कनिहार : झील और नौकायन का सब्जबाग दिखा बना दिया पांटून पुल के पीपों का गोदाम
Prayagraj News - प्रयागराज के झूंसी क्षेत्र में कनिहार झील और पक्षी विहार के विकास की योजना वर्षों से फाइलों में दबी हुई है। स्थानीय लोगों ने महाकुम्भ से पहले इस योजना के लागू होने की उम्मीद की थी, लेकिन जिम्मेदार...

प्रयागराज के पर्यटन को बढ़ाने और रमणीय स्थलों के विकास की बातें जितनी की जाती हैं उतनी धरातल पर साकार होती नहीं दिखतीं। जिम्मेदार प्रस्ताव बनाते हैं और फिर वह फाइलों से बाहर नहीं निकलता। ऐसी ही स्थिति है झूंसी के कनिहार झील एवं पक्षी विहार के प्रस्ताव की। कई बार घोषण की गई, लेकिन जिम्मेदारों की उदासीनता के कारण योजना मूर्त रूप नहीं ले पाई। झील बनाकर जहां नौका विहार का सपना दिखाया गया था वहां आज पांटून का गोदाम है। आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान ने ‘बोले प्रयागराज शृंखला के तहत प्रस्तावित झील और पक्षी विहार की योजना पर लोगों की राय जानी तो वह सपना दिखाने वाले जिम्मेदारों को कोसने लगे।
कहा कि जिम्मेदार जरा भी गंभीर होते तो योजना वर्षों पहले मूर्ति रूप ले लेती। झील बनता तो पर्यटक आते, लोगों को रोजगार मिलता। शहर को रमणीय स्थल मिल जाता, कनिहार इलाके की अलग पहचान स्थापित होती। गंगापार के झूंसी क्षेत्र में स्थित कनिहार झील को वर्षों पहले पर्यटन स्थल और पक्षी विहार के रूप में विकसित करने की महत्वाकांक्षी योजना बनी। मंशा थी कि महाकुंभ से पहले झील का जीर्णोद्धार कर नौका विहार, पक्षी विहार, जैविक उद्यान और ग्रामीण रोजगार के स्रोत भी विकसित किए जाएं। लेकिन योजना कागजों से बाहर कभी नहीं आई। कनिहार झील और प्रस्तावित पक्षी विहार योजना से लोगों में विकास की एक नई उम्मीदों का संचार हुआ था। इसकी घोषणा और इसकी भूमि से कब्जे को खाली कराने के बाद लोगों को पूरी उम्मीद थी कि जल्द ही यहां झील बन जाएगी, क्षेत्र चमन हो जाएगा। वनों का विकास, पर्यावरण संरक्षण और ग्रामीण पर्यटन की दृष्टि से यह योजना न केवल हरियाली बढ़ा सकती थी, बल्कि क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था को भी गति देती। लेकिन भूमि खाली कराए जाने के बाद योजना को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। जहां झील बननी थी, नौकाएं चलनी थी, वहां अब कुम्भ मेला के बाद पांटून पुलों के पीपे के ढेर लगे हैं। लोगों का कहना है कि जब यहां पांटून पीपे का गोदाम बनना था तो क्यों पक्षी विहार और झील का झूठा सपना दिखाया गया। महाकुम्भ के पूर्व विकास की नींव रखे जाने की बातें हुईं तो कनिहार झील को नेहरू पार्क की तर्ज पर विकसित करने की योजना बनी, लेकिन कागजों तक ही सीमित रही। करोड़ों के बजट का सपना दिखाकर शासन-प्रशासन ने कनिहार, हवासपुर, कुसमीपुर, अंदावा, डुडुही जैसे गांवों के लोगों को उम्मीद दी थी कि यहां पर्यटन से रोजगार का सृजन होगा। लेकिन यह कोरा सपना ही रह गया। पौधरोपण किया गया, लेकिन नहीं की गई देखभाल कनिहार झील की भूमि पर नगर निगम और वन विभाग ने मियावाकी पद्धति से पौधरोपण कराया था। इसमें नीम, पीपल, आम, महुआ जैसे पौधे लगाए गए। 2023 में एक पेड़ मां के नाम अभियान के तहत सिक्किम के राज्यपाल लक्ष्मण आचार्य और महापौर गणेश केसरवानी ने झील के किनारे पौधरोपण कर योजना को धरातल पर लाने का आश्वासन दिया। लेकिन वह भी अब बीते दिनों की बात हो गई। संबंधित विभागों ने पलटकर भी नहीं देखा कि जो पौधे लगाए गए उनकी हालत क्या है। नतीजा यह हुआ कि तमाम पौधे सूख गए। योजना का हाल - प्रयागराज के तत्कालीन जिलाधिकारी संजय कुमार ने 2016-17 में कनिहार झील को पक्षी विहार की योजना बनाई। - प्रयागराज विकास प्राधिकरण ने 2021-22 मे कनिहार झील को विकसित