Teachers Face Challenges in Education Workload Security and Parental Responsibility बोले काशी- बच्चों का नामांकन कराएं और आधार बनवाएं तो पढ़ाएं कब, Varanasi Hindi News - Hindustan
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बोले काशी- बच्चों का नामांकन कराएं और आधार बनवाएं तो पढ़ाएं कब

Varanasi News - वाराणसी की शिक्षिकाएं शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। वे कई चुनौतियों का सामना करती हैं, जैसे कि कार्यभार, सुरक्षा की कमी और अभिभावकों की जिम्मेदारियों का अभाव। शिक्षिकाएं चाहती...

Newswrap हिन्दुस्तान, वाराणसीSun, 20 April 2025 07:22 PM
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बोले काशी- बच्चों का नामांकन कराएं और आधार बनवाएं तो पढ़ाएं कब

वाराणसी। शिक्षिकाएं समाज की मजबूत स्तंभ हैं। वे छात्र-छात्राओं को पढ़ाने के दौरान उनका मन पढ़ लेती हैं। उन्हें संस्कार देती हैं। नैतिकता का बोध कराती हैं। प्रतिभाओं में सपनों का उड़ान भरने का जज्बा पैदा करती हैं मगर यह सब कुछ सहज नहीं होता। शिक्षिकाओं को अनेक चुनौतियों, दुश्वारियों का सामना करना पड़ता है अपने घरों से लेकर स्कूल-कॉलेजों तक। शिक्षण के साथ शिक्षणेतर कामों का ऐसा बोझ कि दम फूलने लगता है। उनका कहना है कि वर्कलोड घटे और माहौल सुंदर-सेफ बने तो शिक्षा की नाव डांवाडोल नहीं होगी। महिला शिक्षकों के लिए घर-परिवार और अपने स्कूल-कॉलेज में सामंजस्य बना पाना आसान नहीं होता। स्कूलों में पहुंचते ही उन्हें याद आता है कि आठ घंटे की नौकरी के दौरान सिर्फ अनुशासित पढ़ाई ही नहीं करवानी है। घर-घर ढूंढ़ कर बच्चों का नामांकन, अपार आईडी से लेकर आधारकार्ड बनवाने तक की जिम्मेदारी भी उन्हीं पर है। ऐसी कई समस्याओं से प्रतिदिन दो-चार होने वाली शिक्षिकाओं ने ‘हिन्दुस्तान से अपनी पीड़ा बयां की। उनका कहना है कि उन्हें जो भी जिम्मेदारियां दी जा रही हैं, वे सब निभाने को तैयार हैं लेकिन इससे मुख्य काम प्रभावित हो रहा है। हरिश्चंद्र इंटर कॉलेज की प्रधानाचार्य डॉ. प्रियंका तिवारी, निवेदिता शिक्षा सदन की प्रधानाचार्य डॉ. आनंद प्रभा सिंह ने कहा कि ऑनलाइन प्रक्रिया को बढ़ावा देना ठीक है लेकिन इसके लिए विद्यालयों में कंप्यूटर ऑपरेटरों की नियुक्ति होनी चाहिए। जब शिक्षक इन्हीं कामों में लगे रहेंगे तो शिक्षण कार्य कब करेंगे? डॉ. प्रतिभा यादव, सुधा बघेल, रश्मि त्रिपाठी ने कहा कि प्रवेश उत्सव, पोषण सप्ताह, खेलकूद, नामांकन के दौरान घर-घर जाकर प्रवेश कराने सहित अन्य कामों का बोझ बढ़ गया है। स्कूल, कॉलेज में प्रतियोगिताएं कराना ठीक है लेकिन नामांकन, अपार आईडी, आधार कार्ड की ऑनलाइन प्रक्रिया पूरी करने में मुश्किलें आती हैं। उनकी अपेक्षा है कि अभिभावक भी अपनी जिम्मेदारी निभाएं।

अभिभावकों को भी मिले जिम्मेदारी

शिक्षिकाओं का कहना है कि गरीब परिवारों को मिलने वाली सुविधाओं के लिए बच्चों की सरकारी स्कूलों में पढ़ाई अनिवार्य कर देनी चाहिए। राशन सहित सरकारी लाभ लेने वाले परिजनों के लिए एक अतिरिक्त कॉलम बनाया जाए। इसमें यह भरना सुनिश्चित हो कि बच्चा सरकारी स्कूल में पढ़ रहा है। दीपशिखा सिंह, ऋचा सिंह के मुताबिक कई अभिभावक सरकारी सुविधाओं का लाभ ले रहे हैं लेकिन बच्चों को प्राइवेट स्कूल में पढ़ा रहे हैं। ऐसे में नामांकन बढ़ाने का लक्ष्य कैसे पूरा होगा। नामांकन प्रक्रिया से अभिभावकों को जोड़ना चाहिए। उन्हें जिम्मेदारी सौंपनी चाहिए ताकि वे खुद अपने बच्चों का दाखिला कराएं और स्कूल भेजें। इसके लिए अभियान चलना चाहिए।

