Residents of Varanasi Colony Struggle with Basic Amenities and Safety Issues बोले काशी - पानी का कनेक्शन मिला, सप्लाई का अब भी इंतजार, Varanasi Hindi News - Hindustan
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बोले काशी - पानी का कनेक्शन मिला, सप्लाई का अब भी इंतजार

Varanasi News - वाराणसी की संत बाबा आसुदाराम नगर कॉलोनी के निवासी बुनियादी सुविधाओं की कमी से परेशान हैं। पानी के कनेक्शन के बावजूद सप्लाई नहीं हो रही है। कॉलोनी में सफाई, जलनिकासी, और सुरक्षा की समस्या है। मवेशियों...

Newswrap हिन्दुस्तान, वाराणसीTue, 3 June 2025 10:01 PM
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बोले काशी - पानी का कनेक्शन मिला, सप्लाई का अब भी इंतजार

वाराणसी। शहर का विस्तार हो रहा है, लेकिन कॉलोनियां विकास की रफ्तार में पीछे रह गई हैं। बाशिंदों को ऐसा इसलिए महसूस होता है क्योंकि उन्हें बुनियादी सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं। रानीपुर के संत बाबा आसुदाराम नगर कॉलोनी की स्थिति यह है कि यहां पानी के कनेक्शन दे दिए गए हैं लेकिन पानी की आपूर्ति नहीं होती। टोटियां सूखी हैं लेकिन हर माह बिल आ जाता है। कॉलोनी के बाशिंदों को उस सुविधा के नाम पर बिल देना अखरता है जो उन्हें अब तक मिली ही नहीं है। रानीपुर वार्ड की इस कॉलोनी में दो फेज हैं। फेज वन और फेज टू को मिलाकर लगभग 700 मकान है।

