12 70 Crore Road Development in Prayagraj Using FDR Technology 12.70 करोड़ से तीन गांवों में बदलेगी सड़क की तस्वीर, Prayagraj Hindi News - Hindustan
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12.70 करोड़ से तीन गांवों में बदलेगी सड़क की तस्वीर

Prayagraj News - प्रयागराज के होलागढ़ ब्लॉक के तीन गांवों में 12.70 करोड़ रुपये की लागत से सड़कें बनाई जाएंगी। नई एफडीआर तकनीक का उपयोग करते हुए ग्रामीण अभियंत्रण विभाग टेंडर जल्द ही निकालेगा। तीन सड़कों का निर्माण...

Newswrap हिन्दुस्तान, प्रयागराजFri, 30 May 2025 03:43 PM
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12.70 करोड़ से तीन गांवों में बदलेगी सड़क की तस्वीर

प्रयागराज। होलागढ़ ब्लॉक के तीन गांवों में सड़क की तस्वीर 12.70 करोड़ से बदलेगी। नई एफडीआर तकनीक से सड़क को ग्रामीण अभियंत्रण विभाग बनाएगा। जल्द ही सड़कों का टेंडर निकाला जाएगा। जिसके बाद यहां पर निर्माण कार्य तेज होगा। पिछले वित्तीय वर्ष में जिले में 13 सड़कों का निर्माण एफडीआर तकनीक से कराया गया था। यह सड़कें काफी अच्छी मानी गई। इस बार तीन सड़कों का चयन किया गया। जिसमें सोरांव के कल्याणपुर रोड के किलोमीटर संख्या दो से रैया सराय चांद के रास्ते बलईमऊ, जमालपुर के रास्ते बारादरी चौराहे तक 7.5 किलोमीटर की सड़क पांच करोड़ 71 लाख रुपये से बनाई जाएगी।

वहीं, गदियानी नेवड़िया नहर की पटरी से कटरा अहिरन, बाभनपुर रोड तक 5.11 किलोमीटर की सड़क 3.43 करोड़ रुपये से बनाई जाएगी और कल्याणपुर मुकुंदपुर रोड से बनतरी, तुलापुर, खड़गपुर के रास्ते भिटारा सकरदहा तक 4.9 किलोमीटर की सड़क के लिए तीन करोड़ 56 लाख रुपये की राशि जारी हुई है। अधिशासी अभियंता आरईडी सत्य प्रकाश मिश्र ने बताया कि तीनों सड़कों का निर्माण जल्द ही कराया जाएगा। पांच साल तक एजेंसी देखेगी काम इन तीन सड़कों का निर्माण कराने वाली एजेंसी को जो 12.70 करोड़ रुपये की राशि दी जाएगी। इसमें सड़क का निर्माण तो कराना ही होगा। साथ ही आने वाले पांच वर्षों तक सड़क की देखरेख भी करनी होगी। यानी सड़क उखड़ने, धंसने पर अब कोई राशि शासन जारी नहीं करेगा। कार्यदायी एजेंसी को ही सड़क निर्माण का काम पूरा कराना होगा। क्या है एफडीआर तकनीक फुल डेफ्थ रिक्लेमेशन (एफडीआर) तकनीक में सड़क की मोटाई के बराबर गिट्टी को निकाला जाता है। निकाले गए मटिरियल में केमिकल मिलाकर इसी से सड़क की लेवलिंग की जाती है। केमिकल के कारण सीमेंट सेट होती है और सात दिन तक तराई के बाद सड़क को काटकर देखा जाता है कि सेट हुई की नहीं। सेट होने की दशा में इसे छोड़ दिया जाता है और 28 दिन बाद एक बार फिर सड़क को काटकर इसकी जांच की जाती है। जिसके बाद ऊपर से डामर रोड बनाई जाती है। इस तकनीक में बेहद कम मटिरियल इस्तेमाल होता है और कम ही लागत में सड़क अधिक मजबूत बनती है।

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