बोले उन्नाव : कहने को शहर में रहते, गंदगी-कच्चे रास्तों का दंश झेलते
Unnao News - राजेपुर न्यू बस्ती के निवासी लंबे समय से मूलभूत सुविधाओं की कमी से जूझ रहे हैं। सड़कें खस्ताहाल हैं, पानी की गुणवत्ता खराब है और सफाई व्यवस्था नाकाफी है। लोग नगर पालिका और अन्य अधिकारियों से निराश...
राजेपुर न्यू बस्ती के बाशिंदे लंबे समय से मूलभूत सुविधाओं के इंतजार में हैं। सड़क, पानी और सफाई को लेकर कई शिकायतें जिम्मेदारों से हुईं पर सब ढोल का पोल रहा। दो- चार मार्गों के अलावा अन्य की बदहाली खत्म करने के लिए दर्जनों शिकायतें पेटिका में पड़ी होंगी पर कोई सुनने वाला नहीं है। आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान से लोगों ने अपनी पीड़ा साझा की। सभी ने एकसुर में कहा कि कच्चे रास्तों के कारण बारिश के दिनों में निकलना मुश्किल है। सफाई कर्मी न आने से गंदगी के ढेर लगे हैं। दुर्गंध से निकलना मुश्किल है। शहर में रहते जरूर हैं पर जिंदगानी गांव से बदतर है।
सार्वजनिक शौचालय, सड़क, पानी और सफाई के मुद्दे पर नगर पालिका को राजेपुर नई बस्ती के लोग जमकर कोसते हैं। सालाना डेढ़ लाख रुपये से अधिक की टैक्स अदायगी करने वाले तीन सैकड़ा आवास धारक कार्यशैली से खफा हैं। कच्ची सड़कों पर चलने को मजबूर लोग अपनी पीड़ा बताते हैं तो उनके आंखों में आंसू की धार छलकने लगती है। सभासद-अध्यक्ष, ईओ फिर जिला प्रशासन के बाद किस कदर डूडा और अन्य जनप्रतिनिधियों ने उनकी अनदेखी की वह इस पर अपनी बिंदुवार शिकायत करते हैं। आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान से चर्चा के दौरान अमरदीन और पिंटू बताते हैं कि बारिश में सड़क तालाब बन जाती है। कच्चे मार्गों पर हालात और खराब होते हैं। जहां जाइए, वहीं जलभराव और टूटी नालियां दिख जाएंगी। निकासी न होने की वजह से खाली प्लॉटों में घरों का पानी जमा होता है। 40 खंभों में सिर्फ आठ-दस में ही लाइट की व्यवस्था स्ट्रीट लाइटों के सवाल पर नैना और महरी खूब खरी-खोटी सुनाती हैं। बताया कि अगर यहां 40 खंभे लगे होंगे तो सिर्फ आठ-दस में ही लाइट का उजियारा वार्ड में होगा। हर घर का व्यक्ति टैक्स जमा करता है। इसके बावजूद मूलभूत सुविधाओं से दूर हैं। बारिश के मौसम में कच्चे रास्तों से निकलना दूभर हो जाता है। बच्चे और बुजुर्ग गिरकर चोटिल हो जाते हैं। नगर परिषद, डूडा, जिला प्रशासन और पीडब्ल्यूडी को भी इन नई बस्तियों पर अपना ध्यान देना चाहिए। दस वर्ष से विकास की राह देख रहे लोग नगर पालिका परिषद में जिन 32 वार्डों में विकास के नाम पर करोड़ों का बजट खर्च होता है, उसी से जुड़ा राजेपुर में तमाम खामियां हैं। यहां के लोग कहते हैं कि सफाई व्यवस्था के नाम पर नगर पालिका के पास जो व्यवस्था है, वह शहर की सफाई व्यवस्था को दुरुस्त रखने में नाकाफी है। दस वर्ष पहले राजेपुर परिषद से जुड़ गया था पर विकास अब तक नहीं हुआ। गंदा पानी पीने की मजबूरी यहां के बाशिंदों की सबसे बड़ी मजबूरी गंदा पानी पीने की है। यहां चार इंडियामार्का हैंडपंप ऐसे हैं, जो पानी तो देते हैं पर शुद्धता की गारंटी नहीं है। जंग युक्त पानी के अलावा फ्लोराइड की आशंका पर भी यहां के वासी भयभीत रहते हैं। उधर, राजेपुर क्रासिंग के निकट अनुमोदित अंडरपास को जल्द बनाने की मांग भी लोगों ने उठाई है। सपनों को नहीं लगे पंख यहां के बाशिंदे जब शहर सीमा में नहीं जुड़े थे तो उनके मन में कई अरमान थे। बुजुर्ग शिवकांति बताती हैं कि सपना था कि शहर की सीमा में जुड़ेंगे तो काफी सुख-सुविधाएं भी मिलेंगी पर धीरे-धीरे सपने अधूरे नजर आने लगे। अब तो यहां निवास करना मानो परेशानियों का सैलाब लेकर घूमना है। रिश्तेदार भी ताने मारकर चले जाते हैं कि यहां तो गांव से भी बुरी स्थिति है। शुद्ध जल तो मिला