खुद की परवाह किए बगैर हजारों मरीज को दिया नया जीवन
Saharanpur News - सहारनपुर की नर्सों ने सेवा और समर्पण का अद्वितीय उदाहरण पेश किया है। कोरोना महामारी के दौरान, जब समाज भयभीत था, इन नर्सों ने संक्रमित मरीजों की जान बचाने का काम किया। जिला और महिला अस्पताल में नर्सों...

जहां सेवा है, वहीं सच्चा समर्पण है-इस पंक्ति को सहारनपुर की नर्सों ने न केवल साबित किया है, बल्कि उसे अपने जीवन का मूलमंत्र भी बना लिया है। जिला अस्पताल व महिला अस्पताल में नर्सों की भूमिका सिर्फ एक कर्मचारी की नहीं, बल्कि एक संरक्षक, एक मित्र और एक परिवार के सदस्य की तरह देखने को मिलती है। कोरोना महामारी के समय जब पूरा देश भय के साये में जी रहा था, उस समय सहारनपुर की नर्सों ने हजारों संक्रमित मरीजों को नया जीवन देने का काम किया। खुद की जान की परवाह किए बिना, इन सफेद पोशाक वाली देवियों ने मरीजों के जीवन की रक्षा की।
नर्स रूचि कहती है कि, जब लोग एक-दूसरे को छूने से भी डरते थे, तब हम बिना भेदभाव, बिना डरे सेवा में जुटे थे। वो पल हमारे लिए गर्व का था। खास है कि सहारनपुर के जिला अस्पताल में इस समय करीब 80 नर्सें सेवाएं दे रही हैं, जिनमें से करीब 17 ही नियमित हैं। वहीं जिला महिला अस्पताल में करीब 61 नर्सें कार्यरत हैं और इनमें से करीब 19 नियमित हैं। नर्सों की संख्या की यह कमी न केवल अस्पताल व्यवस्था को प्रभावित कर रही है, बल्कि कार्यरत नर्सों पर अत्यधिक कार्यभार भी डाल रही है। नर्सों का कहना है कि अस्पताल ही हमारा परिवार है। हम मिलजुलकर मरीजों की सेवा करती हैं, उन्हें अपने घर का सदस्य मानती हैं। वर्जन नर्सें किसी भी अस्पताल की रीढ़ होती हैं। उनका योगदान काफी अहम होता है, नर्सों द्वारा मरीज के साथ बेहतर व्यवहार करने से मरीज के सही होने के चांस भी बढ़ जाते है। डॉ. इंद्रा सिंह, सीएमएस
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