सिक्योरिटी गार्ड की दरकार

पहले प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों में सुरक्षा के मद्देनजर गार्ड (चौकीदार) की नियुक्ति होती थी। इससे न सिर्फ विद्यार्थियों और शिक्षकों में सुरक्षा का भाव रहता था बल्कि स्कूल-कॉलेज सुरक्षित भी रहते थे। अब सिक्योरिटी गार्ड न होने से कोई भी स्कूल में पहुंच जाता है। कई बार सामग्री को नुकसान पहुंचाता है तो कई बार बच्चों के लिए समस्या बन जाता है। ऋचा सिंह, अर्चना ओझा ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों के प्राथमिक विद्यालयों में बागवानी के साथ सुंदरीकरण कराए जाते हैं। दूसरे दिन स्कूल पहुंचने पर दिखता है पौधे टूटे हुए हैं, बाकी जगह भी तोड़फोड़ की गई है। कम ऊंची होने से अराजक तत्व स्कूलों की बाउंड्री फांद के अंदर पहुंच जाते हैं। इस पर रोक का प्रबंध होना चाहिए।

वीवीआईपी दौरे में आईडी देख मिले छूट

जसप्रीत कौर, रश्मि त्रिपाठी, ऋचा सिंह, अर्चना ओझा ने ध्यान दिलाया कि वीवीआईपी दौरे के दौरान आमजन के साथ हम शिक्षकों को भी परेशानी होती है। कभी जाम में फंसने से समय से क्लास नहीं ले पाते तो परीक्षा ड्यूटी में समय से नहीं पहुंच पाते। देर से पहुंचने पर जवाबदेही तय होती है। कई बार कार्रवाई का डर बना रहता है। उन्होंने कहा कि वीवीआईपी आगमन के दौरान आईडी देखकर शिक्षकों और विद्यार्थियों को जाने की छूट मिलनी चाहिए ताकि पठन-पाठन प्रभावित न हो।

विद्यालयों के सामने बने जेब्रा क्रॉसिंग

ऋचा सिंह, नितिका सिंह, अर्चना ओझा ने ध्यान दिलाया कि जो स्कूल रिंग रोड, हाईवे या व्यस्त सड़कों के किनारे और आसपास हैं, वहां बच्चों को आने जाने में परेशानी होती है। हादसे का डर रहता है। इसे दूर करने के लिए स्कूलों के पास जेब्रा क्रॉसिंग बननी चाहिए। इससे बच्चों के आवागमन में आसानी होगी। स्कूलों के सामने वाहन धीरे चलाने का बोर्ड लगना चाहिए। इसकी निगरानी के लिए सीसीटीवी कैमरे लगने चाहिए। इन उपायों से हादसे की आशंका कम होगी। स्कूलों के सामने वाहन न खड़े हों, इसकी भी व्यवस्था होनी चाहिए।

अवैध विद्यालयों पर रोक लगे

सभी शिक्षिकाओं ने कहा कि अवैध विद्यालयों के संचालन पर सख्ती से रोक लगनी चाहिए। कई बार प्रवेश के बाद एक-दो माह की पढ़ाई बीतने पर विद्यालय के अवैध होने का पता चलता है। नितिका सिंह, जसप्रीत कौर ने कहा कि इससे बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होती है। अवैध विद्यालय के पता चलने पर सरकारी स्कूल में दाखिला कराया जाता है। तब शिक्षकों पर दवाब बढ़ता है। प्रवेश प्रक्रिया पूरी करने से लेकर कोर्स शुरू से पढ़ाना पड़ता है। उन्होंने जोर दिया कि अवैध विद्यालय संचालकों पर ऐसी कार्रवाई हो जो दूसरों के लिए नजीर बने।

आंगनबाड़ी केंद्रों से भी मिले टीसी

सुधा बघेल, ऋचा सिंह ने कहा कि सरकार आगंनबाड़ी केंद्रों पर खर्च तो रही है लेकिन खर्च का सही उपयोग नहीं हो रहा है। उन केंद्रों पर शिक्षा के स्तर में सुधार की जरूरत है। इसकी निगरानी होनी चाहिए। इसके साथ ही वहां पढ़ने वाले बच्चों की टीसी जारी होनी चाहिए। बच्चा बेसिक चीजें सीखकर प्राथमिक विद्यालय पहुंचेगा। इससे पहली और दूसरी कक्षा में पढ़ने वाले बच्चों पर दबाव कम होगा।

सुझाव

1- हर स्कूल में कम से कम एक सिक्योरिटी गार्ड हो। इससे विद्यार्थियों, शिक्षकों में सुरक्षा का भाव आएगा। अराजकता पर रोक लगेगी।

