शुगर फ्री आलू का दावा भ्रामक, कुछ प्रजाति ही ‘लो शुगर
Meerut News - 30 मई को विश्व आलू दिवस मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य आलू के पोषण, आर्थिक और पर्यावरणीय महत्व को उजागर करना है। आलू की कुछ प्रजातियाँ, जैसे कुफरी जमुनिया, चिप्सोना और सूर्या, विशेष रूप से डायबिटीज...

30 मई को विश्व आलू दिवस के रूप में मनाया जाता है, जिसकी शुरुआत 2024 में संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन द्वारा की गई थी। इसका उद्देश्य आलू की पोषण, आर्थिक, पर्यावरणीय और सांस्कृतिक महत्व को उजागर करना है। देश में जहां आलू को सब्जियों का राजा कहा जाता है, वहीं इस दिन को किसानों, वैज्ञानिकों और नीति निर्माताओं द्वारा आलू की खेती और इसके लाभों को बढ़ावा देने के लिए मनाया जाता है। वेज से लेकर नॉनवेज तक में इस्तेमाल होने वाले आलू का उत्पादन और खपत तो लगातार बढ़ रही है, लेकिन शुगर के मरीजों के लिए इसे नुकसानदेह ही माना जाता है।
हालांकि बाजार में शुगर फ्री आलू होने का दावा भी किया जाता है लेकिन कृषि वैज्ञानिक इस दावे को पूरी तरह भ्रामक करार देते हैं। केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान से जुड़े वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. अशोक चौहान का कहना है कि आलू में आमतौर पर उच्च ग्लाइसेमिक इंडेक्स होता है, जो डायबिटीज रोगियों के लिए ब्लड शुगर को तेजी से बढ़ा सकता है। फिर भी, कुछ प्रजातियां और खास तरीकों से तैयार किए गए आलू डायबिटीज रोगियों के लिए कम हानिकारक हो सकते हैं। देश में कुछ आलू प्रजातियां ही है जो लो शुगर हैं। ये प्रजाति है लो शुगर कुफरी जमुनिया डॉ. अशोक चौहान ने बताया कि आलू की प्रजाति कुफरी जमुनिया के अंदरूनी हिस्से का रंग बैंगनी है, जो एंटीऑक्सीडेंट्स और एंथोसायनिन्स से भरपूर होता है। यह आलू की किस्म न केवल स्वादिष्ट है, बल्कि इसके कई स्वास्थ्य लाभ भी हैं। इसमें 52 मिलीग्राम विटामिन सी, 32 मिलीग्राम एंथोसायनिन्स और 163 माइक्रोग्राम कैरोटीनॉयड्स प्रति 100 ग्राम होते हैं। कुफरी चिप्सोना केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान द्वारा विकसित यह प्रजाति कम स्टार्च और कम शर्करा सामग्री के लिए जानी जाती है। इसका उपयोग मुख्य रूप से चिप्स और फ्रेंच फ्राइज के लिए होता है, लेकिन उबालकर खाने पर यह डायबिटीज रोगियों के लिए बेहतर हो सकता है। इसे उबालकर या बेक करके, नींबू का रस या सिरका मिलाकर खाने से ब्लड शुगर पर इसका प्रभाव कम हो सकता है। कुफरी सूर्या ये प्रजाति विशेष रूप से गर्म जलवायु में खेती के लिए उपयुक्त है। इसमें कम शर्करा और उच्च पोषक तत्व होते हैं। इसका ग्लाइसेमिन इंडेक्स सामान्य आलू की तुलना में कम होता है और यह फाइबर और विटामिन सी से भरपूर होता है, जो डायबिटीज रोगियों के लिए लाभकारी हो सकता है। क्या बोले अधिकारी केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान मोदीपुरम पर कुफ्री जमुनिया के साथ ही कुफ्री चिप्सोना-1 और चिप्सोना-3 की किस्म भी पैदा की जाती है। यहां आलुओं की कुल 76 वैरायटी पैदा की जा रही है। शुगर फ्री आलू होने का दावा भ्रामक है। आलू में लो शुगर हो सकता है, शु्गर फ्री नहीं। डॉ. अशोक चौहान, मुख्य तकनीकी अधिकारी, केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान मोदीपुरम मेरठ किसानों की आलू उत्पादन में रुचि बढ़ी है। किसान संस्थान द्वारा विकसित तकनीकों को अपना रहे हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान बीज आलू को भी एक व्यवसाय के रूप मे अपना रहे हैं। केंद्र द्वारा लगभग 22 से ज्यादा किस्मों का विकास किया गया हैं। इनमें गर्मी प्रतिरोधक, प्रसंस्करण योग्य, सब्जी के लिए उपयुक्त किस्म शामिल हैं। डॉ. आरके सिंह, केंद्र अध्यक्ष, केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान क्षेत्रीय केंद्र मोदीपुरम
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