंगे, हर घर में टंकी से पानी आएगा और गली-मोहल्लों में अंधेरा नहीं, बल्कि बिजली की रोशनी होगी।

लेकिन हालात ये हैं कि इलाके में ना पानी की निकासी है और ना ही खंभों में स्ट्रीट लाइटों की व्यवस्था। आज भी कुंडा गांव अपने विकास की बाट जोहता नजर आता है। करीब 35 साल पहले 1989 में कुंडा गांव में पार्षदी के चुनाव हुए थे। नगर निगम के वार्ड छह में पड़ने वाला कुंडा गांव तब से आजतक अपने विकास का इंतजार कर रहा है। परतापुर से पहले कुंडा गांव के लिए दिल्ली रोड से रास्ता जाता है। करीब पांच सौ मीटर चलने के बाद रेलवे फाटक क्रॉस करते ही फैक्ट्रियां नजर आती हैं, इसके साथ ही शुरू होता है नगर निगम क्षेत्र में पड़ने वाला कुंडा गांव। सड़क किनारे गंदगी और जलभराव साफ दिखता है। यह इलाका आता तो नगर निगम में है, लेकिन इसकी हालत गांव से भी बदतर है। गांवों में आज जहां विकास की बयार बह रही है, वहीं इस क्षेत्र में विकास का 'वी' भी नजर नहीं आता, यहां के हालात कहीं ज्यादा दयनीय है। तीन दशक से ज्यादा बीत जाने के बाद भी कुंडा गांव आज वहीं खड़ा है, जहां वो तब था, या शायद उससे भी पीछे। यहां के लोगों की तकलीफों की फेहरिस्त लंबी है, पर समाधान करने वाला कोई नहीं। करीब दस हजार की आबादी वाला ये इलाका न पूरी तरह से गांव रह गया है और न ही शहर का हिस्सा बन पाया है। ना सड़कें ना ही नालियां, चारों ओर बदहाली कुंडा गांव का हिस्सा शंकर नगर, जिसकी गलियां और सड़कें गड्ढों से भरी हुई हैं। बरसात में यही गड्ढे पानी से भरकर तालाब बन जाते हैं, जिनमें बच्चे खेलते हैं और बुजुर्ग गिर जाते हैं। हालात ये हैं कि पूरे इलाके में एक भी जगह सड़क नजर नहीं आती। कुंडा के शंकर नगर में घुसते ही सबसे पहले खड़ंजे पर गंदा पानी भरा हुआ नजर आता है। जिसके पास में गंदे पानी से लबालब एक तालाब बन चुकी खाली जगह दिखती है। यह इस इलाके के लिए संक्रमण का पर्याय बन चुका है। यहां के लोगों का कहना है कि इस पूरे इलाके से गंदे पानी की निकासी की कोई व्यवस्था नहीं है। जिससे पूरा इलाका गंदगी से सराबोर रहता है। पानी में डूबने से बच्चे की जा चुकी है जान कुंडा गांव में जल निकासी की कोई व्यवस्था नहीं है। बरसात आते ही सड़कों पर पानी भर जाता है, जो कई-कई दिनों तक सूखता नहीं। घरों के पास गंदा पानी जमा रहता है, जिसमें मच्छर पनपते हैं और लोग डेंगू, मलेरिया जैसी बीमारियों के शिकार हो जाते हैं। मोहल्ले में रहने वाली राजेश्वरी, ज्योति, ममता, जगवती और पूजा इलाके में भरे गंदे पानी को दिखाते हुए कहती हैं कि बरसात में यह पूरा इलाका पानी में डूब जाता है। गली मोहल्ले में कमर तक पानी भर जाता है, करीब एक साल पहले गली में भरे पानी के अंदर तीन साले के बच्चे की डूबने से मौत हो गई थी। जिसके बाद प्रशासन से इलाके के विकास का आश्वासन मिला था, लेकिन आजतक इंतजार ही हो रहा है, हुआ कुछ भी नहीं। सीवर व्यवस्था नदारद, गंदगी का अंबार शहर में नगर निगम का हिस्सा कुंडा गांव आज दयनीय स्थिति में है। पूरे कुंडा क्षेत्र में कहीं भी सीवर लाइन नहीं है। चारों ओर गंदगी का अंबार नजर आता है। नालियां भी पूरे इलाके में नहीं दिखेंगी। कुंडा