जवाबी हलफनामे के लिए पक्षकारों से पैसा मांगने पर हाईकोर्ट तल्ख
Prayagraj News - इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विवेचना अधिकारियों द्वारा पक्षकार से पैसे मांगने की प्रवृत्ति पर नाराजगी जताई है। कोर्ट ने डीजीपी को निर्देश दिया है कि कोई भी पुलिस अधिकारी हलफनामा दाखिल करने के लिए पक्षकार से...

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए विवेचना अधिकारियों द्वारा पक्षकार से पैसे मांगने की प्रवृत्ति पर नाराजगी जताई है। कोर्ट ने प्रदेश के डीजीपी से इस आशय का परिपत्र जारी करने को कहा है कि कोई भी पुलिस अधिकारी हलफनामा दाखिल करने के लिए पक्षकार को फ़ोन न करे और पैसे की मांग न करे। यह आदेश न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार ने फतेहपुर निवासी कमलेश कुमार मिश्र व अन्य के मामले में दिया है। कोर्ट ने साथ ही विवेचक मधुसूदन वर्मा के खिलाफ उचित जांच के लिए प्रकरण डीजीपी को भेजते हुए कहा कि जवाब दाखिल करने के लिए पक्षकार से पैसे मांगने की प्रथा बेहद निंदनीय है।
याची के अधिवक्ता ने बताया कि विवेचना अधिकारी ने पक्षकार को फोन कर जवाबी हलफनामा दाखिल करने के एवज में तीन हजार रुपये की मांग की है। उन्होंने कहा कि यह चलन बन गया है कि विवेचना अधिकारी पक्षकार को फोन कर जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए पैसे मांगते हैं। कोर्ट में उपस्थित विवेचना अधिकारी ने माना कि उन्होंने जानकारी के लिए फोन किया था। व्यक्तिगत हलफनामे में विवेचना अधिकारी ने कहा कि उन्होंने मामले में संतोषजनक जवाब देने के लिए आवेदक को फोन किया था। बात समझ में नहीं आई तो फोन काट दिया और पैसे की मांग नहीं की। याची ने पुलिस विभाग की छवि खराब करने के लिए झूठे आरोप लगाए हैं। कोर्ट ने इस कथन पर असंतोष जताते हुए कहा कि व्यक्तिगत हलफनामे में लिखा गया रुख विवेचना अधिकारी के आचरण को स्पष्ट नहीं करता। ऐसे में विवेचना अधिकारी के खिलाफ उचित जांच जरूरी है।
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