करने का 75 करोड़ का प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेजा। - कनिहार में झील की सुरक्षा के लिए 2022-23 में पीडीए और नगर निगम ने संयुक्त रूप से पौधरोपण किया। - महाकुम्भ के पहले कनिहार झील को विकसित करने के लिए बजट नहीं मिलने पर पीडीए ने योजना को ठंडे बस्ते में डाल दिया। - प्रयागराज में आवास बनाने वाली एक कंपनी ने पीपीपी मॉडल पर कनिहार झील को विकसित करने का प्रस्ताव दिया था। - अब नगर निगम ने कनिहार झील को पर्यटन स्थल के तौर पर विकसित करने का प्रस्ताव शासन को भेजा है। योजना की घोषणा के बाद जमीन के दाम बढ़े कनिहार में झील और पक्षी विहार की घोषणा के बाद कनिहार सहित आसपास के गांवों की जमीन के दाम में अचानक बढ़ गए। जिस क्षेत्र की जमीन को कोई पूछता नहीं था उसके महंगे खरीदार खड़े नजर आए। जमीन के धंधे में लगे लोगों ने इसे बेहतरीन अवसर माना और आसपास के कई गांवों की जमीन पर प्लॉटिंग कर खूब मुनाफा काटा। जमीन का धंधा करने वाले तो बन गए, लेकिन ग्रामीणों के हाथ कुछ नहीं आया। खाली कराई गई जमीन, पर बना वेयरहाउस स्थानीय लोग बताते हैं कि यहां कभी गेहूं, धान, सब्जियों की खेती होती थी। 2015 में सरकार ने जमीन खाली कराई, यह कहते हुए कि अब यहां पक्षी विहार बनेगा। आज की स्थिति यह है कि उस ज़मीन पर जहां फसलें लहलहाती थी वहां तीन बड़े वेयरहाउस बनाए जा रहे हैं। जहां महाकुम्भ के सामान रखने की योजना है। पांटून पुलों पीपे को रखने के लिए किराये पर दे दिया गया है। बोले सांसद कनिहार को पक्षी विहार एवं झील के रूप में विकसित करने की योजना के तहत प्रयागराज विकास प्राधिकरण को प्रस्ताव भेजा गया था। इस योजना का बजट काफी था, इस कारण इसके क्रियान्वयन में देरी लग रही है। फाइल कहां तक पहुंची है इसकी जानकारी लेकर शीघ्र इस पर कार्य कराया जाएगा। क्षेत्र में हरियाली हो, पर्यटन को बढ़ावा मिले और लोगों को रोजगार के नए अवसर प्राप्त हों, इसके लिए निरंतर प्रयास जारी है। पक्षी विहार एवं झील शीघ्र मूर्त रूप लेगा। - प्रवीण पटेल, सांसद, फूलपुर बोले जिम्मेदार केंद्र सरकार ने शासन से प्रस्ताव मांगा था, प्रस्ताव भेजा गया है। केन्द्रीय वित्त आयोग से बजट पास होने का इंतजार है। बजट पास होते ही कनिहार में पक्षी विहार एवं झील का काम प्रारम्भ करा दिया जाएगा। डॉ. अमित पाल शर्मा, उपाध्यक्ष, प्रयागराज विकास प्राधिकरण हमारी भी सुनें पक्षी विहार की योजना से न केवल प्रकृति का संरक्षण होता, बल्कि क्षेत्र के लोगों को रोजगार मिलता। लेकिन लगता है जैसे हमारे साथ धोखा हुआ है। यह योजना सिर्फ भाषणों और फाइलों तक ही सीमित रह गई है। अब तो उम्मीद दम तोड़ रही है। -तीर्थराज यादव महाकुम्भ के समय ही कनिहार में झील का विकास होता तो पूरे पूर्वांचल का ध्यान इस ओर जाता। हमें उम्मीद थी कि यहां जल्द झील बन जाएगी। होटल बनेंगे, हम भी गाइड, नाविक बनकर कुछ कमा पाएंगे। लेकिन रोजगार मिलने का सपना तो सपना ही बनकर रह गया। - विमल कुशवाहा झील अब नशेड़ियों और जुआरियों का अड्डा बन चुकी है। पेड़ लगाए गए पर अब वहां सिर्फ शराब की बोतलें और ताश के पत्ते दिखते हैं। विकास के नाम पर मजाक किया गया है। झील बननी नही थी तो इसकी घोषणा कर वाहवाही क्यों लूटी गई। -मुकेश कुशवाहा कनिहार, हवासपुर, कुसमीपुर, लंगड़ीपुर जैसे गांवों को पक्षी विहार से सीधा फायदा होता। रोजगार मिलता, लेकिन सरकार ने सबकुछ अधूरा छोड़ दिया। इससे लोग काफी व्यथित हैं। योजना पर जिम्मेदारों को ध्यान देना चाहिए। - जय कुमार यादव जब जमीन गई तो लगा था कि हम लोगों के दिन बहुरेंगे। अब वही जमीन गोदाम बन गई है। जिस जमीन पर झील बननी थी वहां पीपे का गोदाम देखकर काफी तकलीफ होती है। जहां कभी फसलें लहलहाती थी वहां आज धूल उड़ रही है। - राम सुचित जब जमीन छीन ली गई तो कुछ लोगो ने मजदूरी शुरू की। सोचा था पक्षी विहार से कुछ मिलेगा, पर सब छलावा साबित हुआ। अगर यहां झील नहीं बननी थी और गोदाम बनना था तो झूठे सपने क्यों दिखाए गए। जनप्रतिनिधियों को इस पर विचार करना होगा। - विनोद कुशवाहा रिंग रोड और हाईवे के पास इस झील का पर्यटन केंद्र बनना पूरी तरह संभव था। लेकिन दुर्भाग्य है कि योजना को जिम्मेदारों ने गंभीरता से नहीं लिया। गांवों के लोग तो आज भी इसके बनने का इंतजार कर रहे हैं। - कामरान अगर यह परियोजना मूर्त रूप लेती तो संगम के बाद प्रयागराज का दूसरा बड़ा आकर्षण बन सकती थी कनिहार झील। यह झील अब बनेगी या नहीं बनेगी, इसे बताने वाला भी कोई नहीं है। लोग निराश हो चुके हैं। - बड़ेबाबू यादव जिम्मेदारों की उदासीनता से योजना मूर्त रूप नहीं ले पाई। जो उम्मीद थी वह अब रोष में बदल चुकी है। लोगों को भरोसा था कि झील बनने के बाद क्षेत्र का समुचित विकास हो जाएगा और लोगों को रोजगार मिलेगा। - विपिन कुशवाहा हमारे गांव के लोग बाहर कमाने जाते हैं। अगर झील विकसित होती तो यहीं होटल, गाइड, कैफे, ट्रेवेल आदि क्षेत्रों में रोजगार मिलता। झील तो बनी नहीं उसकी जगह देख रहे हैं कि अब पांटून रखे जा रहे हैं। -शिवम यादव जब कनिहार में झील बनने की योजना बनी तो लोग इसे लेकर काफी उत्साहित थे। लग रहा था कि जल्द ही यह योजना जमीन पर दिखने लगेगी। लेकिन सब कुछ छलावा रहा। - कृष्णा बिंद पहले स्टेडियम की बात की गई, फिर पक्षी विहार का सपना दिखाया गया। अब लगता है जैसे यह सब जनता को बहलाने के हथकंडे थे। अगर पक्षी विहार बन गया होता तो कनिहार की अपनी एक अलग पहचान होती। - महेंद्र यादव कई साल हो गए अब तो पक्षी विहार की बात सुनकर हंसी आती है। जब इसकी घोषणा हुई थी तो लग रहा था कि जल्द ही झील बन जाएगी, लेकिन जिम्मेदारों ने इस योजना की पूरी तरह से उपेक्षा कर दी। -रोहित मौर्य इस योजना से पर्यावरण को जितना लाभ मिलता उससे ज्यादा लाभ हम बेरोजगारों को मिलता। झील बनती तो पर्यटक आते। होटल, रेस्टोरेंट, के अलावा गाइड, चाय नाश्ते की दुकानें खुलतीं। टैक्सी व रिक्शा चालकों की आय में इजाफा होता। - मोहम्मद जीशान पर्यटक यहां आते तो हमारी दुकानें, टैक्सी सेवा, हस्तशिल्प कुछ बढ़ता। लेकिन न तो अधिकारी इसके लिए गंभीर हैं न ही जनप्रतिनिधि ही कुछ कर रहे हैं। इससे लगता है कि अब झील बीते दिनों की बात होकर रह गई है। - सुखराज एक पक्षी विहार से केवल पर्यावरण नहीं, सामाजिक चेतना भी बढ़ती है। लेकिन उसे भी पनपने नहीं दिया गया। इस योजना के धरातल में चले जाने से सरकार की छवि भी धूमिल हो रही है। लोग सवाल उठा रहे हैं। - योगेश कुमार यहां बेरोजगारी की बड़ी समस्या है। अगर यह पर्यटन के रूप में विकसित होता तो रोजगार के अवसर मिलते। लोगों को कमाने के लिए बाहर न जाना पड़ता। योजना सिर्फ सपना ही बनकर रह गई। - इन्द्रजीत यादव इस योजना से बच्चों को प्रकृति से जुड़ाव और वन्यजीवों की समझ मिलती। स्कूली बच्चे यहां आते और पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक होते। घोषणा के इतने दिन हो गए हैं अब तक कोई काम नहीं दिख रहा है। लगता है झील अब नहीं बनेगी। - पिंटू मिश्रा झील और पक्षी विहार से आने वाले पर्यटक स्थानीय कृषि उत्पाद, शहद, हस्तशिल्प खरीदते। इससे आय बढ़ती। क्षेत्र की एक अलग पहचान बनती। सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए। - राम आधार इतने दिनों से झील और पक्षी विहार बनने का इंतजार कर रहे हैं। योजना की जगह पांटून पुलों के पीपे का ढेर देखकर निराशा हो रही है। जनहित की योजनाओं के साथ जिम्मेदारों को ऐसा नहीं करना चाहिए। - आलोक मिश्रा
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