बुनियादी सुविधाओं के अभाव में काम कर रहे अधिवक्ता
Sambhal News - सदर तहसील परिसर में अधिवक्ताओं को बुनियादी सुविधाओं का आभाव है। पार्किंग, बैठने की व्यवस्था और स्वच्छ पानी की कमी के चलते वादकारियों को भी दिक्कत हो रही है। कई बार शिकायतों के बावजूद प्रशासन ने...

तहसील परिसर में अधिवक्ता खुद बुनियादी सुविधाओं के अभाव में काम करने को मजबूर हैं। न बैठने की व्यवस्था, न उचित पार्किंग और न ही समय से सरकारी कार्यों का निष्पादन। अधिवक्ताओं ने बताया कि कई बार शिकायतों और ज्ञापनों के बावजूद तहसील प्रशासन द्वारा समस्याओं का समाधान नहीं किया जा रहा है। शासन की मंशा के अनुरूप काम नहीं किया जा रहा है जिससे अधिवक्ताओं व वादकारियों को सस्ता व सुलभ न्याय नहीं मिल रहा है। जिससे अधिवक्ता व वादकारी दोनों को भारी परेशानी हो रही है। अधिवक्ताओं का कहना है कि अधिकारियों द्वारा आवश्यक आदेश न दिए जाने से दस्तावेज़ों का कार्य लंबित है।
शासन की मंशा है कि वादकारियों को सुलभ व सस्ता न्याय मिले, लेकिन जब अधिवक्ताओं को ही न्याय के लिए संघर्ष करना पड़े तो आम जनता की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है। भूमि संबंधी मामलों में दाखिल खारिज प्रक्रिया में लेखपालों और तहसीलदारों द्वारा समय से रिपोर्ट न लगाने के कारण वादकारियों को बार-बार तहसील के चक्कर काटने पड़ रहे हैं। खासकर केसीसी ऋण वाले खातों में दाखिल खारिज की प्रक्रिया और भी अधिक जटिल हो गई है। जिन नबंरों पर केसीसी ऋण है उसका दााखिल खारिज नहीं होता है। ऐसे में या तो दाखिल खारिज पूरी तरह से बंद किए जाए। जबकि जो भूमि सरकार अधिग्रहण करती है अगर उसपर केसीसी ऋण होता है। उसका तो दाखिल खारिज हो जाता है। जबकि किसान राजस्व भी देता है उसके बाद भी उसका दाखिल खारिज नहीं होता है। जिससे उसे सबसे अधिक परेशानी उठानी पड़ती है। अधिवक्ताओं ने कहा कि अधिकारियों द्वारा दाखिल खाारिज, ठियाबंदी की रिपोर्ट समय से नहीं लगाई जा रही है। जिससे भी किसानों व अधिवक्ताओं को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। शासन ने आदेशित किया है कि पांच वर्षों में भूमि को संक्रमणीय किया जाए, लेकिन तहसील में इस पर अब तक कोई कार्यवाही नहीं हुई। जबकि सरकार द्वारा इसको अभियान चलाकर करने के निर्देश दिए गए थे। उसके बाद भी मामला ठंडे बस्ते में पड़ा है। अधिवक्ताओं ने इसकी शिकायत डीएम और मंडलायुक्त से भी की, लेकिन अभी तक कोई ठोस समाधान नहीं निकल पाया है। तहसील परिसर में मूलभूत सुविधाओं का आभाव सदर तहसील परिसर में प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण इलाके से लोग पहुंचते हैं। जिसकी वजह से दिनभर तहसील परिसर में भीड़ भाड़ लगी रहती है। तहसील में पार्किंग न होने की वजह से लोग बाइक व अन्य वाहनों को इधर उधर खड़े कर देते हैं। जिससे लोगों को भारी परेसानी होती है। इसके अलावा स्वच्छ पानी की कोई खास व्यवस्था नहीं है। जिससे अधिवक्ताओं व वादकारियों को परेशानी उठानी पड़ रही है। संभल सदर तहसील में 30 से अधिक गांवों की आवेदन पत्रावलियां गायब हैं। ऐसे में किसानों को भारी समस्या हो रही है। जिसकी वजह से किसानों को शुलभ व सस्ता न्याय नहीं मिल पा रहा है। किसान बार बार तहसील के चक्कर लगाने के लिए मजबूर हैं। - डॉ. अमित कुमार उठवाल दाखिल खारिज में लेखपालों द्वारा समय से रिपोर्ट नहीं लगाई जा रही है। जिसकी वजह से दाखिल खारिज होने में किसानों को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। कई बार इस संबंध में अधिकारियों से शिकायत भी की जा चुकी है, लेकिन समाधान नहीं हो सका है। - सचिन चौहान शासन की मंशा के अनुरूप लोगों को सस्ता व शुलभ न्याय नहीं मिल पा रहा है। एसडीएम द्वारा लगातार सुनवाई की जा रही है, लेकिन काफी समय से आदेश नहीं हो रहे हैं। जिससे लोगों को न्याय नहीं मिल पा रहा है। जिससे किसानों को भारी समस्या उठानी पड़ रही है। - रवि चौधरी दाखिल खारिज की फाइलें महीनों पड़ी रहती हैं, रिपोर्ट नहीं लगती। वादकारी बार-बार आते हैं और हमसे जवाब मांगते हैं, लेकिन हम भी मजबूर हैं। कई बार उच्चाधिकारियों के शिकायत कर चुके हैं, लेकिन उसके बाद भी स्थिति जस की तस बनी है। -प्रबेन्द्र सिंह अधिकारी द्वारा दाखिल खारिज, केसीसी ऋण दाखिल, ठियाबंदी रिपोर्ट नहीं लगाई जा रही है। किसानों की बीते छह माह से कोई फाइल नहीं आई है। जिसकी वजह से अधिवक्ताओं व किसानों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। जबकि जिलाधिकारी ने संभल में अखिलेखागार बनाने की बात कही थी लेकिन वह भी पूरा नहीं हुआ। - प्रदीप गुप्ता, बार एसोसिएशन अध्यक्ष
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