नहीं पर सड़कें क्षतिग्रस्त कर दीं राजेपुर में आवास विकास कॉलोनी को छोड़ अन्य कहीं वाटर सप्लाई की व्यवस्था नहीं है। यानी इन मोहल्लों में नगर पालिका के ओवरहेड टैंक या टंकियों से कोई सप्लाई नहीं होती है। लोग इंडियामार्का और सबमर्सिबल के सहारे रहते हैं। इस शहरी वार्ड में सप्लाई से छूटे इलाकों में अमृत योजना के तहत लाइन डालने का काम शुरू हुआ तो वह परेशानी का सबब बन गया। एक तो लोगों को शुद्ध जल आठ साल बाद भी नसीब नहीं हुआ बल्कि सड़कें अलग खोद दी गईं। बारिश के मौसम में स्थानीय निवासियों की समस्या और अधिक बढ़ जाएगी। अंडरपास जल्द बनवाने की उठी मांग इस वार्ड की आधी आबादी को रेलवे लाइन या फाटक पार करने के बाद ही शहर जाने का रास्ता मिलता है। ऐसे में यहां अंडरपास की सबसे अधिक आवश्यकता है। यहां के लोग रोजाना जान जोखिम में डालकर गंतव्य को जाते हैं। कई बार रेलवे लाइन को पार करते हुए हादसे भी हुए पर अब तक अंडरपास का निर्माण शुरू नहीं हो पाया। बच्चों और बुजुर्गों को अकेले भेजने में अनहोनी होने का डर सताता रहता है। इस ओर जिम्मेदार अफसरों और जनप्रतिनिधियों की ओर से भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है। आश्वासन देकर चलता कर दिया जाता है। सुझाव 1. राजेपुर में पालिका को सर्वे कराकर विकास कार्य कराने चाहिए ताकि लोगों को सुविधाओं का लाभ मिल सके। 2. स्ट्रीट लाइटों की मरम्मत करवाई जाए ताकि महिलाओं और बच्चों को अंधेरे में निकलने में डर न लगे। 3. जर्जर सड़क के निर्माण में गुणवत्ता का ध्यान रखा जाए। कच्चे रास्ते पक्के करवाए जाएं। 4. पीने के पानी की गुणवत्ता सुधारने के लिए इंडियामार्का हैंडपंप और एक दर्जन सबमर्सिबल लगवाए जाएं। 5. सफाई कर्मी न आने से गंदगी के ढेर लगे हैं। नियमित सफाई कर्मी भेजे जाएं। 6. मच्छरों से निजात दिलाने के लिए सप्ताह में दो बार फॉगिंग करवाई जाए। शिकायतें 1. सफाई कर्मी कभी आते नहीं हैं। हर गली में कूड़ा जमा है। 2. स्ट्रीट लाइटें खराब होने से महिलाएं अंधेरे में जाने से कतराती हैं। सोलर की दो लाइटों की बैट्री चोरी हो चुकी है। 3. कच्ची और जर्जर सड़कों का निर्माण नहीं करवाया जा रहा है। बारिश के दिनों में परेशानी और अधिक बढ़ जाती है। 4. जलनिकासी की व्यवस्था ध्वस्त होने से बारिश में ‘तालाब जैसा नजारा नजर आता है। 5. शौचालय बदहाल और जर्जर पड़े हैं। इनके रखरखाव पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। 6. प्लॉटों में पानी भरने से मच्छर पनपते हैं। इससे संक्रामक बीमारियों के फैलने का खतरा बना रहता है। यहां पर इंडियामार्का हैंडपंपों से पीला पानी निकलता है। बोले बाशिंदे इसको पीकर लोग पेट संबंधी बीमारियों से जूझ रहे हैं। इन हैंडपंपों की मरम्मत कराई जाए। - कीर्ति नई बस्ती में पाइपलाइन नहीं है। कुछ इंडियामार्का हैंडपंप लगे हैं, उनमें भी पानी पीने लायक नहीं आता है। गंदगी के ढेर भी लगे हैं। इसके बावजूद समस्याएं सुलझाई नहीं जा रही हैं। -जितेंद्र गुप्ता गर्मी के दिनों में कोई अफसर एक दिन यहां रुके तो पता चल जाए कि यहां पर कैसे लोग नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं। शिकायतों के बावजदू सुनवाई नहीं होती है। -नरेश नई बस्ती में 10 साल में सिर्फ चुनिंदा सड़कें बनाई गई हैं। बाकी राजेपुर नई बस्ती में हालात गांव से भी बदतर है। लोगों को मूलभूत सुविधाएं भी नहीं मिल रही हैं। -विनोद पानी की समस्या की शिकायत अभी नहीं मिली है। अगर गंदा पानी आ रहा है तो जांच कराएंगे। अगर कहीं लाइन क्षतिग्रस्त है तो उसे दुरुस्त करवाएंगे। बोले जिम्मेदार नई बस्तियों में सड़क सुधार के लिए रणनीति बनाई जा रही है। इसके लिए प्रस्ताव तैयार किए गए हैं। -एसके गौतम, ईओ
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।