2- ऑनलाइन कार्यों के लिए कंप्यूटर ऑपरेटर की नियुक्ति होनी चाहिए। इससे शिक्षकों का भार कम होगा।

3- वीवीआईपी दौरे के समय शिक्षकों और विद्यार्थियों का आईकार्ड देखकर उन्हें जाने देना चाहिए। वे समय से स्कूल, कॉलेज पहुंचेंगे। इससे पढ़ाई और परीक्षा बाधित नहीं होगी।

4- विद्यालयों के पास पान-गुटखा आदि की दुकानों पर रोक के नियम को सख्ती से लागू किया जाए। दुकान संचालकों पर कार्रवाई होनी चाहिए।

5- अवैध विद्यालयों के संचालन पर रोक लगाने के लिए कठोर कानून बने। संचालकों पर सख्त कार्रवाई हो। इससे स्कूलों में नामांकन बढ़ेगा। बच्चों की शिक्षा प्रभावित नहीं होगी।

शिकायतें

1- विद्यालयों में सिक्योरिटी गार्ड न होने से असुरक्षा का भाव रहता है। कई बार अराजकतत्व संस्थान के सामान को नुकसान पहुंचाते हैं।

2- ऑनलाइन काम का अतिरिक्त बोझ बढ़ गया है। इसका सीधा असर बच्चों की शिक्षा पर पड़ता है। कई बार शिक्षिकाएं काम पूरा करने में कक्षाएं नहीं ले पाती हैं।

3- वीवीआईपी दौरे के दौरान शिक्षकों और विद्यार्थियों को भी परेशानी होती है। कई बार स्कूल, कॉलेज समय से नहीं पहुंचने पर कार्रवाई का डर रहता है।

4- विद्यालयों के पास पान-गुटखा आदि की दुकानों पर रोक को सख्ती से नहीं लागू किया जा रहा है। कई स्कूलों के सामने दुकानें धड़ल्ले से चल रही हैं।

5- कई बार प्रवेश के बाद लगता है कि विद्यालय अवैध है। इसका असर बच्चों की पढ़ाई पर दिखता है।

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बात पते की

निवेदिता शिक्षा सदन के सामने गुटखा-पान आदि की दुकानें बंद होनी चाहिए। प्रशासन सख्ती से रोक लगानी चाहिए।

- डॉ. आनंदप्रभा सिंह

हरिश्चंद्र गर्ल्स इंटर कॉलेज के सामने वाहनों की पार्किंग से शिक्षकों-छात्राओं को परेशानी होती है। दिन भर जाम की स्थिति रहती है।

- डॉ. प्रियंका तिवारी

कई स्कूलों में स्मार्ट बच्चों की संख्या ज्यादा है जबकि स्मार्ट क्लास सिर्फ एक है। सभी कक्षा के बच्चों को लाभ नहीं मिलता है।

- डॉ. प्रतिभा यादव

सफाईकर्मी और सिक्योरिटी गार्ड की स्थायी नियुक्ति हो। इससे विद्यालयों में सुरक्षा और स्वच्छता बनी रहेगी।

- जसप्रीत कौर

ऑनलाइन कार्य के लिए स्कूलों में कंप्यूटर ऑपरेटर की नियुक्ति होनी चाहिए। इससे शिक्षकों का भार कम होगा। पठन-पाठन प्रभावित नहीं होगा।

- रश्मि त्रिपाठी

आंगनबाड़ी केंद्रों से भी बच्चों की टीसी जारी होनी चाहिए। प्राथमिक विद्यालय में बेसिक शिक्षा के साथ बच्चे पहुंचेंगे।

- सुधा बघेल

अवैध विद्यालयों के संचालन पर रोक के लिए सख्त कानून बनाए जाएं। कई बार समस्या होती है।

- दीपशिक्षा सिंह

सरकारी योजनाओं का लाभ लेने वाले परिजन अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में भेजें-यह अनिवार्य किया जाए। तभी नामांकन बढ़ेगा।

- ऋचा सिंह

रिंग रोड आदि मुख्य सड़कों पर स्कूलों के सामने जेब्रा क्रॉसिंग बननी चाहिए। इससे बच्चे सुरक्षित रहेंगे।

- नितिका सिंह

अनेक विद्यालयों में इंटरनेट की व्यवस्था नहीं है। शिक्षक अपने नेट से काम करने हैं। स्कूलों में वाईफाई की व्यवस्था होनी चाहिए।

- अर्चना ओझा

अभिभावक भी बच्चों को स्कूल भेजने की जिम्मेदारी निभाएं। इसके लिए उन्हें जागरूक करना चाहिए।

- सोनल चतुर्वेदी

वीवीआईपी दौरे के दौरान कई बार कॉलेज समय से न पहुंचने पर कार्रवाई का खतरा बना रहता है।

- पर्मा विश्वास

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