डॉ आंबेडकर को संविधान में भेदभाव का निषेध करने का श्रेय
Prayagraj News - प्रयागराज में, न्यायमूर्ति महेश चंद्र त्रिपाठी ने डॉ आंबेडकर के संविधान निर्माण में योगदान को सर्वोच्च बताया। उन्होंने भारत की वैदिक परंपरा का उदाहरण देकर समाज में जाति, भाषा और धर्म के आधार पर भेदभाव...
प्रयागराज, विधि संवाददाता। इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति महेश चंद्र त्रिपाठी ने कहा कि डॉ आंबेडकर का संविधान निर्माण में योगदान सर्वोच्च है। उन्होंने भारत की वैदिक परंपरा का उदाहरण देते हुए बताया कि भारत का समाज कार्य के आधार पर वर्गीकृत था, न की जाति के आधार पर। भारतीय संविधान में समय के साथ समाज में आई कुरीतियों को दूर करने के लिए संविधान में जाति, भाषा व धर्म के आधार पर भेदभाव का निषेध किया। इसका श्रेय डॉ आंबेडकर को जाता है। न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी अधिवक्ता परिषद काशी प्रांत की उच्च न्यायालय इकाई की ओर से मंगलवार को एडवोकेट्स एसोसिएशन के सभागार में डॉ भीमराव आंबेडकर जयंती के अवसर पर आयोजित समरसता दिवस कार्यक्रम को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि यह विश्व का इकलौता संविधान है जो लागू होने के समय से ही मताधिकार देता है ब्रिटेन में प्रारंभ में कुछ लोगों को ही मताधिकार का अधिकार था। डॉ आंबेडकर की योग्यता के बारे में बताते हुए न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी ने कहा कि उन्होंने तीनों गोलमेज सम्मेलन में प्रतिभाग किया। संविधान के विभिन्न उपबंधों पर विस्तृत परिचर्चा करते हुए न्यायमूर्ति ने समानता, बंधुत्व और स्वतंत्रता के सिद्धांतों पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ अधिवक्ता राधाकांत ओझा ने की। विषय प्रवेश प्रतीक राय और कार्यक्रम का संचालन सौमित्र द्विवेदी तथा काशी प्रांत के उपाध्यक्ष नरेश चंद्र त्रिपाठी ने आभार जताया। कार्यक्रम में एडवोकेट्स एसोसिएशन के पदाधिकारी रूपेश श्रीवास्तव, उच्च न्यायालय इकाई की अध्यक्ष राजकुमारी, डॉ राजेश्वर त्रिपाठी, नीरज सिंह, संदीप सिंह, वरुण सिंह, जीतेन्द्र मिश्र, वत्सला उपाध्याय, शशि, प्रभूति कांत त्रिपाठी, पवन सिंह दिव्यांश, सिद्धार्थ बघेल, प्रतीक आदि उपस्थित रहे।
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