अयोध्या राम मंदिर परिसर में प्रभु नर्वदेश्वर प्रतिष्ठित, प्रतिदिन होगा रुद्राभिषेक
यूपी के अयोध्या में तीन जून से शुरू होने वाले दूसरे प्राण-प्रतिष्ठा उत्सव के मौके पर आठ मंदिरों में भगवान की मूर्तियों की प्राण-प्रतिष्ठा का अनुष्ठान शुरू होगा और पांच जून को आरती पूजन के साथ पूर्णाहुति होगी।

यूपी के अयोध्या में तीन जून से शुरू होने वाले दूसरे प्राण-प्रतिष्ठा उत्सव के मौके पर आठ मंदिरों में भगवान की मूर्तियों की प्राण-प्रतिष्ठा का अनुष्ठान शुरू होगा और पांच जून को आरती पूजन के साथ पूर्णाहुति होगी। पांच जून को प्राण प्रतिष्ठा के मुहूर्त में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ही राम दरबार के श्रीविग्रह में विराजमान भगवान राम व माता सीता सहित भरत-शत्रुघ्नव लक्ष्मण जी के अलावा हनुमान जी का नेत्रोन्मिलन संपादित करेंगे।
इसी तरह शेषावतार मंदिर के अतिरिक्त परकोटे के पांच मंदिरों में भी नेत्रोन्सिलन संत-महंत व यजमानों की ओर से किया जाएगा। उधर परकोटे के उत्तर-पश्चिम में भगवान सूर्य नारायण देव की प्रतिष्ठा सात घोड़ों के रथ पर विराजमान स्वरुप में की जानी है। भगवान सूर्य को प्रत्यक्ष देवता माना गया है। मिली जानकारी के अनुसार भगवान सूर्य के इस मंदिर में नवग्रहों को भी प्रतिष्ठित किया जाएगा।
इसके अलावा दक्षिण-पश्चिम में स्थापित होने वाले भगवान नर्वदेश्वर के बारे में कहा जाता है कि वह स्वयं प्रतिष्ठित होते हैं। इसके चलते मंदिर में स्थापना के उपरांत षोडशोपचार पूजन और प्रतिदिन रुद्राभिषेक के अलावा शिव पंचाक्षरी मंत्रों का जप अनवरत चलता रहेगा। देवाधिदेव महादेव के अनुष्ठानिक पूजन का वेदों में विस्तृत वर्णन है।
ग्रीष्म काल व हस्त नक्षत्र में सर्व देवों की प्रतिष्ठा होगी अत्यंत शुभ
हनुमत संस्कृत महाविद्यालय के सेवानिवृत्त आचार्य हरफूल शास्त्री कहते हैं कि ग्रीष्म ऋतु में यह प्रतिष्ठा शांति, शीतलता और विजय प्रदाता कही गयी है। सर्व देवताओं की प्रतिष्ठा चैत्र, फाल्गुन, ज्येष्ठ, वैशाख और माघ मास में करना शुभ है। उन्होंने बताया कि वशिष्ठ संहिता के अनुसार रवि, मंगल व शनिवार को छोड़कर, अन्यदिनों मेंदेव प्रतिष्ठा शुभ मानी गयी है। इसी तरह शुक्ल पक्ष की तृतीया से चतुर्दशी दैवी कार्य के लिए शुभ है।