गैर इरादतन नहीं, ऑनर किलिंग में हुई थी जियाउर्रहमान की हत्या
Saharanpur News - रामपुर मनिहारान क्षेत्र के इस्लामनगर में जियाउर्रहमान की हत्या को सुप्रीम कोर्ट ने ऑनर किलिंग माना है। मामले में अब चारों आरोपियों को हत्या के तहत जमानत लेनी होगी। जांच एसआईटी द्वारा की जा रही है और...

थाना रामपुर मनिहारान क्षेत्र के गांव इस्लामनगर में हुए करीब ढाई साल पहले हुए जियाउर्रहमान हत्याकांड में गुरुवार को बड़ा मोड़ आ गया। सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा रूख अपनाते हुए मामले को गैर इरादतन हत्या नहीं बल्कि ऑनर किलिंग के तहत हत्या करने का मामला माना है। सुप्रीम कोर्ट ने प्रदेश के मुख्य सचिव को पीड़ित पक्ष को सरकारी अधिवक्ता उपलब्ध कराने के भी आदेश दिए हैं। पुलिस ने मामला गैर इरादतन हत्या में दर्ज किया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे सीधे-सीधे हत्या माना है। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के पुलिस की कार्यप्रणाली पर एक बार फिर बड़ा सवाल खड़ा हुआ है। मामला दो नवंबर 2022 का है। इस्लामनगर निवासी जियाउर्रहमान की प्रेम प्रसंग में पीटकर हत्या कर दी गई थी। युवती ने फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली थी। मृतक के पिता अय्यूब का आरोप था कि उनके बेटे की गलती सिर्फ इतनी थी कि वह दूसरे समुदाय की युवती से प्रेम करता था। आरोप लगाया था कि बेटे की युवती पक्ष के लोगों ने पीटकर हत्या की है। मामले में हर जगह से निराशा मिलने पर पीड़ित परिवार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट ने सात फरवरी को डीजीपी को निर्देश दिया था कि वह इस मामले की दोबारा जांच कराएं और दो माह के भीतर रिपोर्ट दाखिल करें।
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सुप्रीम कोर्ट से परिवार को मिली बड़ी राहत
पीड़ित परिवार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। प्रकरण में अब चारों आरोपियों को हत्या के मामले जमानत करानी पड़ेगी। आरोपियों ने पूर्व में गैर इरादतन हत्या के मामले में जमानत कराई थी। मामले की जांच एसआईटी कर रही है। सुप्रीम कोर्ट ने एसआईटी को जांच के लिए दो सप्ताह का और समय दिया है। एसआईटी बंद लिफाफे में 29 अप्रैल से पूर्व सुप्रीम कोर्ट में जांच रिपोर्ट बंद लिफाफे में देगी।
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मुख्य सचिव को दिए सरकारी अधिवक्ता उपलब्ध कराने के आदेश
जियाउर्रहमान पक्ष की ओर से मुकदमा लड़ रहे सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता भुवनराज ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस संजीव खन्ना की बेंच ने गैर इरादतन हत्या के मामले को ऑनर किलिंग के तहत हत्या किया जाना माना है। इसके लिए पीड़ित को सरकारी अधिवक्ता उपलब्ध कराने के आदेश प्रदेश के मुख्य सचिव को भी दिए हैं। अब मामले में धाराएं बदली जाएंगी और गैर इरादतन हत्या की जगह केस हत्या के मामले में चलेगा। इसके साथ ही एसआईटी को दो सप्ताह के अंदर गोपनीय रूप से पूरी मामले की जांच रिपोर्ट बंद लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट में देनी होगी।
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डीआईजी के नेतृत्व में हुई थी एसआईटी गठित
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद डीजीपी ने डीआईजी अजय कुमार साहनी के नेतृत्व में तीन सदस्यीय एसआईटी का गठन किया, जिसमें एसपी सिटी व्योम बिंदल और सीओ सदर मुजफ्फरनगर राजकुमार को शामिल किया गया है।
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29 अप्रैल तक बंद लिफाफे में जाएगी एसआईटी की रिपोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने प्रकरण को गैर इरादतन हत्या नहीं बल्कि ऑनर किलिंग के तहत हत्या करना माना है। एसआईटी मृतक के परिवार और युवती के परिजनों से भी पूछताछ कर चुकी है। इसके साथ सभी के बयान भी दर्ज किए गए थे। अब मामले की गंभीरता जांच करने के आदेश देते हुए दो सप्ताह समय बढ़ाया गया है। एसआईटी ने वारदात को लेकर तमाम साक्ष्य जुटाए हैं। पूरे मामले की जांच रिपोर्ट बंद लिफाफे में 29 अप्रैल तक सुप्रीम कोर्ट जाएगी।
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हाईकोर्ट और निचली अदालत ने नहीं माना था हत्या
पुलिस ने मामले में गैर इरादतन की रिपोर्ट दर्ज की थी। जांच के बाद गैर इरादतन हत्या में ही अदालत में चार्जशीट दाखिल की थी। जियाउर्रहमान के पिता ने अदालत में पत्र देकर मामला हत्या की धाराओं में चलाने को प्रार्थना पत्र दिया था, लेकिन स्थानीय अदालत ने इसे खारिज कर दिया था। इसी तरह हाईकोर्ट में भी प्रार्थना पत्र को खारिज किया गया था। तब, मृतक के पिता ने सुप्रीम कोर्ट में प्रार्थना पत्र दायर किया था।
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इनके खिलाफ दर्ज हुआ था मुकदमा
सहारनपुर। जियाउर्रहमान की हत्या के मामले में लड़की के परिजनों में मनेष्वर, उसके बेटे शिवम, परिवार के ही सदस्य जनेश्वर और प्रियांश के खिलाफ गैर इरादतन हत्या की रिपोर्ट दर्ज की गई थी। जियाउर्रहमान के पिता अय्यूब ने मुकदमा दर्ज कराया था।
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वर्जन
एसआईटी मामले की जांच कर रही है। छानबीन पूरी होने पर बंद लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट में जांच रिपोर्ट भेजी जाएगी।
व्योम बिंदल, एसपी सिटी
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