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अप्रैल में ही बढ़ी गर्मी से भैंस की हीट क्षमता पर असर, प्रजनन सीजन में नई मुसीबत

आईवीआरआई के वैज्ञानिक बोले, अप्रैल महीने में गर्भाधान के लिए हीट में आती है भैंसें। इस बार अप्रैल में तापमान अधिक होने के कारण गर्भाधान में हो सकती है दिक्कत।

Ritesh Verma मुख्य संवाददाता, बरेलीThu, 24 April 2025 09:19 AM
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अप्रैल में ही बढ़ी गर्मी से भैंस की हीट क्षमता पर असर, प्रजनन सीजन में नई मुसीबत

मौसम में बदलाव का असर भैंसों के शरीर पर भी पड़ सकता है। पशु वैज्ञानिकों का कहना है कि अप्रैल महीने में भैंसे हीट में आती हैं। यह मौसम उनके गर्भाधान के लिए माकूल है लेकिन इस बार पिछले कई साल के मुकाबले अप्रैल में अधिक गर्मी पड़ रही है। इसके कारण गर्भाधान में समस्या हो सकती है। ऐसे में समय रहते पशुपालकों को शेड में गर्मी से निपटने के लिए आवश्यक इंतजाम कर लेना चाहिए। संभव हो तो हर दो-चार दिन के अंतराल पर भैंसों को नदी या तालाब में कुछ घंटे के लिए नहाने छोड़ दें। उनके खाने में ठंडी तासीर वाले आहार को भी शामिल करें, जिससे पाचन क्रिया बेहतर हो सके।

भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिक डॉक्टर रणवीर सिंह का कहना है कि अप्रैल महीने में गर्म हवाएं और चढ़ता तापमान पशुपालन को प्रभावित करता है। इस मौसम में अत्यधिक बदलाव के चलते शरीर में बढ़ती गर्मी भैंस की हीट और उसके बच्चा देने पर असर डालती है। इस मौसम में कब तापमान बढ़ जाए और कब घटने लगे, कुछ पता नहीं चलता। इसके चलते जहां एक ओर उत्पादन घटता है, तो वहीं पशु गंभीर रूप से बीमार भी हो जाते हैं। सबसे ज्यादा असर भैंसों पर होता है, जो बच्चा देने वाले होते हैं या जिनका हीट चक्र चल रहा होता है।

डॉ. रणवीर सिंह का कहना है कि कई बार ऐसा होता है कि भैंसों के शरीर से गर्मी नहीं निकलती है और पशु को प्रसव में परेशानी होने लगती है। भैंस के शरीर में गर्मी अधिक हो जाती है तो एस्ट्रोजन हार्मोन में कमी आ जाती है। इसके कारण उनमें हीट के लक्षणों का पता नहीं चल पाता और उनके शरीर में गर्मी अधिक बढ़ने की वजह से गर्भ भी नहीं ठहरता।

पशुओं के शेड में जरूर करने चाहिए ये काम

तापमान में उतार-चढ़ाव के कारण पशु को लू से बचाना जरूरी है। भैंस का रंग काला होने की वजह से शरीर की गर्मी बाहर नहीं निकलती। उनके शरीर में रोम छिद्र भी कम होते हैं, जिससे उसे पसीना कम आता है। इसलिए पशुपालकों को चाहिए कि वो शेड में अपनी भैंस को नहलाने का इंतजाम रखें। मुमकिन हो तो पशुओं को नदी या नहर के पानी में कुछ देर के लिए छोड़ देना चाहिए। अगर नदी या नहर नहीं है तो हर तीन-चार दिन बाद काफी समय तक नहलाना चाहिए।

पाचन क्रिया को बेहतर रखने के लिए दें ठंडी तासीर वाला आहार

भैंस को गर्मी के दौरान ऐसा आहार देना चाहिए जो हल्का हो और जिसकी तासीर ठंडी हो। इससे उनके शरीर में ठंडक बनी रहती है। पाचन क्रिया भी बेहतर हो जाती है। पशु को भोजन पचाने में अधिक मेहनत नहीं कर पड़ती है। पशु के लिए एक ऐसे शेड का निर्माण करना चाहिए, जहां हवा की आवाजाही बेहतर हो। शेड में पीने के पानी की व्यवस्था भी होनी चाहिए। साथ ही पशु के ऊपर सीधा धूप या सूरज की रोशनी ना पड़े, इस बात का भी ख्याल रखना चाहिए।