पर्यावरण को प्रदूषित कर रहा है प्लास्टिक
Santkabir-nagar News - संतकबीरनगर जिले में प्लास्टिक का प्रयोग तेजी से बढ़ रहा है, जिससे पर्यावरण को गंभीर खतरा है। प्लास्टिक कचरे के कारण लोगों में सांस की बीमारियाँ बढ़ रही हैं। प्रशासन कचरे की समस्या को नियंत्रित नहीं कर...

संतकबीरनगर, हिन्दुस्तान टीम। संतकबीरनगर जिले में प्लास्टिक का प्रयोग धड़ल्ले से हो रहा है। प्लास्टिक का कचरा पर्यावरण के लिए गंभीर खतरा बन गया है। प्लास्टिक अक्सर एकल-उपयोग के लिए बनाया जाता है। जैविक कचरा सड़कर मिट्टी में मिल जाता है वहीं प्लास्टिक उपयोग में आने के बाद कचरे के साथ पर्यावरण में लंबे समय तक बना रहता है। जिससे मिट्टी, पानी और वायु प्रदूषण होता है। इतना ही नहीं प्लास्टिक के प्रदूषण से लोगों को अब सांस की बीमारी हो रही है। शहर से हर दिन 10 टन से अधिक कचरा निकल रहा है। इसमें काफी मात्रा में प्लास्टिक कचरा शामिल रहता है।
वैसे तो हर कोई प्रदूषण की समस्या को लेकर परेशान है। लेकिन लोग केवल कहते हैं कि बहुत अधिक प्रदूषण हो रहा है लेकिन यह प्रदूषण तभी नियंत्रित होगा जब सब लोग स्वयं जागरूक होंगे। सिंग्ल यूज प्लास्टिक से तो और प्रदूषण का खतरा बढ़ गया है। शहर से निकलने वाले कचरे से सांस की बीमारियां हो रही हैं। यह बीमारी तब और अधिक होने की आशंका रहती है जब कचरा जलाया जाता है। कचरा जलाने से निकलने वाला धुआं अस्थमा, सांस की तकलीफ, खांसी और अन्य सांस की बीमारियों को बढ़ाता है। इसके अलावा कचरे के ढेर के पास रहने वाले लोग कचरे के संपर्क में आते हैं। शहर में साफ-सफाई के बाद कचरे को एक निर्धारित जगह पर डालकर विभाग अपना पल्ला झाड़ ले रहा है। लेकिन शहर से निकलने वाले कचरे को निश्चित जगह पर रखने की कोई व्यवस्था नहीं है। जहां पर कचरे को डंप किया जाता है वहां पर उसे आग के हवाले किया जा रहा है। इससे निकलने वाले धुंए से स्थानीय लोग सांस की बीमारी के साथ अन्य समस्याओं को लेकर परेशान हो रहे हैं। कचरे की मॉनीटरिंग करने की जिम्मेदारी और कार्रवाई करने का अधिकार नगरपालिका के पास है। पूर्व में एनजीटी ने भी कचरे के ढेर में आग लगाने पर रोक लगाई थी लेकिन इसका कोई असर लोगों पर नही पड़ रहा है। इतना ही नहीं प्लास्टिक, पालिथीन और टायर भी जल रहे हैं। इन दिनों शहर का कचरा बड़गो गांव के पास घघसरा रोड के पास आबादी के क्षेत्र में किया जा रहा है। इससे वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ता जा रहा है। इसके आसपास से निकलने पर भी लोगों को सांस लेने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। हवा की दिशा बदलते ही स्थानीय लोगों का दुर्गंध के कारण रहना दूभर हो गया है। प्लास्टिक कचरा सालों साल नहीं होता नष्ट प्लास्टिक कचरा सालों साल नष्ट नहीं होता है। वह जमीन पड़े पड़े प्रदूषण फैलाता है। प्लास्टिक प्रदूषण एक गंभीर समस्या है जो पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य के लिए खतरा है। इस समस्या से निपटने के लिए हमें प्लास्टिक का कम उपयोग करना चाहिए। पुनर्चक्रण करना चाहिए और पर्यावरण के अनुकूल विकल्पों का उपयोग करना चाहिए। हमेशा प्लास्टिक की थैली व उसके सामानों को प्रयोग में नहीं लाना चाहिए। बाजार में पॉलिथिन के प्रयोग पर नहीं लग पा रही रोक वैसे तो सरकार के द्वारा यह दावा किया जाता है कि बाजारों में पालिथिन के प्रयोग पर पावंदी लगा दी गई है। लेकिन चाहे शहरी क्षेत्र हो या फिर ग्रामीण सभी जगहों पर प्लास्टिक के सामानों का प्रयोग लोग बेहिचक रक रहे हैं। जिम्मेदार भी दुकानों पर जांच करने से बचते नजर आते हैं। जिससे कि प्लास्टिक का प्रदूषण लोगों के लिए अभिशाप हो गया है।
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