यूपी के दारोगाओं को हाईकोर्ट से बड़ी राहत, इस बैच को मिलेगा पुलिस उपाधीक्षक का वेतनमान
यूपी के 2001 बैच के दारोगाओं को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बड़ी राहत दी है। 2016 में ही निरीक्षक बन चुके इन दारोगाओं को हाईकोर्ट ने प्रोन्नत वेतनमान यानी पुलिस उपाधीक्षक का वेतनमान देने का आदेश दिया है।

उत्तर प्रदेश में कार्यरत 2001 बैच के दरोगाओं और वर्तमान समय में पुलिस निरीक्षक के पद पर कार्यरत, पुलिस इंस्पेक्टरों को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बड़ी राहत दी है। अदालत ने पुलिस विभाग के आलाधिकारियों को निर्देश दिया है कि इन पुलिस निरीक्षकों की ट्रेनिंग अवधि को सेवा में जोड़ा जाए। इसके साथ ही दारोगा के पद पर नियुक्ति हुए पुलिसकर्मियों जिनकी सेवायें 16 वर्ष की पूर्ण हो चुकी है, द्वितीय प्रोन्नति वेतनमान ग्रेड-पे 5400 रूपये (पुलिस उपाधीक्षक) का देने के सम्बन्ध में 6 सप्ताह में कानून के तहत स्पष्ट आदेश पारित करने का निर्देश दिया है।
यह आदेश जस्टिस अजीत कुमार ने पुलिस इंस्पेक्टर जगदम्बा सिंह व अन्य द्वारा दायर याचिका को निस्तारित करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता विजय गौतम की बहस सुनकर पारित किया। पुलिस निरीक्षकों की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता विजय गौतम और श्याम शरण ने बहस की। उनका तर्क था कि हाईकोर्ट के पहले के आदेशों और बाद में जारी शासनादेशों के बावजूद विभाग कुछ नहीं कर रहा है। प्रशिक्षण अवधि की सेवा को द्वितीय प्रोन्नत वेतनमान देने के लिए नहीं जोड़ा जा रहा है जबकि वे इसके हकदार है।
याची पुलिस निरीक्षकों की नियुक्ति वर्ष 2001 में दरोगा के पद पर हुई थी। इसके बाद याचीगणों को वर्ष 2016 में निरीक्षक के पद पर पदोन्नति प्रदान की गई। सभी याचीगणों की सेवायें 16 वर्षों से ज्यादा की पूर्ण हो चुकी है, लेकिन उन्हें द्वितीय वेतनमान ग्रेड-पे 5400/- रुपए नहीं दिया जा रहा है और न ही उनके ट्रेनिंग अवधि को सेवा में जोड़ा गया। संशोधित शासनादेश दिनांक 26 अगस्त 2015 में यह व्यवस्था प्रतिपादित की गई है कि ऐसे राज्य कर्मचारी जिन्होंने सीधी भर्ती के पद पर प्रथम नियुक्ति की तिथि से 16 वर्ष की सेवा पूर्ण कर ली है, उन्हें द्वितीय वेतनमान/ग्रेड पे प्रदान किया जायेगा।
वरिष्ठ अधिवक्ता गौतम का कहना था कि अपर पुलिस महानिदेशक उत्तर प्रदेश पुलिस मुख्यालय इलाहाबाद द्वारा जारी सर्कुलर दिनांक 17 मार्च 2012 में यह स्पष्ट कहा गया है कि आरक्षी के पद का ग्रेड वेतन 2000 रुपए है। मुख्य आरक्षी के पद का ग्रेड वेतन 2400 रुपए है। उपनिरीक्षक के पद का ग्रेड वेतन 4200 रुपए है। निरीक्षक के पद का ग्रेड वेतन 4600 रुपए है एवं पुलिस उपाधीक्षक के पद का ग्रेड वेतन 5400 रुपए अनुमन्य है।
पुलिस मुख्यालय के उक्त सर्कुलर में यह भी स्पष्ट किया गया है कि पुलिस बल के कार्यकारी बल में ग्रेड वेतन 2800 रुपए एवं ग्रेड वेतन 4800 रुपए के पद उपलब्ध नहीं है, अर्थात उक्त दोनों ग्रेड वेतन नॉन फंक्शनल वेतनमान के है। सभी याचीगण वर्ष 2001 में उपनिरीक्षक के पद पर नियुक्त हुए थे। इसके बाद 2016 में निरीक्षक के पद पर पदोन्नति हुये एवं सभी याचीगणों की सेवायें 16 वर्ष से ज्यादा की हो चुकी है। अतः पुलिस मुख्यालय के सर्कुलर दिनांक 17 मार्च 2012 के परिपेक्ष्य में द्वितीय प्रोन्नति वेतनमान पुलिस उपाधीक्षक के पद का ग्रेड पे 5400 रुपए पाने के हकदार है। याचिका में कहा गया था कि लाल बाबू शुक्ला के केस में हाईकोर्ट ने यह व्यवस्था प्रतिपादित की है कि पुलिसकर्मियों की प्रशक्षिण अवधि को सेवा में जोड़कर प्रोन्नति वेतनमान दिया जाय।