Severe Water Crisis in Khalilabad Population of 120 000 Struggles for Water Supply भीषण गर्मी में पानी के लिए नहीं है मुकम्मल इंतजाम, Santkabir-nagar Hindi News - Hindustan
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भीषण गर्मी में पानी के लिए नहीं है मुकम्मल इंतजाम

Santkabir-nagar News - हिन्दुस्तान टीम, संतकबीरनगर। भीषण गर्मी में शहरियों का हलक सूख रहा है। लोगों

Newswrap हिन्दुस्तान, संतकबीरनगरSun, 27 April 2025 02:12 PM
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भीषण गर्मी में पानी के लिए नहीं है मुकम्मल इंतजाम

हिन्दुस्तान टीम, संतकबीरनगर। भीषण गर्मी में शहरियों का हलक सूख रहा है। लोगों के घरों तक पानी नहीं पहुंच रहा है। पालिका भी कागजी घोड़ा दौड़ाती रही। हकीकत में अभी तक कायदे का कोई इंतजाम नहीं है। शहर के पुराने मोहल्ले में लोगों के घरों तक पानी नहीं पहुंच रहा है और विस्तारीकरण क्षेत्र के लिए अभी पाइप लाइन बिछाई जा रही है। ऐसे में शहर के एक लाख 20 हजार की आबादी पानी के लिए तरस रही है। शहर में अभी तक जलकल के पास मात्र एक ही ओवर हेड टैंक है, जिससे स्थानीय नागरिकों को जलापूर्ति की जा रही है। वहीं एक पंप से सीधे सप्लाई की जा रही है।

खलीलाबाद शहर की आबादी 70 हजार थी। शहर का विस्तारीकरण हुआ था इस दायरे में 16 और गांवों को जोड़ दिया गया। इसी के साथ शहरी आबादी बढ़ कर एक लाख 20 हजार हो गई। ढाई दशक पूर्व 1997 में जिला बनने के बाद शहर की आबादी में तेजी से इजाफा हो रहा है। शहरी आबादी दिन दूना रात चौगुना की दर से बढ़ रही है। जिस अनुरूप से आबादी बढ़ती जा रही है उस अनुरूप पेयजल व्यवस्था की ओर पालिका ने ध्यान नहीं दिया। 45 वर्ष पूर्व शहर में जो पाइप लाइन पड़ी थी उसी से शहर में पानी की सप्लाई की जा रही है। पहले के समय में लोहे की पाइप लाइन बिछाई गई थी। उसमें भी जगह-जगह लीकेज होने की वजह से लोगों के घरों तक पानी नहीं पहुंच पा रहा है। और तो और जहां पर वाटर हेड टैंक बना हुआ है, उस मोहल्ले के प्रथम तल पर भी पानी नहीं पहुंच रहा है। इसकी वजह से स्थानीय नागरिक भी बहुत परेशान हैं। अब पालिका के बद इंतजामी का खामियाजा समूचे जिले के लोगों को भुगतना पड़ रहा है।

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इंतजाम 30 हजार का और आबादी सवा लाख

शहर में जब वाटर हेड टैंक बना हुआ था उस समय शहर की आबादी 30 हजार थी। नगरपालिका की सीमा में मड़या मोहल्ला भी था। 90 के दशक में लोगों के घरों में आसानी से पानी पहुंच जाता था। ग्राउंड फ्लोर के साथ साथ प्रथम तल पर भी पानी आसानी से चला जाता था। लोगों को किसी प्रकार की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता था। शहर की आबादी में तेजी से इजाफा हुआ। वर्ष 2004 तक आते आते लोगों के ग्राउंड फ्लोर तक ही पानी पहुंचन और प्रथम तल पर लगी सभी टोटियां बेकार हो गईं। आलम यह हुआ कि अब औद्योगिकनगर, अचकवापुर, टीचर कालोनी में लोगों के ग्राउंड फ्लोर तक भी पानी में वह फोर्स नहीं है, जिसकी दरकार नागरिकों को है। शहर के पुराने मोहल्ले में भी ठीक से पानी नहीं पहुंच रहा है विस्तारीकरण क्षेत्र की बात करना भी बेमानी होगा।

