सड़क से लेकर नालियां तक टूटने का दंश भुगत रहे ग्रामीण
Santkabir-nagar News - संतकबीरनगर के कुसुरू कला गांव में जन सुविधाएं बदहाल हैं। सड़कें टूटी हुई हैं और नालियां गंदगी से भरी हैं। सामुदायिक शौचालय की हालत खराब है और लोगों को शुद्ध पेयजल की कमी का सामना करना पड़ रहा है। सफाई...

संतकबीरनगर, हिन्दुस्तान टीम। संतकबीरनगर जिले के विकास खण्ड बेलहर क्षेत्र की ग्राम पंचायत कुसुरू कला में जन सुविधाएं बदहाली का शिकार हैं। यहां के राजस्व गांव मिश्रौलिया में सुविधाओं का अभाव बना हुआ है। सड़क से लेकर नालियां तक टूट जाने का दंश ग्रामीण व राहगीर भुगत रहे हैं। ग्रामीणों की सुविधा के लिए गांव में आबादी से बाहर बना सामुदायिक शौचालय बदहाली का शिकार है। गांव में पानी की निकासी के लिए नालों का निर्माण नहीं हो सका है। जो नालियां हैं वे गंदगी से जाम पड़ी हैं। नालियों की सफाई नहीं की गई है। इन सबका खामियाजा ग्रामीणों को आने वाली बरसात में जलभराव के रूप में भुगतना पड़ेगा।
मिश्रौलिया गांव के बीच से सड़क गुजरी है। यह सड़क जगह-जगह टूट गई है। सड़क के किनारे दोनों तरफ बहुत पहले पानी निकासी के नालियां नहीं बनाई गई थीं। बहुत पहले ये नालियां टूट चुकी हैं। नालियों के टूटने से दोनों तरफ से गंदा पानी सड़कों पर बहता रहता है। इसी से होकर राहगीरों व ग्रामीणों को गुजरना पड़ता है। इस मार्ग से प्रतिदिन लोग आते-जाते हैं इस सड़क की मरम्मत कराया जाना काफी जरूरी है। सड़क तो खराब है ही, नालियां भी कूड़ा कचरा से पटी हुई हैं। नालियों की बजबजाहट से हमेशा बदबू निकल रही है। गांव में सफाई कर्मी कभी-कभार ही आते हैं। थोड़े बहुत सफाई करके चले जाते है। इससे हर तरफ गंदगी पसरी हुई है। यह चार हजार से अधिक आबादी वाला गांव है। लेकिन मूलभूत सुविधाओं का अभाव होने के कारण ग्रामीणों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। बदहाल सड़क के साथ पीने के लिए पानी आदि की सुविधाओं के नहीं होने के कारण लोगों को तकलीफ उठानी पड़ रही है। जहां सरकार गांवों के लिए तमाम योजनाएं ला रही है वहीं यहां विकास के नाम पर पूरी तरह बदहाल ही दिख रहा है। मिश्रैलिया गांव के लिए विकास कार्य सपने की तरह है। यहां के लोग भी चाह रहे हैं कि स्वच्छ जल, नाली के पानी की निकासी व्यवस्था, अच्छी सड़कें व हर सुविधाओं से लैस रहें। लेकिन यहां के लोगों का सपना चार सालों में पूरा न हो सका। गांव में शुद्ध पेयजल की व्यवस्था नहीं गांव के लोगों के लिए अभी शुद्ध पेयजल की व्यवस्था नहीं है। लोगों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के लिए जल जीवन मिशन योजना के तहत काम शुरू हुआ है। पेयजल योजना के तहत कुछ कार्य करके अधूरा छोड़ कार्मचारी गायब हो गए हैं। निर्माणधीन पंप हाउस बदहाली का शिकार है। पेयजल के लिए लोग मजबूरी में देशी हैंडपंप के पानी प्रयोग कर रहे हैं। लोगों के घर-घर तक पानी पहुंचाने के लिए पाइप लाइन बिछाई गई है। इसे बिछाने के लिए गांव में रोड को तोड़कर छोड़ दिया है। इसके चलते लोगों को आने जाने काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। सबसे ज्यादा समस्या तो छोटे-छोटे बच्चे को होती है जो अक्सर गड्ढों में फंसकर गिरने से घायल हो जाते हैं। गांव