अलग-अलग खातों में तेलंगाना और मुंबई में ट्रांसफर कराए रुपये
Shahjahnpur News - शाहजहांपुर के अधिवक्ता स्व. प्रकाशचंद्र सक्सेना के पुत्र शरदचंद्र सक्सेना को साइबर ठगों ने एक करोड़ दो लाख रुपये की ठगी का शिकार बना लिया। फर्जी जज और आईपीएस अफसर बनकर ठगों ने उन्हें विभिन्न खातों में...

शाहजहांपुर। शहर के प्रतिष्ठित अधिवक्ता रहे स्व. प्रकाशचंद्र सक्सेना के पुत्र शरदचंद्र सक्सेना से एक करोड़ दो लाख रुपये अलग-अलग खातों में अलग-अलग शहरों में ट्रांसफर कराए गए। साइबर ठगों की जाल में फंसकर शरदचंद्र ने 94 लाख की एफडी तोड़ दी। पिता के ट्रस्ट के पैसे भी गवां दिए। शरद के अनुसार उसने फर्जी जज जस्टिस खन्ना के दिए गए अकाउंट में सात मई को 23 लाख 45 हजार 130 रुपये और एक फोन पे आईडी पर 32 हजार रुपये ट्रांसफर कर दिए। ठगो के कहे अनुसार 14 मई को 71 लाख आईसीआईसी के माधापुर हैदराबाद तेलांगना में पैसे भेजे।
उसके बाद खुद को आईपीएस अफसर बताने वाले विजय खन्ना ने उसे कॉल पर कहा कि अब सुप्रीम कोर्ट से जमानत करा देंगे। 14 मई को बेल ऑर्डर की नकल भेज दी। इसके बाद उसके कहने पर नौ लाख 50 हजार रुपये 15 मई को आरटीजीएस से बैंक ऑफ महाराष्ट्र की मुंबई शाखा में पैसे ट्रांसफर कर दिए। 15 मई तक उसने कुल 1 करोड़ 2 लाख रुपये भेज दिया। इसके बाद 19 मई को उसे सुप्रीप कोर्ट ऑफ इंडिया का एक पत्र भेजकर उसे सभी चार्जेज से बरी बता दिया गया। उसे बताया गया कि उसके एकाउंट में सारा पैसा एक दिन में वापस आ जाएगा। उसके बाद से सभी से संपर्क टूट गया। जब शरद को विश्वास हो गया कि अब उसके बाद ठगी हुई है तो उसने शाहजहांपुर के साइबर थाने में एफआईआर दर्ज कराई। दिल्ली बुलाया और फर्जी कॉल पर ऑनलाइन कराई फर्जी जज के सामने पेशी शरदचंद्र को साइबर ठगों ने इस तरह अपने झांसे में ले रखा था कि वह उनकी हर बातें मानते चला गया। सात मई को शरद को शाहजहांपुर से दिल्ली बुलाया गया। वहां उसकी फर्जी जज के सामने ऑनलाइन पेशी कराई गई। फर्जी आईपीएस अफसर ने कहा कि जब सीबीआई चीफ राहुल गुप्ता सफेद शर्ट पहन लें तो वह ऑनलाइन पेश हो जाए। इसी पेशी के दौरान खुद को जस्टिस खन्ना बताने वाले साइबर ठग ने 94 लाख की एफडी तोड़ने की बात कही। साइबर ठगों ने पहले से शरद के बारे में कर ली थी पूरी जानकारी साइबर ठगों ने पहले से शरदचंद्र के पैसों के बारे में जानकारी रखी थी। क्योंकि वे हर बात बता रहे थे, जो शरद से जुड़े थे। शरद के अनुसार वे सारी बातें बता रहे थे, जिस कारण उसे उनपर विश्वास होता गया और वह उनकी बातें मानते चले गए। सब कुछ लुट जाने के बाद उनको ठगी का एहसास हुआ। शरद ने कहा था, मैं कभी नहीं गया मुंबई शरदचंद्र ने ठगों से पहली बार में कहा कि वे पिछले 20 वर्षों में मुंबई नहीं गए हैं, लेकिन ठगों ने कहा कि वहीं पर दो करोड़ 80 लाख का संदिग्ध लेनदेन उनके खाते में हुआ है। विश्वास में लेकर उसे दिल्ली बुला लिया और फिर फर्जी जज के सामने पेश कराया। यही से सरा खेल शुरू हो गया। साइबर ठगों पर ऐसे होते चला गया विश्वास शरदचंद्र सक्सेना को फोन पर खुद को सीबीआई अधिकारी और जस्टिस खन्ना बताने वाले लोगों ने बेहद प्रोफेशनल भाषा और सरकारी प्रक्रिया जैसी बातों के साथ बातचीत की। वीडियो कॉल और नकली सुप्रीम कोर्ट के दस्तावेजों ने उनके विश्वास को और मजबूत किया। उन्हें यह तक बताया गया कि मुंबई से दो करोड़ 80 लाख का फर्जी ट्रांजैक्शन हुआ है, जिससे उनका नाम जुड़ गया है। मनोवैज्ञानिक दबाव की रणनीति कर गई काम धोखेबाजों ने पहले उन्हें डराया कि उन पर गंभीर कानूनी धाराएं लग सकती हैं। फिर जमानत का लालच दिया। नकली वीडियो कॉल्स में सीबीआई चीफ, जस्टिस और आईपीएस अधिकारियों की भूमिकाएं निभाने वाले लोग बार-बार उनका विश्वास जीतते रहे। साइबर ठगों ने समाजसेवा के पैसे भी हड़प लिए इस पूरे मामले में और भी दुखद बात यह है कि सक्सेना ने अपने बाबूजी के मेमोरेबल ट्रस्ट के 5 लाख 80 हजार रुपए भी ठगों के बताए खातों में ट्रांसफर कर दिए। यह रकम समाजसेवा के कार्यों के लिए रखी गई थी, जो अब ठगी का शिकार हो गई। ऑनलाइन ठगी की चपेट में आया एक पढ़ा-लिखा व्यक्ति इस पूरे घटनाक्रम की एक और परत है जो बताती है कि एक पढ़ा-लिखा व्यक्ति किस तरह साइबर अपराधियों के चक्रव्यूह में फंस गया। शरदचंद्र सक्सेना, जो एक पढ़े-लिखे व्यक्ति हैं और समाजसेवा से भी जुड़े हैं। उनके साथ इतनी बड़ी ठगी होना न केवल चौंकाने वाला है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि आज के समय में तकनीक का इस्तेमाल कर अपराधी कितनी सफाई से किसी भी समझदार व्यक्ति को भ्रमित कर सकते हैं।
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