UP Ayodhya Rituals to infuse divine powers in Ram Lalla with Chaturveda and divine scriptures Recitation रामलला में दिव्य शक्तियों के आधान के लिए अयोध्या में अनुष्ठान शुरू, चतुर्वेद व दिव्य ग्रंथों के पारायण जारी, Uttar-pradesh Hindi News - Hindustan
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रामलला में दिव्य शक्तियों के आधान के लिए अयोध्या में अनुष्ठान शुरू, चतुर्वेद व दिव्य ग्रंथों के पारायण जारी

अयोध्या में राम मंदिर में विराजमान रामलला के श्रीविग्रह में दिव्य शक्तियों के आधान का एक अलग अनुष्ठान श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास व उनके उत्तराधिकारी महंत कमलनयन दास के सानिध्य में चल रहा है।

Srishti Kunj संवाददाता, अयोध्याWed, 30 April 2025 02:16 PM
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रामलला में दिव्य शक्तियों के आधान के लिए अयोध्या में अनुष्ठान शुरू, चतुर्वेद व दिव्य ग्रंथों के पारायण जारी

अयोध्या में राम मंदिर में विराजमान रामलला के श्रीविग्रह में दिव्य शक्तियों के आधान का एक अलग अनुष्ठान श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास व उनके उत्तराधिकारी महंत कमलनयन दास के सानिध्य में चल रहा है। इसका निर्देशन कांची कामकोटि पीठाधीश्वर जगद्‌गुरु शंकराचार्य स्वामी विजयेन्द्र सरस्वती कर रहे हैं। कांची के 58 वें पीठाधिपति ने जिस नाम सिद्धांत के जरिए राम नाम की महिमा बताई थी। उसी सिद्धांत के आधार पर मणिराम छावनी के श्रीराम सत्संग भवन में नाम संकीर्तन मेला का आयोजन किया गया है।

इस नाम संकीर्तन में भगवान राम के अनन्य उपासक तमिलनाडु के तंजावुर निवासी तेलुगू भाषी संत त्याग राज के भजनों का विविध रुपों में गायन चल रहा है। इन्हीं संत त्यागराज की राम मंदिर परिसर में लगेगी मूर्तिः श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ने राम मंदिर परिसर में रामायणकालीन पात्रों के अतिरिक्त गोस्वामी तुलसीदास महाराज के अलावा तीन अन्य रामभक्तों की मूर्तियां लगवाने का फैसला किया है। इन्हीं तीन संतो में एक संत त्याग राज भी है। श्रीप्रेम वर्द्धन भजन कीर्तन मंडली कार्यक्रम के आयोजक संत एस. सनत कुमार भागवत कार बताते हैं कि संत त्याग राज का जन्म चार मई 1767 को और उनका निर्वाण छह जनवरी 1847 को हुआ था।

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उन्होंने अपने जीवन काल में कावेरी नदी के तट पर 98 करोड़ राम नाम जप करके भगवान का साक्षात्कार किया। उन्होंने भगवान के करीब दस हजार भजनों की रचना की थी। वह भारतीय शास्त्रीय संगीत के मर्मज्ञ भी थे। उनकी रचनाओं का कन्नड़ संगीत में रुपांतरण कर संगीत बद्ध किया गया है और प्राचीन गायन शैली को पुनर्जीवित करने का प्रयास किया गया है। मूलतः उनकी सभी रचनाएं तेलगु भाषा में ही है। दक्षिण भारत से बाहर भी उनका परिचय कराने और राम भक्ति के प्रचार-प्रसार के लिए दस दिवसीय सांगीतिक अनुष्ठान का आयोजन अयोध्या में किया गया है।

चतुर्वेद व दिव्य ग्रंथों के पारायण के साथ चल रहा अनुष्ठान

श्रीराम सत्संग भवन में चल रहे अनुष्ठान में अनेक विद्वान आचार्यों के अलावा करीब पांच सौ श्रद्धालु गण तमिलनाडु सहित दक्षिण के अन्य प्रांतों से यहां आए हैं और अनुष्ठान में हिस्सा ले रहे हैं। इस कार्यक्रम का संयोजन कर रहे अभिनव कुमारन् ने बताया कि यहां प्रातः काल छह से आठ बजे तक चतुर्वेद व दिव्य ग्रंथों का पारायण इसके उपरांत 10 से 12.30 बजे तक सम्प्रदाय भजन, सायं 5 से 6 विष्णु सहस्रनाम पारायण चल रहा है।

इसी तरह सायंकाल छह से 8.30 बजे तक दक्षिण के विभिन्न प्रांतों से आए प्रतिष्ठित शास्त्रीय संगीतज्ञों के माध्यम से भजन गायन व भगवान की पालकी यात्रा निकाली जाती है। पुनः रात्रि में 8.30 से 10.30 तक नृत्य-गायन के साथ नाम संकीर्तन चल रहा है। इसके साथ यहां अन्न-दान कार्यक्रम भी प्रतिदिन जारी है।