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नए क्षेत्रों के लिए बनाई जा रही है योजना

उत्तर से दक्षिण और पूरब से पश्चिम की ओर शहर का तेजी से विस्तार किया गया। पूरब से पश्चिम की ओर दीघा से लेकर सरैया बाईपास तक शहर का विस्तार कर दिया गया है। शहर में उत्तर की ओर बड़गों गांव तक शहर की सीमा बढ़ा दी गई है और दक्षिण की ओर बनियाबारी सादिक गंज तक शहर को विस्तारित कर दिया गया है। नए क्षेत्र में पानी के लिए कोई इंतजाम नहीं है। पुराने क्षेत्रों में पाइन लाइन बिछाई जा रही है। जब तक पाइप लाइन नहीं बिछ जाता है तब तक पानी की बात करना भी बेमानी साबित होगा।

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नगर पालिका के पास बन रहा है नया पंप हाउस

शहर के लोगों को शुद्ध पेयजल मुहैया कराने के लिए नगरपालिका के पास पठान व अंसार टोला मोहल्ले में नया पंप हाउस स्थापित करने की कवायद शुरू कर दी गई है। नया पंप हाउस बनने के बाद आसपास के मोहल्लों के लोगों को जलापूर्ति की जाएगी। इसके लिए मोहल्लों का भी आवंटन कर दिया गया है। इस पंप हाउस से शहर के दो से तीन मोहल्लों में पानी की सप्लाई दी जाएगी। नगरपालिका भवन के पास नया पंप स्थापित किए जाने के लिए काम तेजी से किया जा रहा है। पंप बन जाने के बाद स्थानीय नागरिकों को पानी मिलने की उम्मीद है।

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हाईवे बनने के बाद शहर से अलग हो गया मड़या मोहल्ला

नेशनल हाईवे का निर्माण शुरू होने के साथ ही शहर का मड़या मोहल्ला शहर से पूरी तरह से कट गया। उसके बाद इस मोहल्ले में आज तक जलापूर्ति नहीं हुई। हाईवे के दक्षिण की ओर अचकवापुर मोहल्ले में पानी की आपूर्ति होती है। यहां के लोगों का जरूरी काम काज जलकल के पानी से पूरा हो जाता है, लेकिन हाईवे पार होने के बाद मड़या मोहल्ले की सीमा में पहुंचते ही जलापूर्ति की बात करना भी बेमानी होगा। मोहल्ले की लगभग सात हजार आबादी बूंद-बूंद पानी के लिए तरसती है। इस वार्ड के दायरे में मिश्रौलिया गांव को भी जोड़ दिया गया है। यहां पर आज भी लोग परम्परागत नल से पानी पीते हैं या फिर इंडिया मार्का हैंडपंप का प्रयोग किया जाता है। यहां के लोग जानते ही नहीं कि टोंटी से पानी कैसे आता है।

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शहर के बीच पुरानी जर्जर पाइप से हो रही है सप्लाई

रेलवे लाइन के उत्तर और हाईवे के दक्षिण इसी बीच में नगरपालिका से जलापूर्ति होती है। उत्तर दिशा की ओर पानी की आपूर्ति में हाईवे बाधा बना हुआ है। एनएचआई फोरलेन के उस पार पाइप बिछाने की अनुमति नहीं दे रही है। यही कारण है कि हाईवे के उत्तर पानी की आपूर्ति पूरी तरह से प्रभावित है। जल कल विभाग से पुराने शहर में ही पानी की सप्लाई होती है। वह भी पाइप लाइन पूरी तरह से जर्जर हो चुकी है। पाइप में लीकेज होने की वजह से लोगों के घरां में गंदा पानी भी आता है। नतीजतन लोग जल कल के पानी का प्रयोग लोग भोजन बनाने के लिए नहीं करते हैं।

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सभी मोहल्लों में एक साथ जलापूर्ति के लिए खाका तैयार किया जा रहा है। पाइन लाइन ही नहीं बिछाई जा रही है। ट्यूबवेल भी स्थापित किया गया है। जल्द ही ट्रायल किया जाएगा और लोगों के घरों तक आसानी से पानी पहुंचेगा।

जगत जायसवाल

चेयरमैन

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