30 दिन से अधिक अनुपस्थिति, 35% से कम अंक पर भी आउट ऑफ स्कूल
Prayagraj News - प्रयागराज में, प्रदेश सरकार ने शैक्षिक सत्र में 30 दिनों से अधिक अनुपस्थिति और वार्षिक परीक्षा में 35% से कम अंक लाने वाले छात्रों को 'आउट ऑफ स्कूल' माना जाने का नियम बदला है। यह निर्णय छात्रों की...
प्रयागराज। प्रदेश के 1.21 लाख परिषदीय प्राथमिक, उच्च प्राथमिक और कंपोजिट विद्यालयों में छह से 14 आयु के छात्र या छात्रा को अब एक शैक्षिक सत्र में 30 संचयी दिनों से अधिक अनुपस्थिति होने और वार्षिक परीक्षा या निपुण असेसमेंट टेस्ट (नैट) में 35 फीसदी से कम अंक लाने पर बिना विद्यालय का (आउट ऑफ स्कूल) माना जाएगा। प्रदेश सरकार ने आउट ऑफ स्कूल की परिभाषा में परिवर्तन कर दिया है। परिषदीय विद्यालयों में बच्चों की उपस्थिति बढ़ाने और ड्रॉप आउट को कम करने के उद्देश्य से अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार की ओर से 15 मई को जारी शासनादेश में यह अहम बदलाव किया गया है।
छह जुलाई 2024 को जारी शासनादेश में जो परिभाषा थी उसके अनुसार छह से 14 आयु के किसी बच्चे को आउट ऑफ स्कूल माना जाता था यदि वह प्रारंभिक विद्यालय में कभी नामांकित न हो या नामांकन के बाद अनुपस्थिति के कारणों की पूर्व सूचना के बिना विद्यालय से निरंतर 45 दिन या उसे अधिक अवधि तक अनुपस्थित रहा हो। 15 मई को जारी संशोधित परिभाषा के अनुसार किसी बच्चे को आउट ऑफ स्कूल माना जाएगा यदि उसका प्रारंभिक विद्यालय में कभी नामांकन न हो या नामांकन के बाद शैक्षिक सत्र में 30 संचयी दिनों से अधिक अनुपस्थित रहा हो और वार्षिक / नैट मूल्यांकन में 35 प्रतिशत से कम अंक प्राप्त किया हो। बेसिक शिक्षा अधिकारी प्रवीण कुमार तिवारी के अनुसार शासन के निर्णय का कड़ाई से अनुपालन कराने के निर्देश दिए गए हैं। खास-खास यदि बच्चा समुचित कारणों के बिना लगातार तीन दिनों तक अनुपस्थित रहता है तो बुलावा टोली घर जाएगी और शिक्षक उपचारात्मक कक्षाएं चलाएंगे। यदि बच्चा लगातार छह या अधिक दिनों तक अनुपस्थित रहता है तो प्रधानाध्यापक घर जाएंगे और बच्चे के स्कूल में वापस आने तक लगातार फॉलोअप करेंगे। शिक्षक उपचारात्मक कक्षाएं चलाएंगे। संभावित ड्रॉपआउट: यदि बच्चा एक महीने में छह, एक तिमाही में दस और छह महीने में 15 संचयी दिनों से अधिक अनुपस्थित रहता है तो अध्यापक माता-पिता की काउंसिलिंग एवं आवश्यकतानुसार पुनरावृत्ति/उपचारात्मक कक्षाएं संचालित की जाए। अति संभावित ड्रॉपआउट: यदि बच्चा नौ महीने में 21 दिनों से अधिक अनुपस्थित तो अगले माह में अनुपस्थिति के कारणों को दूर करने का प्रयास करें और माता-पिता की काउंसिलिंग एवं आवश्यकतानुसार पुनरावृत्ति/उपचारात्मक कक्षाएं संचालित की जाए। एक सत्र में 30 संचयी दिनों से अधिक अनुपस्थिति लेकिन वार्षिक/नैट मूल्यांकन में 35 प्रतिशत से अधिक अंक मिले हैं तो माता-पिता की काउंसिलिंग, अनुपस्थिति के कारणों को दूर करने का प्रयास एवं आवश्यकतानुसार पुनरावृत्ति/उपचारात्मक कक्षाएं संचालित की जाए। एक सत्र में 30 संचयी दिनों से अधिक अनुपस्थिति और वार्षिक/नैट मूल्यांकन में 35 प्रतिशत से कम अंक हो तो ड्रॉप आउट मानते हुए विशेष प्रशिक्षण की व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।