यहां लगभग तीन हजार की आबादी रहती है। दोनों फेज में समस्याएं समान हैं। समस्याओं से त्रस्त कॉलोनी के लोगों ने ‘हिन्दुस्तान से अपनी पीड़ा साझा कीं। संजय, सुरेश, मनीष लालवानी ने कहा कि लोग टैक्स देते हैं। इसके बाद भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं। हाल यह है कि यहां पानी का कनेक्शन मिलने के बाद भी पानी का जैसे ‘अकाल पड़ा है। जलनिकासी की भी कोई व्यवस्था नहीं है। ड्रेनेज सिस्टम बनाया ही नहीं गया है। बारिश में गलियों में पानी लग जाता है। घरों से निकलना मुश्किल हो जाता है। रीया, पायल, अंशिका, कोमल लालवानी, विजय ने कहा कि इंटरलॉकिंग का काम पूरा नहीं हुआ है। ऐसे में जलजमाव होने से दुर्घटना का डर रहता है। कई बार वाहन से भी लोग गिर जाते हैं। पैदल चलने वालों को भी मुश्किल होती है। कई बार शिकायत की गई लेकिन समाधान नहीं मिला। फेज-2 के लोगों ने बताया कि कॉलोनी के बाहर तक सीवरलाइन है, लेकिन कॉलोनी में नहीं आई। सीवेज की समस्या से परेशान होकर स्वयं सीवर निकासी की व्यवस्था करानी पड़ी। अंशिका, कोमल लालवानी, विजय ने कहा कि बिजली, पानी, सीवर जैसी सुविधाएं तो लोगों को मिलनी ही चाहिए। लोगों ने हरियाली के लिए भी आवाज उठाई। कहा कि पेड़ों की कटाई और बढ़ते पर्यावरण प्रदूषण चिंता का विषय बना है। कोमल लालवानी, विजय, संजय चौरसिया ने कहा कि विकास जरूरी है, लेकिन पर्यावरण को अनदेखा नहीं कर सकते। ऐसे में पेड़ काटने से पहले पौधारोपण पर विचार करना चाहिए। बड़े पेड़ों को काटने के बजाय शिफ्ट करना चाहिए। तारों का जाल बना खतरा कॉलोनी में पोल नहीं होने से चारों तरफ तारों का जंजाल हैं। यहां के लोगों ने कई बार बिजली विभाग से पोल लगाने की मांग की, लेकिन सुनवाई नहीं हुई। संजय, सुरेश, मनीष लालवानी, निकिता ने कहा कि पोल नहीं होने से कई जगह बांस के सहारे तार खींचे गए हैं। कई जगह लोगों के घरों के पास तार गुजर रहे हैं। इससे कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। कहा कि जब विभाग में जाते हैं तो वहां अधिकारी कहते हैं कि इसका प्रस्ताव आगे बढ़ा दिया गया है। ऐसा कई वर्षों से हो रहा है। कोमल लालवानी, विजय, संजय चौरसिया ने कहा कि बारिश में बिजली समस्या और बढ़ जाती है। कई बार शॉर्ट-सर्किट की घटना होती है। लोगों में करंट फैलने का डर बना रहता है। एक तो पोल नहीं है दूसरे तार लटक रहे हैं। लोगों ने कहा कि ऐसा लग रहा है कि विभाग जैसे किसी हादसे का इंतजार कर रहा हो। पुलिस गश्त न होने से परेशानी जय चौरसिया, प्रज्ञा, चांदनी ने कहा कि सुरक्षा व्यवस्था के मद्देनजर कॉलोनियों में पुलिस गश्त की व्यवस्था बनाई गई है, लेकिन इस कॉलोनी में गश्त नहीं होती। लोगों में असुरक्षा का भाव रहता है। कोमल लालवानी, विजय, संजय चौरसिया ने कहा कि शाम और रात में कम से कम दो बार गश्त तो होनी ही चाहिए। इससे लोगों में सुरक्षा का भाव आएगा और किसी भी अप्रिय घटनाओं से बचा जा सकेगा। संजय, सुरेश, मनीष लालवानी ने कहा कि सुरक्षा व्यवस्था को देखते हुए पुलिस गश्त की मॉनिटरिंग होनी चाहिए। कॉलोनियों में प्रतिदिन गश्त हो, इसे सुनिश्चित किया जाना चाहिए। मवेशियों का आतंक कॉलोनी में मवेशियों का आतंक है। आए दिन मवेशियों का झुंड किसी न किसी को घायल कर देता है। प्रज्ञा, चांदनी, राजू मिश्रा ने बताया कि बच्चों का घरों से निकलना मुश्किल होता है। कभी कुत्ते तो कभी मवेशी कॉलोनी में आतंक मचाते हैं। कहा कि सरकार ने मवेशियों को गोशाला में ले जाने की योजना शुरू की है लेकिन यह जमीनी स्तर पर नहीं दिख रहा है। सड़कों से लेकर कॉलोनियों तक में मवेशी घूम रहे हैं। कई बार इनकी वजह से दुर्घटनाएं होती हैं। गोशाला में ले जाने की योजना पर गंभीरता से काम हो तो इस समस्या से निजात मिल सकेगी। नियमित नहीं होती सफाई कोमल लालवानी, विजय, संजय चौरसिया ने कहा कि कॉलोनी में हफ्ते में एक-दो दिन कूड़ा उठान होता है। झाड़ू भी कभी-कभी ही लगता है। सफाईकर्मी केवल सड़कों