Court Sentences Accused to 10 Years for 2003 Deadly Attack in Bahjoi जानलेवा हमले में दोषी को दस साल की सजा, एक दोषमुक्त, Sambhal Hindi News - Hindustan
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जानलेवा हमले में दोषी को दस साल की सजा, एक दोषमुक्त

Sambhal News - थाना बहजोई क्षेत्र के गांव पगौना में 2003 में हुए जानलेवा हमले के मामले में एक आरोपी श्रीपाल को 10 साल की कठोर कारावास और 20 हजार रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई गई है। दूसरे आरोपी चंद्रपाल को सबूत के...

Newswrap हिन्दुस्तान, संभलThu, 5 June 2025 04:18 AM
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जानलेवा हमले में दोषी को दस साल की सजा, एक दोषमुक्त

थाना बहजोई क्षेत्र के गांव पगौना की मढ़ैया में वर्ष 2003 में हुए जानलेवा हमले के मामले में कोर्ट ने एक आरोपी को दोषी करार देते हुए दस साल के कठोर कारावास और बीस हजार रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई है। वहीं, एक आरोपी को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया गया, जबकि तीसरे आरोपी की मामले की सुनवाई के दौरान ही मृत्यु हो चुकी थी। पीड़ित प्रकाश सिंह पुत्र नन्हुकी ने 10 अक्तूबर 2003 को थाना बहजोई में तहरीर दी थी कि गांव में स्थित सहकारी दूध डेयरी के पास रामवीर नामक व्यक्ति को उसने दूध के बदले 12 हजार रुपये एडवांस दिए थे, जिसमें से केवल 2 हजार रुपये लौटाए गए।

शेष रकम मांगने पर रामवीर भड़क गया और घर जाकर अवैध असलहे से फायरिंग शुरू कर दी। इसके बाद रामवीर के भाई श्रीपाल और चंद्रपाल भी तमंचे लेकर डेयरी पहुंचे और ताबड़तोड़ फायरिंग करने लगे। इस हमले में डेयरी पर मौजूद मुनेश, राजवीर, सुखवीर, योगेंद्र, वीरेश, अमरपाल, आराम सिंह, वीरवती, ओमवती, फूलवती, भूरा देवी और एक बच्ची बेबी गंभीर रूप से घायल हो गए थे। हमले के बाद आरोपी मौके से फरार हो गए। प्रकाश सिंह की तहरीर पर तीनों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था। मामले की सुनवाई सत्र न्यायाधीश दुर्ग नारायण की अदालत में हुई। जिला शासकीय अधिवक्ता राहुल दीक्षित ने पीड़ित पक्ष की ओर से पैरवी की। 32 वर्ष की लंबी कानूनी प्रक्रिया के बाद बुधवार को अदालत ने आरोपी श्रीपाल को दोषी ठहराया और उसे दस वर्ष का कारावास व 20 हजार रुपये के जुर्माने से दंडित किया। वहीं, चंद्रपाल को साक्ष्य के अभाव में दोषमुक्त कर दिया गया, जबकि मुख्य आरोपी रामवीर की केस के दौरान मृत्यु हो चुकी थी। 32 साल बाद आया यह फैसला पीड़ित परिवार के लिए भले ही देर से मिला न्याय हो, लेकिन यह साबित करता है कि कानून का पहिया धीरे सही, पर न्याय की ओर बढ़ता जरूर है।

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