बोले मेरठ : यहां बाशिंदों के सामने मुसीबतों का पहाड़
Meerut News - मेरठ के शास्त्रीनगर सेक्टर 12 की हालत बेहद खराब है। यहाँ की गलियों में चलने लायक सड़कें नहीं हैं, सीवर जाम हैं और गंदगी फैली हुई है। लोगों को बुनियादी सुविधाओं की कमी का सामना करना पड़ रहा है। बरसात...

मेरठ शहर की चहल-पहल के बीच बसा शास्त्रीनगर का सेक्टर 12, जिसे आवास विकास ने करीब दो दशक पहले बसाया था। उस समय यहां घर पाने वालों की आंखों में एक व्यवस्थित और साफ-सुथरे माहौल में अपने बच्चों के साथ जिंदगी बिताने का सपना था। आज भी उस सपने की हकीकत कुछ और ही कहानी कहती है। बदहाली, गंदगी और सड़कविहीन गलियां दयनीय स्थिति को बयां करती नजर आती हैं। अब यहां के लोगों को बुनियादी सुविधाओं की जरूरत है ताकि अपने जीवन बेहतर बना सकें। शास्त्रीनगर सेक्टर 12 में नाले के किनारे आवास विकास द्वारा वर्ष 2004 के दौरान मकान बनाकर लोगों को आवंटित किए गए थे।
वर्तमान में इस कॉलोनी में 300 के आसपास मकान हैं और यहां 5000 से ज्यादा लोग रहते हैं। इनमें से 2000 से अधिक मतदाता हैं, जो हर चुनाव में लोकतंत्र के उत्सव में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं लेकिन जब बात मूलभूत आवश्यकताओं की होती है, तो यहां की हालत देखकर यकीन करना मुश्किल हो जाता है, कि यह इलाका एक विकसित शहर का हिस्सा है। यह इलाका आज तक नगर निगम को हैंडओवर नहीं हो पाया है। आज भी अपनी बदहाली पर आंसू बहाता नजर आता है। हिन्दुस्तान बोले मेरठ टीम ने इस इलाके में रहने वाले लोगों से उनकी समस्याओं को लेकर संवाद किया। जो इस इलाके की दयनीय स्थिति में सुधार की दरकार रखते हैं तथा विभागों के चक्कर काटकर थक चुके हैं। यहां सड़क चलने लायक नहीं सेक्टर 12 में नाले के किनारे से प्रवेश करते ही इस इलाके की स्थिति दिखने लगती है। जहां चलने लायक सड़क ही नहीं है, जबकि यह इलाका आरटीओ ऑफिस के सामने है। यहां रहने वाले लोगों का कहना है, कि यह आवास विकास की कॉलोनी है, लेकिन यहां विकास के नाम पर आजतक कुछ नहीं हुआ। गलियों में सड़क या इंटरलॉकिंग टाइल्स नहीं लगाई गई हैं। सभी रास्ते ऊबड़-खाबड़ और गंदगी से भरे हैं। कई लोग गिरकर चोटिल हो जाते हैं। मोहम्मद असलम और अफजाल चौधरी कहते हैं, कि बरसात में ये गलियां तालाब बन जाती हैं। पास में ही मस्जिद है, गंदगी की वजह से लोग वहां तक भी नहीं पहुंच पाते। फिसलन और गड्ढों की वजह से लोग गिर भी जाते हैं। यहां स्थिति सालों से बहुत खराब है, कोई देखने वाला नहीं है। सीवर लाइनें जाम, नालियां गायब सेक्टर 12 में रहने वाले लोगों का कहना है, कि यहां की बड़ी समस्या जलनिकासी और सफाई व्यवस्था की कमी भी है। कॉलोनी की गलियों में सीवर लाइन तो है, लेकिन वह पूरी तरह से जाम पड़ी हुई है। सीवर का गंदा पानी अक्सर गलियों में कच्ची सड़क पर बहता रहता है, जिससे बदबू और बीमारियों का खतरा बना रहता है। लोगों के घरों के बाहर नालियां ही नहीं बनी, और यहां रास्ते आज भी अपनी दुर्दशा बयां करते हैं। कुछ दिन पहले सरकारी टीम दलबल के साथ आई थी, यहां नालियां बनाने को लेकर लोगों के घरों के सामने अतिक्रमण हटाने की बात करते हुए रैंप तोड़ दिए गए थे, लेकिन इसके बाद ना तो नाली बनी और ना ही कोई देखने आया। लोगों ने किसी तरह उसे फिर सही कराया। इस पूरे इलाके में निकासी की कोई व्यवस्था नहीं है, जिसके कारण लोग बदहाली झेलते आ रहे हैं। बरसात में नरक बन जाती हैं गलियां इलाके के रहने वाले लोगों का कहना है, कि जब बरसात होती है, तो हालात और भी भयावह हो जाते हैं। गलियों में कीचड़ और गंदा पानी भर जाता है। चलने लायक