पर झाड़ू लगाकर चले जाते हैं। कहीं कूड़े का कंटेनर नहीं रखा गया है। रीया, पायल, अंशिका ने कहा कि कूड़ा उठान नहीं होने से परेशान हैं। आखिर कूड़ा कहां फेंके। खुले में कूड़ा फेंकने से बचते हैं तो घरों में तीन-चार दिन रखना पड़ता है। इससे परेशानी होती है। स्वच्छ काशी का सपना कैसे साकार होगा, जब कूड़ा उठान और सफाई होगी ही नहीं। प्रतिदिन सड़कों से लेकर गलियों तक में झाड़ू लगे, कूड़़ा उठान हो। इससे लोगों में भी स्वच्छता का भाव आएगा। अधूरा है इंटरलॉकिंग का काम सड़कों से आगे कॉलोनी में इंटरलॉकिंग का काम अधूरा है। कई जगह इंटरलॉकिंग का काम हुआ ही नहीं है। इससे आवागमन में परेशानी होती है। कई बार लोग ध्यान नहीं देते हैं तो गिरने का खतरा रहता है। बारिश में आधे-अधूरे काम से समस्या और बढ़ जाती है। निकिता, रीया, पायल ने कहा कि विभाग से शिकायत भी की गई लेकिन समाधान नहीं हुआ। काम हो तो पूरा होना चाहिए। आधा काम परेशानी का सबब बन जाता है। संजय, सुरेश, मनीष लालवानी ने कहा कि कॉलोनी में इंटरलॉकिंग का काम पूरा कराया जाना चाहिेए। इससे आवागमन में सहूलियत हो जाएगी। ....................................................... सुझाव 1- बिजली विभाग से पोल लगाने के लिए आवेदन किया गया है। जल्द से जल्द पोल लगाया जाना चाहिए। इससे तारों का जंजाल हटेगा। 2- जलनिकासी के लिए ड्रेनेज सिस्टम की व्यवस्था हो, तभी जलनिकासी की स्थाई व्यवस्था हो सकेगी। गलियों में जलजमाव नहीं होगा। 3- जलकल जल्द पानी की आपूर्ति करे। गर्मी में पानी नहीं आने से समस्या बढ़ जाती है। जब आपूर्ति शुरू हो तभी बिल लिया जाए। 4- प्रतिदिन झाड़ू लगाना और कूड़ा उठान सुनिश्चित किया जाए। सड़कों से गलियों तक झाड़ू लगे। कूड़े का कंटेनर रखा जाना चाहिए। 5- सड़कों और कॉलोनियों में घूमने वाले पशुओं को गोशाला ले जाया जाय। जमीनी स्तर पर काम होगा तभी इनके आतंक से मुक्ति मिलेगी। शिकायतें 1- पोल न होने से घरों से बिजली के तार गुजर रहे हैं। गलियों में तार ढीले और जर्जर होकर लटक रहे हैं। हादसे का खतरा रहता है। 2- जलनिकासी की व्यवस्था नहीं है। बारिश में गलियों में पानी लग जाता है। पैदल के साथ वाहन से भी चलना मुश्किल होता है। 3- जलकल ने पेयजल का कनेक्शन दिया है, लेकिन आज तक पानी नहीं आया। हर माह पानी का बिल आ जाता है। 4- गलियों में न सफाई होती है और न कूड़ा उठान हो रहा। हफ्ते में एक दो दिन ही सफाईकर्मी झाड़ू लगाते हैं। 5- गलियों में मवेशी न सिर्फ कूड़ा फैलाते हैं बल्कि लोगों को घायल भी कर देते हैं। घरों से निकलना मुश्किल होता है। गौर करें कॉलोनी के घरों में काफी पहले कनेक्शन तो दे दिए गए हैं लेकिन पानी आज तक नहीं आया। - विजय कॉलोनी में पोल न होने से तारों का जाल बन गया है। कई बार विभाग का चक्कर लगाने पर भी समाधान नहीं हुआ। -राजू मिश्रा सुरक्षा के मद्देनजर कॉलोनियों में पुलिस गश्त की व्यवस्था है, लेकिन इस कॉलोनी में कभी गश्त नहीं होती। - संजय चौरसिया कॉलोनी में आए दिन मवेशी किसी न किसी को घायल कर देते हैं। बच्चों का घरों से निकलना मुश्किल होता है। - मनीष लालवानी पानी का सिर्फ कनेक्शन मिला लेकिन बिल जरूर आने लगा। जो सुविधा मिली ही नहीं, उसका भी टैक्स दे रहे। - जितेंदर सिंह हफ्ते में एक या दो दिन ही कूड़ा उठान होता है। सफाईकर्मी केवल सड़कों पर झाड़ू लगाकर चले जाते हैं। - सुरेश कॉलोनी में इंटरलॉकिंग अधूरी है। कई जगह इंटरलॉकिंग है ही नहीं। आवागमन में परेशानी होती है। -संजय पेड़ों की कटाई से पहले पौधारोपण पर विचार हो। विकास जरूरी है, लेकिन पर्यावरण संरक्षण अनदेखा नहीं होना चाहिए। - कोमल लालवानी बारिश में जलजमाव से समस्या होती है। जलनिकासी की व्यवस्था नहीं है। इससे आवागमन में परेशानी होती है। -पायल प्रतिदिन कूड़ा उठान नहीं होता। घरों में तीन-चार दिन कूड़ा पड़ा रहता है। कूड़े का कंटेनर भी नहीं है। - निकिता

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