में सफाई व्यवस्था बदहाल मिश्रैलिया की सफाई व्यवस्था बदहाल है। यहां की चोक पड़ी नालियों और गंदगी से ग्रामीण परेशान हैं। प्रदेश सरकार ने गांव की स्वच्छता के लिए सफाई कर्मियों की नियुक्ति की थी। उन्हें गांव में रहकर सफाई कार्य करना था। लेकिन वर्तमान में सफाई कर्मचारी गांव में नहीं आ रहे हैं। सफाई कर्मियों की अनुपस्थिति के कारण गांव में सफाई व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है। सफाई न हो पाने से नालियां गंदगी से चोक हो गई हैं। इनसे उठने वाली दुर्गंध लोगों को परेशान करती रहती है। सफाई न होने से संक्रामक रोगों के फैलने की आशंका बनी है। इससे नालियों का पानी उफनाकर सड़क पर बहता रहता है। गंदगी के चलते मच्छरों की संख्या बढ़ने से मच्छर जनित बीमारियों का खतरा मंडरा रहा है। पानी निकासी के लिए नालों का नहीं हुआ निर्माण गांव में पानी की निकासी के लिए नालों का निर्माण नहीं कराया गया। नालियों का जो निर्माण हुआ वे बदहाल हैं। नालियां जगह-जगह टूट गई हैं। कुछ स्थानों पर नाली का भी निर्माण नहीं हुआ है। कच्ची नाली होने से गांव के लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। नालों का निर्माण न होने से बारिश में जलभराव की समस्या उठानी पड़ती है। ग्राम पंचायत के लोगों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। बेमतलब साबित हो रहा सामुदायिक शौचालय लोगों को खुले में शौच जाने से रोकने के लिए यहां भी सामुदायिक शौचालय बना है। पर यह बेकार साबित हो रहा है। सामुदायिक शौचालय को गांव से बाहर बना दिया गया है। इससे यह बेमतलब साबित हो रहा है। यहां पर न तो पानी की सुविधा है और न ही रात में प्रकाश के लिए बिजली की सुविधा है। इसकी हालत देखने से यही लगता है कि यह शायद ही कभी खुलता हो। देखरेख के अभाव व प्रयोग न होने से इसके निर्माण का कोई मतलब ही साबित नहीं हो रहा है। यही नहीं इस शौचालय का निर्माण तालाब के किनारे किया गया है। लोग बाहर शौच के लिए जाने को मजबूर हैं। लगता ही नहीं कि गांव में चला है स्वच्छता अभियान पिछले माह गांव-गांव संक्रामक रोग नियंत्रण अभियान चलाया गया। इसमें सभी गांव में स्वच्छता अभियान चलाना था। सफाई के साथ झाड़ियों की सफाई की जानी थी। लेकिन यहां तो जगह-जगह फैली गंदगी, नालियों की गंदगी व झाड़ियों को देखकर लगता ही नहीं कि यहां अभियान भी चलाया गया था। इससे बीमारियों के फैलने की आशंका बनी है। ग्राम प्रधान सैय्यद दानिश ने कहा कि गांव की समस्याओं पर योजनाओं के माध्यम से काम कराया जा रहा है। गांव में टूटी नालियों का निर्माण कुछ जगहों पर हुआ है तो कुछ जगहों पर नई नाली का निर्माण भी हुआ है। जल्द ही गांव की बाकी समस्या का निस्तारण किया जाएगा। एक महीने से इस ग्राम पंचायत मे कोई सचिव नियुक्त नहीं है बीडीओ साहब से जानते हैं। इसी कारण से बाकी काम अधूरा पड़ा है। विधायक अनिल त्रिपाठी ने कहा कि पूरे विधानसभा सभा क्षेत्र की समस्याओं का निदान कराया जा रहा है। जहां से ज्यादा समस्या आ रही है वहां अधिकारियों से मिलकर काम कराया जा रहा है। कुसुरू कला की समस्याओं का भी समाधान कराया जाएगा। जहां दिक्कत होगी अधिकारियों से बात की जाएगी।
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