सड़कें ही नहीं बचतीं, और कई जगह तो सड़कों का पता तक नहीं है। पानी निकासी की कोई स्थाई व्यवस्था नहीं है, जबकि मुख्य नाला कुछ ही दूरी पर है। अगर संबंधित विभाग पूरे इलाके में नालियां और सीवर लाइन को दुरुस्त करने के लिए घरों के सामने बने रैँप भी तोड़ दे, तो हम लोग इसके लिए भी तैयार हैं। कई बार आवास विकास में शिकायत कर चुके हैं। वे कहते हैं कि नगर निगम जाओ, वहां जाते हैं तो वे इस इलाके को हैंडओवर नहीं होने की बात कहकर वापस कर देते हैं। इस इलाके की कोई सुध लोने वाला नहीं है। पार्क सिर्फ नाम का, गंदगी में खेलते हैं बच्चे यहां के लोग कॉलोनी में एक पार्क को दिखाते हुए कहते हैं, कि यह नाम का पार्क है, जिसकी बाउंड्री ही नहीं है। कोई कह ही नहीं सकता कि यह पार्क भी है। बच्चे गंदगी में ही खेलते रहते हैं, यह पार्क सिर्फ कागज़ों में ही बचा है। इसकी दीवारें टूटी हुई हैं, न कोई गेट है, न सुरक्षा, न हरियाली। पार्क की जमीन पर लोग अपने ठेले, गाड़ियां या घरेलू सामान रख देते हैं। छोटे बच्चे मजबूरी में उसी गंदगी के बीच खेलते हैं, क्योंकि खेलने का कोई दूसरा विकल्प नहीं है। बरसात में पूरा इलाका चलने लायक नहीं रहता, पार्क में बच्चे खेल भी नहीं पाते। टंकी से पीने लायक पानी नहीं आता यहां रहने वाले लोग बुनियादी सुविधा पीने के पानी को लेकर भी परेशान रहते हैं। उनका कहना है कि कई बार इस क्षेत्र में पानी पीने लायक नहीं आता। पानी मटमैला और बदबूदार होता है, जिससे लोग नहा भी नहीं सकते। इसके बाद या तो लोग किसी सबमर्सिबल वाले के यहां से पानी लाते हैं, या फिर किसी हैंडपंप से पानी भरकर लाते हैं। इस क्षेत्र में ड्रेनेज सिस्टम, गंदगी और पीने के पानी की समस्या को लेकर नगर निगम और आवास विकास एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डालते रहते हैं, लेकिन समस्या जस की तस बनी हुई है। इसका समाधान किसी तरह हो जाए तो लोगों की जिंदगी सही हो पाए। नाला बना कूड़ाघर, उठती है बदबू लोगों का कहना है कि पूरे क्षेत्र में कोई सफाई कर्मी नहीं आता है, लोगों के घरों का कूड़ा कई-कई दिनों तक पड़ा रहता है। ज्यादातर लोग नाले में ही कूड़ा डाल देते हैं। जिससे नाला भी गंदगी से अटा रहता है। उसकी सफाई होती है, लेकिन गंदगी फिर उसमें भर जाती है। अगर इलाके में सफाई वाला आए तो लोगों के घरों का कूड़ा नाले में ना फेंका जाए। इसी कारण आसपास बहुत बदबू रहती है। नाले को ही कूड़ा घर बना दिया गया है। वहीं क्षेत्र में साफ सफाई नहीं होने के कारण सक्रमण का खतरा बना रहता है। लोग बीमार हो जाते, बच्चे बूढ़े सभी परेशान रहते हैं। विभागों के बीच फंसा इलाका इस क्षेत्र के पार्षद इकरामुद्दीन सैफी का कहना है, कि इस इलाके की स्थिति बहुत खराब है। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को भी पत्र लिखा था, जिसमें पानी की सप्लाई, प्रबंधन, सड़कों की स्थिति, स्ट्रीट लाइटों की समस्या और इलाके की ड्रेनेज व्यवस्था सुधारने की बात रखी गई थी। इस संबंध में नगरायुक्त और डीएम से जवाब भी मांगा गया था लेकिन आज तक कोई ना तो जवाब दे पाया और ना ही इस संबंध में कोई कार्रवाई की गई। आज भी यह कॉलोनी नगर निगम को हैंडओवर नहीं की गई, जिसको लेकर कई बार आवास विकास के अधिकारियों और नगरायुक्त से बात की गई। दोनों ओर से जवाब ढुलमुल ही मिलता है, और परेशान यहां के लोग हो रहे हैं। समस्याएं - इलाके में नालियां नहीं हैं और सीवर की सफाई नहीं होती - क्षेत्र में सड़कें नहीं हैं, गलियां में लोग चल नहीं सकते - पार्क की दीवारें नहीं हैं, झूले, पौधों की व्यवस्था नहीं है - पूरे इलाके में साफ पेयजल की समस्या काफी रहती है - नगर निगम और आवास विकास के बीच इलाका फंसा है सुझाव - नालियों का निर्माण और सीवर की सफाई की व्यवस्था हो - सड़कों का निर्माण किया जाए, गलियों में इंटरलॉकिंग टाइल्स लगे - पार्क का पुनर्निर्माण, दीवारें, झूले, पौधों की व्यवस्था होनी चाहिए - पूरे इलाके में पेयजल की शुद्धता सुनिश्चित की जानी चाहिए - नगर निगम व आवास विकास मिलकर हल निकालें क्या बोले लोग पूरे इलाके की स्थिति खराब है, कहीं भी सड़कें नहीं हैं, बरसात में लोग चल भी नहीं सकते, सड़क बन जाए तो राहत मिले। - मोहम्मद असलम गलियों में तो बड़ी बुरी स्थिति है, सीवर आए दिन चोक रहते हैं, उनका गंदा पानी गलियों में भरा रहता है, लोग गिरते रहते हैं। - अफजाल चौधरी बरसात में पूरा इलाका तालाब बन जाता है, लोगों का बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है, इलाके में सफाई भी नहीं होती। - जमील अहमद पूरा इलाका गंदा पंड़ा रहता है, कोई सफाई वाला भी नहीं आता, इसलिए लोग कूड़ा नाले में फेंक देते हैं, जिससे गंदगी होती है। - सलीम अंसारी अगर सफाई वाले आएं तो इलाके की गंदगी कम हो, लेकिन सबसे पहले लोग यहां की सड़कें और नालियां बनवाना चाहते हैं। - साकिर अली किसी भी गली में सड़कें नहीं बनी हुई हैं, लोगों को बहुत परेशानी होती है, बरसात में गंदा पानी लोगों के घरों में घुस जाता है। - बुंदू खान पार्क की दीवारें नहीं हैं, ना ही उसको कोई देखने वाला है, स्थिति ये हो गई है कि बच्चे गंदगी के बीच में ही खेलते रहते हैं। - मोहम्मद रफी निकासी की व्यवस्था पूरे इलाके में ही खराब है, सीवर चोक होने के कारण गंदा पानी लोगों के घरों तक में घुस जाता है। - जीशान मलिक लोगों को नमाज के दौरान मस्जिद तक पहुंचने में भी बड़ी दिक्कतें होती हैं, सभी सड़कें टूटी पड़ी हैं, समाधान होना चाहिए। - नवाबुद्दीन इस कॉलोनी को आवास विकास ने बनाया, लेकिन आजतक इसकी हालत देखने कोई नहीं आया, हाउस टैक्स सभी देते हैं। - शौकीन मलिक पूरे इलाके में नालियां तो बनी ही नहीं हैं, हालात ये हैं कि लोगों के घरों का गंदा गलियों में भरता है, निकासी कहीं नहीं है। - असलम कुरैशी कई बार लोगों के घरों में पीने का पानी बहुत खराब आता है, पानी में बदबू आती है, यहां पूरे इलाके में समस्याएं बहुत हैं। - इलियास यहां के लोग विभागों के चक्कर काटते-काटते परेशान हो गए हैं, लेकिन कहीं से समाधान नहीं मिल पा रहा है, लोग परेशान हैं। - इरशाद अली इलाके में नाली बनाने के नाम पर घरों के सामने बने स्लैप तोड़े गए थे, लेकिन आजतक कहीं भी नालियां नहीं बनाई गईं। - अलाउद्दीन बरसात में पूरे इलाके में जलभराव हो जाता है, लोगों का चलना मुश्किल होता है, मच्छर और कीड़े-मकोड़े पनप जाते हैं। - मोहम्मद इरफान लोग सालों से हाऊस टैक्स दे रहे हैं, लेकिन सुविधाएं कुछ नहीं मिल रहीं, ना सड़क बन पर रही है और ना ही नालियां। - मोहम्मद साजिद सबसे पहले इस इलाके में सड़क बन जाएं और नालियां बनाई जाएं, ताकि लोगों को नरक जैसी जिंदगी से छुटकारा मिले। - शादाब मलिक मुख्य समस्या तो इलाके में सड़क, गंदगी और नालियों की है, विभाग कोई सुनता ही नहीं है, एक दूसरे पर टालते रहते हैं। - शहजाद मलिक बोले पार्षद क्षेत्र के लिए मानवाधिकार आयोग तक को पत्र लिख चुका हूं। आवास विकास वाले नगर निगम को कह देते हैं और नगर निगम वाले इसको अपने हाथ में नहीं ले रहे। डीएम और नगरायुक्त इस मामले में जवाब नहीं दे पा रहे हैं। सड़क, नाली, गंदगी और निकासी कहीं नहीं है। - इकरामुद्दीन सैफी, पार्षद वार्ड 73
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