Bhagwat Katha Spiritual Path to God Through Listening कथा सुनने से जीव धर्म का मार्ग अपना कर प्रभु को पा लेता है, Sambhal Hindi News - Hindustan
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कथा सुनने से जीव धर्म का मार्ग अपना कर प्रभु को पा लेता है

Sambhal News - चन्दौसी में भागवत कथा के दौरान आचार्य शिवशंकर भारद्वाज ने कहा कि कथा सुनने से व्यक्ति धर्म के मार्ग को अपनाकर प्रभु की प्राप्ति कर सकता है। उन्होंने बताया कि सतसंग भवसागर से पार उतरने का साधन है और...

Newswrap हिन्दुस्तान, संभलFri, 11 April 2025 04:33 AM
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कथा सुनने से जीव धर्म का मार्ग अपना कर प्रभु को पा लेता है

चन्दौसी। कथा सुनने से मनुष्य धर्म का मार्ग अपनाकर प्रभु को पा सकता है। इसीलिए सभी के लिए समय निकालकर कथा का श्रवण अवश्य करना चाहिए। कथा सुनने से जहां मन को शांति मिलती है वहीं प्रभु की प्राप्ति का रास्ता भी मिल जाता है। यह सद विचार कथा व्यास शिवशंकर भारद्वाज ने श्रीमद भागवत कथा के दौरान व्यक्त किए। आवास विकास के अहिल्या बाई पार्क में चल रही श्रीमद्‌भागवत कथा के तीसरे दिन कथाव्यास आचार्य शिवशंकर भारद्वाज ने कहा कि भागवत कथा का श्रवण करने से व्यक्ति धर्म के मार्ग का अनुशरण कर निष्पाप होकर प्रभु को पा लेता है। सतसंग ही भव‌सागर से पार उतरने की नौका है। भगवान ने दुर्योधन के 56 भोगो को त्यागकर विदुरानी के केले स्वीकार किए थे। भगवान फल, फूल, तुलसी पत्र और जल से ही प्रसन्न हो जाते हैं। विदुरानी अपने घर आये कृष्ण को देख देह की सुध खो गई और कृष्ण को निहारती रहीं। केले की गिरि की जगह छिलके खि‌लाती रहीं। ना ही श्री कृष्ण ने टोका काकी छिलके खिला रही हो। क्योंकि भगवान प्रेम के भूखे हैं। भगवान कहते हैं कि एक बार भीलनी के बेरों से पेट भरा अब दूसरी बार विदुरानी के केलों के छिलकों। श्री कृष्ण शान्तिदूत बनकर गए। उनका प्रस्ताव दुर्योधन ने अस्वीकर कर दिया। कृष्ण कहते है कि भोजन दो ही स्थिति में किया जाता है एक भूख लगी हो, दूसरे खिलाने वाले में निष्कपट प्रेम हो। सृष्टि क्रम में बताया विष्णु की नाभि से कमल, कमल से वृहमा और ब्रहमा से सारी सृष्टि रची गई है। इस दौरान काफी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे।

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