वैज्ञानिक पता लगाएंगे नैनोकरण कैसे शरीर में डालते हैं असर
Prayagraj News - इलाहाबाद विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक पेंट और धूल के नैनोकणों, विशेषकर टाईटेनियम डाईआक्साइड, के स्वास्थ्य पर प्रभावों का अध्ययन करेंगे। इंडियन काउंसिल आफ मेडिकल रिसर्च ने इस शोध परियोजना के लिए 75 लाख...
प्रयागराज। इलाहाबाद विश्वविद्यालय (इविवि) के वैज्ञानिक पता लगाएंगे कि पेंट, धूल के नैनोकण खासकर टाईटेनियम डाईआक्साइड नैनोकण, हमारे स्वास्थ्य पर कैसे असर डालते हैं। इस काम के लिए इंडियन काउंसिल आफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) से इविवि के दो विज्ञानियों को एक महत्वपूर्ण शोध परियोजना के लिए करीब 75 लाख रुपये की आर्थिक मदद दी है। इस परियोजना के पीआई डॉ. रोहित कुमार मिश्रा हैं। इस प्रोजेक्ट में डॉ. अवध बिहारी यादव भी शामिल हैं। खासकर, जब डीएनए के बदलाव जैसे एसिटिलेशन और फास्फोराइलेशन होते हैं, तो बीमारियों के पैदा होने की संभावना और बढ़ जाती है। इसके अलावा शोधकर्ता यह भी पता लगाएंगे कि कैसे नैनोकण दूसरे जैविक रास्तों को सक्रिय कर बीमारियों को बढ़ावा दे सकते हैं। वह कहते हैं कि हमारे शरीर में डीएनए विशेष प्रकार के प्रोटीन जिन्हें हिस्टोन प्रोटीन कहते हैं, इसके चारों ओर लिपटा होता है। इसे क्रोमेटिन नेटवर्क कहा जाता है। यह नेटवर्क हमारे जीन को सुरक्षित रखता है। लेकिन जब शरीर में बाहरी हानिकारक तत्व जैसे नैनोकण प्रवेश करते हैं, तो यह नेटवर्क कमजोर हो सकता है और हमारी कोशिकाओं के काम करने के तरीके में बदलाव आ सकता है, जिससे बीमारियां हो सकती हैं। वह कहते हैं कि आजकल नैनो तकनीक का इस्तेमाल कई चीजों में हो रहा है।
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