गांव के शंकर नगर इलाके में रहने वाले लोग यहां की व्यवस्था को दिखाते हुए कहते हैं, कि सभी ने अपने घरों के सामने नालियां बना लीं, लेकिन इनका पानी मोहल्ले में ही भरता है। सीवर लाइन नहीं होने के कारण ना तो गंदा पानी कहीं जा पाता है और ना ही उसकी निकासी की व्यवस्था है। मोहल्ले में कीचड़ और गंदगी के अलावा कुछ नजर नहीं आता। मोहल्ले में पैदल चलना भी भारी पड़ता है, साइकिल तक भी नहीं निकाल सकते। बरसात में बढ़ जाता है संक्रमण का खतरा कुंडा इलाके के लोगों का कहना है कि यहां पास में बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियां हैं, दिल्ली रोड और दिल्ली-देहरादून हाईवे के बीच में बसा हुआ इलाका है। इसके बावजूद इस इलाके की दुर्गति हुई पड़ी है। पूरे इलाके की सबसे बड़ी समस्या सड़कों का विकास नहीं होना और मोहल्ले के गंदे पानी की निकासी नहीं है। जिसके कारण यहां हालात बदतर हो गए हैं। पिछले पैंतीस साल से यहां के लोग गंदगी और संक्रमण झेल रहे हैं। पूरे इलाके में मच्छरों की भरमार है, गंदे पानी और गंदगी से सांप, बिच्छू और जहरीले कीड-मकौड़े निकलते हैं। अब बरसात के कारण संक्रमण का खतरा और बढ़ गया है। बच्चे, बुजुर्ग और महिलाएं सभी बीमारी की जद में आ जाते हैं। शहर का हिस्सा होने के बाद भी शासन और प्रशासन की इस ओर दया दृष्टि नहीं डालता। ना शहर के रहे, ना ही गांव रहे कुंडा गांव के बुजुर्ग कहते हैं, हमें नगर निगम में तो शामिल कर लिया गया, पर हमें नगर वाली सुविधाएं दूर-दूर तक नहीं मिलतीं। हम ना तो शहर के रहे और ना ही अब गांव का अहसास होता है। बरसात में जलभराव के दौरान बच्चे कई दिनों तक स्कूल भी नहीं जा पाते। ऐसे में देखा जाए तो कुंडा गांव की कहानी सिर्फ एक गांव की नहीं, बल्कि उन तमाम बस्तियों की है, जिन्हें ‘शहरीकरण की आड़ में निगम में तो शामिल कर लिया गया, लेकिन विकास की मुख्यधारा से जोड़ा नहीं गया। शासन और प्रशासन इस इलाके की आवाज़ को सुने, और कुंडा गांव को उसका हक़ दे तो बात बने, साफ पानी, पक्की सड़कें, जल निकासी और एक बेहतर जीवन की बाट जोह रही कुंडा की जनता बुनियादी सुविधाओं के इंतजार में जीवन जी रही है। धरना प्रदर्शन खूब किए, मिला केवल आश्वासन कुंडा गांव के लोग कहते हैं कि यहां बिजली और पानी की व्यवस्था बहुत खराब है। कुंडा में पानी की टंकी बनी है, लेकिन उसका पानी इलाके में कुछ ही जगह पहुंच पाता है। कई जगह गंदा पानी आता है, जिसकी वजह से पानी की बड़ी समस्या रहती है। आसपास हैंडपंप भी नहीं हैं, जहां से पानी भरकर लाया जा सके। रात में इलाके में चलते वक्त डर लगता है, खंभों पर स्ट्रीट लाइटें ही नहीं हैं। आए दिन इलाके की बदहालत को लेकर धरना-प्रदर्शन करते हैं, गुहार लगाते हैं, मांग पत्र सौंपते हैं, मगर हर बार आश्वासन ही मिलता है। समस्या - इलाके में टूटी सड़कें और जलभराव की बड़ी समस्या है - कुंडा के शंकर नगर में गली मोहल्ले में सड़कें गायब हैं - पूरे इलाके में गंदे पानी की निकासी की व्यवस्था कहीं नहीं - गंदे पानी के इकट्ठा होने से संक्रमण का खतरा रहता है - सड़कों के किनारे खंभों पर कहीं स्ट्रीट लाइटें नहीं हैं सुझाव - पूरे इलाके की लेबलिंग करके सड़कों का निर्माण किया जाए - गली मोहल्लों में भरे जल की निकासी की व्यवस्था हो - मोहल्लों में पीने के पानी की व्यवस्था सुचारू रूप से हो - संक्रमण के खतरे को देखते हुए इलाके में दवा छिड़काव हो - खंभों पर स्ट्रीट लाइटें लगाई जाएं, रोशनी का प्रबंध हो लोगों की व्यथा इस इलाके की हालत बहुत खराब है, एक साल पहले प्रस्ताव बनाकर दिया जा चुका है। इस इलाके में सड़क, जल निकासी की समस्या सबसे ज्यादा है। नगर निगम में होने के बावजूद गांव से भी बदतर हालात हो गए हैं, शहर जैसी सुविधाएं तो दूर तक नहीं हैं। अगर जल्द ही सुधार नहीं हुआ तो सीएम के पास भी जाएंगे। - प्रशांत कसाना, पार्षद इससे अच्छा तो गांव रहता है, गलियों में पानी भरा रहता है, सड़क तो कहीं भी नहीं हैं, चलते हुए भी गिरने का डर लगता है। - सोनवती कुंडा का शंकर नगर शहर का हिस्सा तो बन गया, पर कहीं भी सड़क या खड़ंजे नही बने, गली मोहल्लों में गंदा पानी भरा रहता है। - रामदास गंदे पानी की निकासी पूरे इलाके में नहीं है, बरसात होते ही यह पूरा क्षेत्र तालाब बन जाता है, लोगों का चलना दूभर हो जाता है। - आत्माराम देखो पूरी सड़क पर गंदा पानी भरा हुआ है, इसमें से ही निकलकर लोग आते-जाते हैं, शिकायत कर चुके हैं, कोई ध्यान वाला नहीं है। - सत्यपाल गली मोहल्लों में इतनी गंदगी रहती है कि हालत खराब हो जाती है, साफ सफाई की व्यवस्था कहीं भी नहीं है, कीड़े पैदा हो जाते हैं। - धर्मवीर गंदा पानी सड़कों पर भरा रहता है, शुरू में ही खाली जगह पर तालाब बन गया है, जिसमें सांप, बिच्छू, मच्छर और मक्खी पैदा हो रहे हैं। - रामसिंह एक साल पहले इस इलाके में गंदे पानी में डूबकर एक मासूम छोटे बच्चे की मौत हो गई थी, तब भी आश्वासन ही मिला था, हुआ कुछ नहीं। - ज्योति बरसात के दिनों में पूरा मोहल्ला पानी में डूब जाता है, लोगों का घरों से निकलना भी मुश्किल हो जाता है, बच्चे स्कूल भी नहीं जा पाते हैं। - ममता लोगों ने धरना, प्रदर्शन भी किए हैं, लेकिन हुआ कुछ नहीं, आज भी सड़कों पर गंदा पानी भरा रहता है, बरसात में तो जिंदगी दुश्वार हो जाती है। - शिक्षा देवी गंदे पानी में सांप और बिच्छू निकलने लगे हैं, रात में सड़कों पर चलते हुए डर लगता है, कहीं पर भी खंभों पर लाइट नहीं जलती हैं। - जगवती पानी की निकासी पूरे क्षेत्र में कहीं भी नहीं है, पानी उल्टा मोहल्ले में बहता है, गलियों में गंदा पानी भरा रहता है, सभी रास्ते खराब हैं। - ममता यह इलाका ना तो शहर है और ना ही पूरी तरह गांव है, गंदगी चारों तरफ पड़ी रहती है, इलाके में कोई सफाई वाला भी नहीं आता है। - पूजा यहां शंकर नगर की सड़कें बन जाएं और गंदे पानी की निकासी की व्यवस्था हो जाए तो लोगों को बहुत बड़ी राहत मिल जाए। - राजकुमार एक साल पहले इस मोहल्ले में गंदे पानी की वजह से बच्चा मर गया था, वह खेलते हुए बाहर निकला और गंदे पानी में डूब गया। - राजेश्वरी ना तो यहां सड़क हैं, ना ही किसी गली में नालियां बनी हुई हैं, लोगों के घरों का गंदा पानी गलियों में बहता है, निकासी कहीं है नहीं। - अनीता

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